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Last Modified: गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023 (12:21 IST)

10 माह में 6 बार बढ़ा रेपो रेट, महंगे Loan से कितनी बढ़ेगी आपकी EMI

सारे लोन हुए महंगे, कर्जदारों पर महंगाई की डबल मार

10 माह में 6 बार बढ़ा रेपो रेट, महंगे Loan से कितनी बढ़ेगी आपकी EMI - repo rate increased 6 times in 10 months, what will be effect on your EMI
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने मई 2022 के बाद से लगातार छठी बार रेपो रेट में वृद्धि की है। पिछले 10 माह में इसमें 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। केंद्रीय बैंक ने इस बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। रिजर्व बैंक के इस फैसले से ब्याज दर बढ़ जाएगी। होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन आदि सभी तरह के लोन महंगे हो जाएगा। इसका सीधा असर आपकी EMI पर भी पड़ेगा। बहरहाल महंगाई रोकने के लिए उठाए गए इस कदम की वजह से कर्जदारों पर महंगाई की डबल मार पड़ रही है।
 
महंगा मिलेगा नया Loan : रिजर्व बैंक के फैसले के बाद अब धीरे धीरे सभी बैंकें ब्याज दर बढ़ाने की घोषणा कर देगी। इसके बाद अगर कोई व्यक्ति होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन या किसी अन्य तरह का लोन लेता है तो अब उसे ज्यादा ब्याज चुकाना होगा।
 
क्यों बढ़ेगी EMI : जब रेपो रेट बढ़ता है तो बैंकों को कर्ज ज्‍यादा ब्‍याज दर पर मिलता है। इस वजह से बैंक आम आदमी के लिए भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ब्‍याज दर को बढ़ा देती हैं और इसका असर ईएमआई पर पड़ता है। यानी रेपो रेट बढ़ने के साथ ईएमआई भी बढ़ जाती है। अगर आपने फ्लेक्सी दर पर होम लोन लिया है तो आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी। ईएमआई बढ़ने का मतलब है कि आपको मूल रकम पर ज्यादा बयाज चुकाना है।
 
10 माह में कितनी महंगी हुई EMI : अगर आपने बैंक से फ्लोटिंग रेट पर 7 फीसदी की दर से 30 लाख का लोन लिया है तो पिछले 10 माह में आपकी किस्त 4362 रुपए बढ़ चुकी है। इसकी वजह रेपो दर का लगातार बढ़ना ही है। फ्लोटिंग रेट पर लोन लेने वाले बेहद परेशान है और फिक्स्ड रेट में इस कनवर्ट करवाने के लिए लगातार बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।
 
क्या है फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट में अंतर : फिक्स्ड रेट लोन के तहत इंटरेस्ट रेट पूरी लोन अवधि में समान रहती है। इस वजह से अगर बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करता भी है तो फिक्स्ड रेट पर लिए गए लोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर पूरी लोन अवधि के दौरान अगर मार्केट में ब्याज दरें कम होती हैं तो भी फिक्स्ड रेट समान ही रहेंगी और आपकी ईएमआई भी कम नहीं होगी। इसी तरह ब्याज दर बढ़ने का भी ईएमआई पर कोई असर नहीं होगा।
 
इसके विपरित फ्लोटिंग रेट लोन के मामले में ब्याज दरें बैंक/ लोन संस्थानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बेंचमार्क रेट में आए बदलाव के अनुसार घटती-बढ़ती रहती हैं। फ्लोटिंग ब्याज दर वाले होम लोन आमतौर पर फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट होम लोन से सस्ते होते हैं। फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेने वालों से कोई प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर फीस भी नहीं वसूलता है। रेपो रेट घटने से जब ब्याज दर घटती है तो EMI घट जाती है।
 
दोनों में क्या है बेहतर : अकसर लोग होम लोन लेते समय कनफ्यूज रहते हैं कि फिक्स्ड रेट पर लोन ले या फ्लोटिंग रेट पर। कहा जा सकता है कि अगर रेपो रेट बढ़ती है तो फिक्स रेट बेहतर है और घटती है तो फ्लोटिंग रेट। वैसे देखा जाए तो सर्विस क्लास के लिए फिकस्ड रेट पर लोन लेना फायदे का सौदा कहा जा सकता है। इसमें रेपो रेट का कोई असर नहीं होता है। देश में लगातार बढ़ती महंगाई की वजह से आप पर इसका कोई दुरगामी असर भी नहीं होता।  
  
कैसे करें EMI की गणना : लोन की ईएमआई को कैलकुलेट करने के लिए आप ऑनलाइन ईएमआई कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। ऑनलाइन लोन कैलकुलेटर मूल राशि, ब्याज दर और अवधि के आधार पर आपको बता देता है कि आपको कितनी EMI देनी होगी? इसकी मदद से आप पूरी भुगतान अवधि के दौरान लगने वाले ब्याज के बारे में भी पता लगा सकते हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta
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