इस बार वित्तमंत्री ने कोई टैक्स नहीं बढ़ाते हुए आयकर विभाग के सारे कार्य की समयसीमा को कम करते हुए फेसलेस करने की कोशिश की है। आइए 16 बिन्दुओं में जानते हैं आयकर से जुड़ी जानकारी...
1. इस बार टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
2. 75 वर्ष से ऊपर उम्र के लोग जिनकी आय सिर्फ पेंशन और ब्याज से है, उन्हें रिटर्न नहीं भरना है। इसका बर्डन बैंक पर डाला गया है।
3. लीव ट्रेवल कन्सेशन जो फेमिली के लिए मिलता था, इस वर्ष कोरोना के कारण कहा गया है कि यदि आपने जीएसटी चुकाकर चेक से कोई खरीदी की है तो 36000 या 1/3 खर्चे का जो दोनों में कम हो परिवार के प्रति व्यक्ति के हिसाब से छूट मिलेगी। यह छूट 12 अक्टूबर 20 से 31 मार्च 2021 के बीच के लिए है।
4. 45 लाख से कम मूल्य के फ्लैट बनाने वाले को 100% मुनाफे में छूट के लिए प्रोजेक्ट को अप्रूवल अब 31 मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है। रेंटल हाउसिंग प्रोजेक्ट भी इसमें शामिल है।
5. 45 लाख से कम मूल्य के फ्लैट पर ऋण 2022 तक पास करने पर खरीदने वालों 1.50 लाख की ब्याज में स्पेशल छूट धारा 80EEA में मिलती थी, अब ऋण मार्च 2022 तक भी लिया है तो छूट मिलेगी।
6. स्टार्टअप यदि मार्च 22 तक भी स्टार्ट किया है तो 3 साल तक मुनाफे में 100% छूट मिलेगी।
7. अब 2 करोड़ तक के रहवासी मकान को यदि पहली बार बिल्डर नया बनाकर बेचता है तो उसे स्टाम्प ड्यूटी गाइडलाइन से 20% कम पर रजिस्ट्री करने पर कोई किसी प्रकार की कम मूल्य पर बेचने के लिए उसकी आय नहीं मानी जाएगी और ना ही खरीददार को परेशानी होगी।
8. टैक्स ऑडिट करने की लिमिट तो अभी भी 1 करोड़ ही है, लेकिन यदि आप 95% लेना-देना दोनों चेक के माध्यम से करते हैं तो यह लिमिट 5 करोड़ थी, जिसे बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है।
9. पहले एजुकेशनल इंस्टीट्यूट इंस्टिट्यूट और हॉस्पिटल की ग्रॉस रिसीप्ट वर्ष में 1 करोड़ से कम होती थी तो उनकी आय पर टैक्स नहीं लगता था, अब इसकी लिमिट बढाकर 5 करोड़ कर दी है।
10. अब रिटर्न भरने की आखरी तारीख 31 मार्च से 3 माह घटाकर करीब 31 दिसंबर कर दी है, इसमें बिलेटेड और रिवाइज्ड रिटर्न शामिल है। आपको रिटर्न तो निर्धारित दिनांक को ही भरना है, लेकिन किसी कारण देरी हो जाए तो उपरोक्त तारीख के बाद आप रिटर्न नहीं भर पाएंगे।
11. कंप्लायंस के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति के रिटर्न की स्क्रूटनी होती है और उसने 50 लाख से कम का रिटर्न भरा है और विभाग ने 10 लाख से कम की आय का एडिशन किया है तो सरकार ने इस प्रकार के छोटे लोगों के लिए एक डिस्प्यूट रेसोलुशन समिति गठित की है, जो इस प्रकार के प्रकरण का सेटलमेंट करेगी।
12. सरकार के पास अब डिजिटल डाटा है, मिसमैच के टूल हैं। किसी भी विसंगति को जल्दी पता करके उसे संज्ञान में लाया जा सकता है। इसलिए पिछले 6 वर्ष से संबंधित असेसमेंट (रि-ओपन) खोले जा सकते थे। अब प्रस्ताव है कि इस समयसीमा को कम करके 3 वर्ष किया जाए, लेकिन अससिंग ऑफिसर के पास यदि डाटा एनालिसिस के आधार पर किसी एंट्री का मिसमैच या किसी इन्फॉर्मेशन को नहीं बताने की जानकारी रहती है तो यह भी रि-ओपन करने का पर्याप्त कारण है। लेकिन, यदि असेसिंग ऑफिसर को पता चलता है या अनुमान है कि छुपाई गई राशि 50 लाख या इससे ज्यादा की हो सकती है और विभाग के पास या ऑफिसर के पोसेशन में पुख्ता सबूत हैं तो रि-ओपनिंग की समयसीमा 10 वर्ष हो जाएगी। एक धारा 148A जोड़ी है जिसमे कहा है कि नोटिस के पहले व्यक्ति को रि-ओपनिंग क्यों कर रहे हैं। पहले 7 दिन में जवाब मांगा जाएगा, उसके बाद इस संबंध में स्पीकिंग ऑर्डर पास करेंगे कि रि-ओपनिंग के लिए यह फिट केस है या नहीं। लेकिन सर्च के मामलों में इसकी जरूरत नहीं रहेगी।
13. फेसलेस की तरफ एक कदम और बढ़ाते हुए अब ट्रिब्यूनल की कार्रवाई भी फेसलेस होगी।
14. 1 फ़रवरी से सेटलमेंट कमीशन को खत्म कर दिया है। पेंडिंग केसेस को निपटने के लिए अंतरिम बोर्ड गठित होगा।
15. अब रिटर्न भरने वाले वर्ष की समाप्ति के बाद 9 माह में असेसमेंट पूर्ण करना है। पहले इसकी सीमा 12 माह थी।
16. कुछ लोग गुडविल पर घसारा लेते थे। अब इस पर घसारा नहीं मिलेगा। यह कैपिटल एसेट्स मानी जाएगी।