दस साल पुराना डरावना इतिहास, जब वर्ल्डकप के ठीक पहले था आईपीएल
नई दिल्ली। 1 जून से विश्वकप शुरु हो जाएगा, लगभग सारी टीमों ने अपनी टीमों की घोषणा कर दी है। लेकिन आईपीएल में किसी भी टीम का खिलाड़ी फ्रेंचाइजी को मना करने के मूड में नहीं दिख रहा है। न ही बैंगलोर के विराट कोहली बैंच पर बैठे हैं और न ही मुंबई इंडियन्स के रोहित शर्मा। यही हाल कमोबेश विदेशी खिलाड़ियों का भी है।
इसका अर्थ यह है कि जिन खिलाड़ियों की फिटनेस हमेशा अच्छी रहती है उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं है। जिनकी फिटनेस सवालों के घेरे में रहती है वह इस वक्त आग से खेल रहे हैं। जसप्रीत बुमराह की फिटनेस खासी अच्छी रहती है लेकिन कप्तान विराट कोहली ने पहले ही मुंबई इंडियंस फ्रेंचाइजी से निवेदन किया था कि उन्हें आराम करवाएं। हालांकि अभी वह खुद अपनी बैंगलोर फ्रेंचाइजी के लिए लगातार खेल रहे हैं।
डर इस बात का भी है कि साल 2009 में भी टीम इंडिया के सभी खिलाड़ियों ने आईपीएल में जी जान से खेला था लेकिन इसके तुरंत बाद इंग्लैंड में टी-20 विश्वकप खेला गया, जिसमें भारत का प्रदर्शन काफी लचर था। इसका कारण यह था कि ज्यादातर खिलाड़ी थके हुए दिख रहे थे। टीम इंडिया सेमीफाइनल में भी जगह नहीं बना पायी थी। उम्मीद है वह कहानी दुबारा न दोहरायी जाए।
इस बार विश्वकप में भी लगातार मैच होने हैं। हर टीम कम से कम 9 मैच खेलेगी क्योंकि ग्रुप स्टेज खत्म कर दी गई है ऐसे में खिलाड़ियों को जरुरत है कि आईपीएल में एक दो मैच के आराम के बाद खेलते रहें। हालांकि फ्रेंचाइजी के दबाव में खिलाड़ी कुछ नहीं बोल पाता।
खासकर गेंदबाज और बड़े खतरे से खेल रहे हैं क्योंकि गेंदबाजी में किसी भी पल खिलाड़ी को चोट लग सकती है और थकान भी काफी होती है। यह बात तब और डरावनी हो जाती है।