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Last Updated : मंगलवार, 28 मई 2019 (16:25 IST)

करतारपुर गलियारे पर नहीं बनी बात, पुल और सड़क को लेकर असमंजस

करतारपुर गलियारे पर नहीं बनी बात, पुल और सड़क को लेकर असमंजस - Things not made on the Kartarpur corridor
लाहौर। पाकिस्तान स्थित सिखों के धार्मिक स्थल दरबार साहिब और भारत के डेरा बाबा नानक से जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी करतारपुर गलियारा परियोजना में दोनों देशों के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच एक राय नहीं बन पाई है।
 
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार दोनों देशों के तकनीकी विशेषज्ञों के मध्य रावी खादर के ऊपर पुल निर्माण पर सहमति नहीं बनने से विशेषकर सिख श्रद्धालुओं के लिए निर्मित इस परियोजना में बाधा आ गई है।
 
दोनों देशों के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच करतारपुर शून्य बिन्दु पर इस गलियारे की कार्य प्रणाली को लेकर विचार-विमर्श बैठक हुई। तकनीकी विशेषज्ञों की बैठक महज एक घंटे चली और इस अवधि में दोनों देशों की तरफ से बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने करतारपुर निर्माण कर्य को लेकर एक दूसरे के साथ जानकारी साझा की। 
 
बैठक में पाकिस्तान की तरफ से संघीय जांच एजेंसी, सीमा, निर्माण, पाकिस्तान रेंजर्स पंजाब और पाकिस्तान सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी शामिल हुए। भारत की तरफ से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकारण, सीमा सुरक्षा बल और सीमा एवं आव्रजन विभाग के अधिकारियों ने शिरकत की।
 
सूत्रों ने बताया कि भारत रावी नदी पर एक किलोमीटर लंबे पुल का निर्माण चाहता था जबकि पाकिस्तान का सुझाव था कि सड़क निर्माण की जरूरत है। भारतीय अधिकारियों का कहना था कि रावी नदी में बाढ़ की स्थिति में सड़क मार्ग प्रभावित हो सकता है। 
पाकिस्तान के अधिकारी भारत के प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए और कहा कि बाढ़ की स्थिति में एक बांध सड़क के इर्द-गिर्द बनाया जा सकता है और सड़क को ऊंचा कर बनाया जा सकता है। दोनों देशों के बीच इस परियोजना को लेकर अगली बैठक की तिथि को लेकर सहमति नहीं बन पाई।
 
इससे पहले दोनों देशों की तकनीकी टीम की 16 अप्रैल को बैठक हुई थी। इस बैठक में दोनों देशों की तरफ से की गई सिफारिशों पर एक दूसरे को कुछ आपत्ति थी। इस बैठक से पहले 19 मार्च को पाकिस्तान और भारत के तकनीकी विशेषज्ञ जीरो लाइन पर मिले थे और करतारपुर गलियारे के विकास और इसे अंतिम रूप देने पर विचार-विमर्श किया था।
 
करतारपुर साहिब गुरद्वारा पाकिस्तान, भारत सीमा से चार किलोमीटर दूर नारोवल के एक छोटे शहर में स्थित है। यहां पर सिख संप्रदाय संस्थापक बाबा गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष व्यतीत किए थे। इस परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की तरफ पिछले साल 28 नवंबर को किया था।