कर्मचारी भविष्य निधि के तहत न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाने का फैसला टला
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने उसके दायरे में आने वाले कर्मचारियों का न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना कर 2,000 रुपए करने पर फैसला अपनी मार्च में होने वाली अगली बैठक तक के लिए टाल दिया है।
ऐसी संभावना थी कि ईपीएफओ के न्यासी बोर्ड की गुरुवार को होने वाली बैठक में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के तहत मिलने वाला न्यूनतम पेंशन दोगुना कर 2,000 रुपए मासिक किया जा सकता है। फिलहाल न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपए मासिक है।
उल्लेखनीय है कि कर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन जोड़ महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत पीएफ में जाता है। इतना ही योगदान कंपनी भी देती है। लेकिन कंपनी के 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार भी इसमें मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत का योगदान देती है।
ईपीएफओ के न्यासी पी जे बान्सुरे ने कहा कि न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना कर 2,000 रुपए करने का फैसला मार्च में होने वाली अगली बैठक तक टाल दिया गया। प्रस्ताव के अनुसार न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना करने से 3,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत होगी। ऐसे में इस पर निर्णय वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही लिया जा सकता है।
अब सरकार न्यूनतम मासिक पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर असमंजस में है। सरकार ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों को अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेंशन योजना (पीएमएसवाईएम) के तहत निश्चित 3,000 रुपए की मासिक पेंशन की घोषणा की है। पीएमएसवाईएम 15 फरवरी, 2019 को शुरू हो चुकी है।
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के महासचिव ब्रजेश उपाध्याय ने कहा कि सरकार द्वारा संचालित सभी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए एक न्यूनतम पेंशन होनी चाहिए। ऐसे में हमने ईपीएफओ अंशधारकों के लिए 3,000 रुपए की मासिक पेंशन की मांग की है।