जम्मू कश्मीर में नया खतरा हैं ड्रोन, ड्रग्स-हथियारों की डिलीवरी से बम हमलों तक हो रहा है इस्तेमाल
जम्मू। जम्मू कश्मीर में ड्रोन नए खतरे के रूप में तेजी से सामने आए हैं। दरअसल अब हथियारों, मादक पदार्थों की डिलीवरी से बम हमलों तक इन ड्रोनों ने इस्तेमाल हो रहा है। पिछले साल पहली बार देश के किसी वायुसैनिक हवाई अड्डे पर ड्रोन से हुए बम हमले ने सुरक्षा व्यवस्था और एयर डिफेंस सिस्टम की स्टीकता पर भी सवाल उठा दिए थे। यह उन दावों की पोल भी खोलते थे जिनमें अकसर सुरक्षा एजेंसियां दावा करती हैं कि एंटी ड्रोन टैक्नोलाजी का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जम्मू के सभी सीमावर्ती इलाकों में इसे स्थापित किया गया है और यहीं कारण है कि ड्रोन से हथियार व नशीले पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगा है, जबकि आए दिन ड्रोन सीमावर्ती इलाकों में देखे जा रहे हैं।
25 फरवरी 2021 को भारत-पाकिस्तान के बीच 2003 के सीजफायर के समझौते को फिर से लागू किए जाने के बाद यह बड़ा आतंकी हमला है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, हमले का निशाना और उसका तरीका तय करता है कि वह कितना बड़ा है।
उन्होंने कहा कि यह वायुसेना की प्रतिरक्षा प्रणाली, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बरती जा रही चौकसी में लापरवाही की तरफ भी हमारा ध्यान दिलाता है। उनका कहना था कि अगर यह ड्रोन हमला है, तो इसके विभिन्न पहलुओं की गहन जांच जरुरी है। यह हमला सिक्योरिटी सिस्टम पर सवाल उठाता था।
पाकिस्तान में बैठे आतंकी अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 20-25 किलोमीटर दूर स्थित भारतीय वायुसेना के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला करें और उसमें पाकिस्तानी सेना का सहयोग न हो, यह कैसे हो सकता है।
आतंकियों को इस तरह का ड्रोन और टेक्नोलाजी पाकिस्तानी सेना ने ही दी है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर यह कहा जाएगा कि जम्मू में ही एयरपोर्ट के आस-पास किसी सक्रिय आतंकी ने यह काम किया है, तब भी यह हमारी नाकामी कही जाएगी और उसके पास भी यह ड्रोन और विस्फोटक पाकिस्तानी सेना की मदद से ही पहुंचा है।
यह भी सच है कि पाकिस्तान प्रदेश में हथियारों व मादक पदार्थों की सप्लाई के लिए ड्रोन का खुल इस्तेमाल कर रहा है। प्रदेश में इंटरनेशनल बार्डर तथा एलओसी पर पिछले दो साल में उसने 18 बार ऐसी कामयाब डिलीवरी भी की हैं और सफलतापूर्वक ड्रोन से बम हमला भी किया है।
यह तथ्य चौंकाने वाला है कि जम्मू का वायुसैनिक हवाई अड्डा हमेशा पाक सेना के निशाने पर रहा है जो इंटरनेशनल बार्डर की जीरो लाइन से जमीनी मार्ग से 14 किमी दूर है तो हवाई दूरी मात्र 5 किमी की है।
लेह लद्दाख, करगिल और सियाचिन हिमखंड के ठिकानों तक रसद पहुंचाने में यह अपनी अहम भूमिका निभाता है तो कश्मीर में फैले आतंकवाद के दौरान भी यह सुरक्षाबलों के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं है। अब इसे ड्रोन बम हमलों से निशाना बना पाक सेना ने भारतीय सेना व वायुसेना के लिए एक नया मोर्चा जरूर खोल दिया हुआ है।