बारिश और बर्फबारी ने कांगड़ियों में डाल दी जान, बिक्री न के बराबर हो चली थी
Kangri sales increased: कश्मीर में बारिश और बर्फबारी (rain and snowfall) के साथ समाप्त हुए लंबे सूखे के दौर ने कांगड़ियों (पारंपरिक आग के बर्तन) की बिक्री को एक बार फिर बढ़ा दिया है और लोग ठंड से बचने के लिए नवीनतम हीटिंग गैजेट्स (heating gadgets) की तुलना में इसे पसंद कर रहे हैं। 2 महीने लंबे सूखे के दौरान कांगड़ी (Kangri) की बिक्री में जबर्दस्त गिरावट आई जिससे कांगड़ी निर्माताओं को घाटा हुआ। प्रासंगिक रूप से आग के बर्तन मुख्य रूप से बर्फबारी से पहले बेचे जाते हैं, क्योंकि लोग ठंड के मौसम के लिए खुद को तैयार रखते हैं।
दिसंबर माह में कांगड़ी की बिक्री स्थिर रही : कांगड़ी के जानकार गुलाम कादिर शकशाज कहते थे कि दिसंबर महीने में कांगड़ी की बिक्री लगभग स्थिर रही, लेकिन ऊपर वाले का शुक्र है कि बर्फबारी के बाद तापमान में और गिरावट आई, हालांकि श्रीनगर में थोड़ा समय बीतने के बाद भी बिक्री एक बार फिर बढ़ गई है। वे पिछले 25 वर्षों से कांगड़ियों को बेचने का व्यवसाय कर रहे हैं।
सर्दी में लंबे समय तक शुष्क मौसम रहा : दिलचस्प बात यह है कि इस सर्दी में लंबे समय तक शुष्क मौसम रहा और दिन के तापमान में वृद्धि हुई जिसके कारण लोगों ने कांगड़ी छोड़ दी। 70 साल के अब्दुर रशीद मत्ता कहते थे कि यह सीजन बिक्री के लिए अच्छा नहीं था। श्रीनगर के बाहरी इलाके में उनकी दुकान कई बिना बिके उत्पादों से भरी हुई है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी अच्छी बिक्री देखी जा रही है। मत्ता कहते थे कि इस समय तक मैं सारी कांगड़ियां बेच चुका होता लेकिन इस साल मुझे पर्याप्त ग्राहक नहीं मिले। पिछले कुछ दिन अच्छे रहे, क्योंकि लोगों ने बड़ी संख्या में कांगड़ियां खरीदी हैं।
मत्ता टूटे हुए आग के बर्तनों की भी मरम्मत करता है, जो उसे कठिन परिस्थितियों के बीच आजीविका कमाने में मदद करता है। मत्ता के बकौल, बाजारों में बहुत सारे इलेक्ट्रॉनिक हीटिंग गैजेट उपलब्ध हैं। बिजली के हमाम भी हैं लेकिन आग के बर्तनों की अभी भी मांग है, क्योंकि लोगों को लगता है कि कठोर सर्दियों में खुद को गर्म रखने का यह अभी भी सबसे सस्ता तरीका है।
एक भी उपहार कांगड़ी नहीं बेची: दरअसल कांगड़ियों की बिक्री में गिरावट के पीछे शुष्क मौसम एकमात्र कारण नहीं हो सकता, क्योंकि लोग मौसम से पहले सर्दियों की खरीदारी करते हैं। आज श्रीनगर में कांगड़ी बेचने वाली एक दुकान पर लोगों को कीमत के लिए मोलभाव करते देखा गया जिससे फिर साबित होता है कि शुष्क मौसम नहीं बल्कि संसाधनों की कमी मुख्य कारण है। दाऊद, जो अब कई वर्षों से इस व्यवसाय में है, कहते थे कि मैंने इस वर्ष एक भी उपहार कांगड़ी नहीं बेची। इन गिफ्ट में दी जाने वाली डिजाइनर कांगड़ियों की कीमत 5,000 रुपए तक है।
एक गृहिणी शमीमा कहती थीं कि वे हर साल ठंड से बचने के लिए कांगड़ी का उपयोग करती हैं, चाहे बर्फबारी हो या बर्फबारी न हो। शमीमा के शब्दों में बिजली की लंबी कटौती का शेड्यूल लोगों को वापस कांगड़ी की ओर ले जाता है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। जब आपके पास बिजली न हो तो इलेक्ट्रॉनिक हीटर या इलेक्ट्रिक हमाम रखने का कोई मजा नहीं है।
Edited by: Ravindra Gupta