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Last Updated : बुधवार, 16 अक्टूबर 2024 (09:05 IST)

निज्जर मामले में अमेरिका के बिगड़े बोल, भारत जांच में कनाडा को सहयोग नहीं कर रहा

निज्जर मामले में अमेरिका के बिगड़े बोल, भारत जांच में कनाडा को सहयोग नहीं कर रहा - usa on canada claim on nijjar assassination
India Canada tension : अमेरिका ने मंगलवार को आरोप लगाया कि भारत पिछले साल एक सिख अलगाववादी की हत्या के मामले में कनाडा की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
 
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कनाडा के मामले की बात करें तो हमने स्पष्ट कर दिया है कि आरोप बेहद गंभीर हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। हम चाहते थे कि भारत सरकार कनाडा के साथ जांच में सहयोग करे। जाहिर है, उन्होंने वह रास्ता नहीं चुना है।
 
हालांकि, अमेरिका ने भारत-कनाडा कूटनीतिक विवाद पर टिप्पणी करने से परहेज किया। मिलर ने कहा कि मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन जैसा कि हमने पहले कहा है, ये गंभीर आरोप हैं। हम चाहते हैं कि भारत इन्हें गंभीरता से ले तथा कनाडा की जांच में सहयोग करे। लेकिन उन्होंने दूसरा रास्ता चुना है।
 
क्या है कनाडा के आरोप : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक दिन पहले आरोप लगाया था कि पिछले साल जून में सरे में सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के अधिकारी शामिल थे।
 
ट्रूडो ने आरोप लगाया कि देश के राष्ट्रीय पुलिस बल रॉयल कनाडियन माउंटेड पुलिस के पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट ऐसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और अब भी शामिल हैं जो सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं। इसमें गुप्त सूचना एकत्र करने की तकनीकें, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को निशाना बनाने वाला बलपूर्वक व्यवहार और हत्या सहित एक दर्जन से अधिक धमकी भरे और हिंसक कृत्यों में शामिल होना शामिल है। यह अस्वीकार्य है।
 
क्या है भारत का पक्ष : इन आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने न केवल कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया, बल्कि नई दिल्ली से उसके छह राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया।
 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सितंबर 2023 में प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा कुछ आरोप लगाए जाने के बाद से कनाडा सरकार ने हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है। यह हालिया कदम उन बातचीत के बाद उठाया गया है जिसमें फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए हैं। इससे इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि यह जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए जानबूझकर भारत को बदनाम करने की एक रणनीति है।
 
विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रूडो का भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण रुख लंबे समय से देखने को मिल रहा है। ट्रूडो ने 2018 में भारत की यात्रा की थी जिसका मकसद वोट बैंक को साधना था, लेकिन यह यात्रा उन्हें असहज करने वाली साबित हुई। उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत को लेकर चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं। दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाहते थे।
 
मंत्रालय ने कहा कि उनकी सरकार एक राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के खिलाफ खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं जिससे मामला और बिगड़ गया। कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप को नजरअंदाज करने के लिए आलोचना झेल रही उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को शामिल किया है। भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह ताजा घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है। यह कोई संयोग नहीं है कि यह उस समय हुआ है जब प्रधानमंत्री ट्रूडो को विदेशी हस्तक्षेप पर एक आयोग के समक्ष गवाही देनी है। यह भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को भी बढ़ावा देता है जिसे ट्रूडो सरकार ने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए लगातार बढ़ावा दिया है।
 
भारत ने कहा कि ट्रूडो सरकार ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों और समुदाय के नेताओं को परेशान करने, धमकाने और भयभीत करने के इरादे से जानबूझकर हिंसक चरमपंथियों और आतंकवादियों को अपने यहां आश्रय दिया है।
 
मंत्रालय ने कहा कि इसमें राजनयिकों और भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकियां देना भी शामिल है। इन सभी गतिविधियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उचित ठहराया गया है। कनाडा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले कुछ व्यक्तियों को नागरिकता देने के लिए तेजी से काम किया गया। कनाडा में रहने वाले आतंकवादियों और संगठित अपराध के नेताओं के संबंध में भारत सरकार की ओर से कई प्रत्यर्पण अनुरोधों की अनदेखी की गई है। 
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