IPL 2023 जानिए में धमाल मचाने वाले तिलक वर्मा की कहानी, कैसे तंगी से जूझ कर बनाया मुकाम
विश्व की सबसे बड़ी टी-20 लीग, आईपीएल (IPL) बड़े जोरो शोरो से चल रही है और अब तक इसके 46 मैच खेले जा चुके हैं। 46वा मैच बुधवार को मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) और पंजाब किंग्स (Punjab Kings) के बीच मोहाली में खेला गया था जिसमे पंजाब के दिए हुए टारगेट का पीछा करते वक़्त 20 साल के युवा खिलाडी, तिलक वर्मा ने एक अच्छी पारी खेली और अंत में एक ज़ोरदार छक्का लगा कर मुंबई इंडियंस को जीता दिया। मैच के बाद से ही इस युवा खिलाड़ी के हुनर की चर्चा हर जगह की जा रही है और कई क्रिकेट विशेषज्ञो का मानना है कि तिलक वर्मा जल्द ही हमें नीली जर्सी में भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के लिए भी खेलते दिखाई देंगे।
आइये विस्तार से जानते हैं कौन है तिलक वर्मातिलक वर्मा बाएं हाथ के बल्लेबाज और दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक गेंदबाज हैं। इनका जन्म 8 नवंबर 2002 को हुआ था। यह खिलाड़ी हैदराबाद से आतें हैं और आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हैं। उन्होंने दिसंबर 2018 में हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी (2018-2019) में डेब्यू किया और फरवरी 2019 में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (Syed Mushtaq Ali Trophy) में। तिलक 2020 अंडर-19 विश्व कप में भी खेल चुके हैं। उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी (2020-2021) में 2 शतक लगाए, जिसने मुंबई इंडियंस का ध्यान आकर्षित किया और मुंबई इंडियंस ने उन्हें 2022 में 1 करोड़ 70 लाख रुपये में खरीदा। तभी से तिलक वर्मा मुंबई इंडियंस के लिए अच्छा प्रदर्शन करते आ रहे हैं लेकिन इन्हे निखारने और इतने बड़े प्लेटफार्म तक लाने में सिर्फ मुंबई इंडियंस का हाथ नहीं है बल्कि उनके कोच सलाम बायश का भी है।
तिलक वर्मा के परिवार की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं थी। तिलक के पीता नंबूरी नागराजू, जो इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करते हैं, उनका कहना है कि कोच सलाम बयाश के योगदान के बिना उनके बेटे का यहाँ तक पहुंच पाना संभव नहीं हो पाता। कोच, सलाम बायश ने एक बार तिलक को एक मैदान में टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते हुए देखा था और तिलक की बल्लेबाजी से प्रभावित होकर उन्होंने तिलक को ट्रैन करने की ठानी। उन्हें पता था कि तिलक वर्मा का हुनर काफी ऊंचाई छूने के काबिल है।
कोच ने तिलक के पिता से बात कि और कहा कि वो तिलक को ट्रैन करेंगे और 40 किमी दूर अकादमी के लिए उन्हें उनके घर पर लेने भी आएँगे और घर वापस छोड़ने भी। तिलक के पिता कोच सलाम की बात से सहमत हुए। कोच सलाम बायश जो कि तिलक के घर से दो किलोमीटर दूर रहते थे, तिलक को अपनी बाइक से लिंगमपल्ली, हैदराबाद में अकादमी के लिए तिलक को लेने आते और घर छोड़ने भी जाते। 40 किलोमीटर की यह यात्रा एक साल तक हर दिन ऐसे ही चली और फिर कोच सलाम ने तिलक के पीता को अकादमी के पास ही शिफ्ट सलाह दी ताकि समय व्यर्थ न हो और तिलक उस समय का अपनी ट्रेनिंग में प्रयोग कर सके। तिलक के परिवार के पास बल्ला खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे, कोच सलाम ने तिलक को उसमे भी मदद की।
“मैंने पहली बार तिलक को बरकस मैदान में देखा, जहाँ वह अपने दोस्तों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेल रहे थे। मैंने उस से पूछा कि वह कहां ट्रेनिंग करता है। उसने कहा, 'मैं इसी मैदान पर ही खेलता हूं। तभी मैंने उसके पिता को फोन किया। मैंने उनसे तिलक को अकादमी में नामांकित करने का अनुरोध किया क्योंकि तिलक में क्षमता थी," बयाश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया।
उन्होंने कहा “उनके पिता शुरू में उनकी आर्थिक तंगी के कारण सहमत नहीं थे। उनका घर मेरे घर से दो किलोमीटर दूर था, और मैंने कहा कि मैं तिलक के ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी लूंगा।आपको उसे रोज लेने और छोड़ने की जरूरत नहीं है, और मैं उसकी फीस भी माफ कर दूंगा। फिर वे मान गए।"सलाम का तिलक पर विश्वास सफल रहा और तिलक आज आईपीएल जैसी लीग में धूम मचा रहे हैं। अगर यह इसी जज्बे के साथ खेलते रहे तो यह जल ही हमें टीम इंडिया के लिए खेलते दिखाई देंगे।