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Last Updated : मंगलवार, 6 जून 2023 (15:17 IST)

राष्ट्रपति मुर्मू ने की सूरीनाम के प्रवासी भारतीयों के लिए OIC कार्ड नियमों में छूट की घोषणा

राष्ट्रपति मुर्मू ने की सूरीनाम के प्रवासी भारतीयों के लिए OIC कार्ड नियमों में छूट की घोषणा - President Draupadi Murmu announces relaxation in OIC card rules
पारामारिबो। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने घोषणा की है कि भारत ने सूरीनाम में मूल भारतीय प्रवासियों के 'ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया' (ओसीआई) कार्ड के लिए पात्रता मानदंड को 4थी से 6ठी पीढ़ी तक बढ़ाने का फैसला किया है, जो 150 साल पुराने द्विपक्षीय संबंधों में उनके महत्व को दर्शाता है।
 
मुर्मू ने सोमवार को यहां इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर एक समारोह को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। इससे पहले सूरीनाम के अपने समकक्ष चंद्रिका प्रसाद संतोखी के साथ वे सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित एक सांस्कृतिक समारोह की गवाह बनीं। विदेश में बसे और वहां की नागरिकता ले चुके भारतीय लोगों के लिए ओसीआई कार्ड की सुविधा प्रदान की गई है। उल्लेखनीय है कि 452 भारतीय मजदूरों को लेकर 5 जून, 1873 को पहला जहाज 'लल्ला रुख' सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो पहुंचा था। इनमें ज्यादातर मजदूर पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के रहने वाले थे।
 
मुर्मू ने कहा कि आज इस ऐतिहासिक अवसर पर मुझे इस मंच पर यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि मेरी सरकार ने ओसीआई कार्ड के लिए पात्रता मानदंड को 4थी से 6ठी पीढ़ी तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि ओसीआई कार्ड को भारत के साथ उनके 150 साल पुराने संबंधों की एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा सकता है।
 
उन्होंने प्रवासी भारतीयों से भारत के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने के प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। इससे पहले ओसीआई सुविधा भारत से सूरीनाम पहुंचे समुदाय के मूल पूर्वजों की केवल 4 पीढ़ियों तक के लिए ही थी। नतीजतन 5वीं और बाद की पीढ़ियों से संबंधित समुदाय के कई युवा सदस्य इस लाभ से वंचित थे।
 
मुर्मू ने कहा कि हम सभी सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आज यहां एकत्र हुए हैं, जो सूरीनाम के इतिहास में मील का एक महत्वपूर्ण पत्थर है। इस अवसर पर मैं अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं और उन लोगों को सलाम करती हूं जिन्होंने इस राष्ट्र के निर्माण में मदद की।
 
उन्होंने कहा कि एक बहुसांस्कृतिक समाज और अवसरों की भूमि के रूप में सूरीनाम ने उन सभी विभिन्न समुदायों का स्वागत किया है, जो यहां आए और बस गए। उन्होंने कहा कि इन वर्षों के दौरान विविध समुदाय एक परिवार और एक देश के रूप में विकसित हुए। उन्होंने एकता और समावेशिता के प्रति समर्पण और प्रतिबद्धता के लिए सूरीनाम के लोगों की सराहना भी की।
 
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि विशाल भौगोलिक दूरियों, विभिन्न समय क्षेत्रों और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद भारतीय प्रवासी हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है और दोनों देशों के बीच बहुत सारी समानताएं भी हैं।
 
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोग एक-दूसरे के समाज में बहुत आसानी से मिल-जुल सकते हैं। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपने घर पर हूं। उन्होंने कहा कि पिछले 150 वर्षों में भारतीय समुदाय न केवल सूरीनाम में समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है, बल्कि यह भारत और सूरीनाम के बीच गहरी साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है।
 
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे समय में जब सूरीनाम अपने पूर्वजों की विरासत और भारत के साथ अपने संबंधों का जश्न मना रहा है, भारत एकजुटता और श्रद्धा के साथ सूरीनाम के साथ खड़ा है। सूरीनाम और भारत दोनों ने औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि के बाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं और सामाजिक प्रणालियों के पुनर्निर्माण के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि इस अनुभव ने दोनों देशों के बीच एकजुटता की भावना पैदा की है।
 
मुर्मू ने कहा कि भारत-सूरीनाम द्विपक्षीय संबंध विकास की साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारतीय समुदाय इस संबंध को मजबूत करना जारी रखेगा और आप में से प्रत्येक व्यक्ति दोनों देशों को जोड़ते हुए भारत और सूरीनाम के बीच एक पुल के रूप में काम करता रहेगा। इस अवसर पर मैं आप सभी को भारत आने, भारत की विकास यात्रा देखने और उसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करती हूं।
 
इससे पहले सोमवार को राष्ट्रपति ने बाबा और माई स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बाबा और माई स्मारक सूरीनाम में पहली बार पैर रखने वाले पहले भारतीय पुरुष और महिला का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद उन्होंने मामा श्रनन स्मारक में सम्मान व्यक्त किया। इस स्मारक में एक महिला अपने 5 बच्चों को लिए हुए है। इस महिला को सूरीनाम की मां मामा श्रनन तथा पांचों बच्चों को सूरीनाम की 5 विशेषताओं का प्रतीक माना जाता है।
 
मुर्मू ने सूरीनाम के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में आयोजित दोपहर के भोज में भी भाग लिया। इस दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने एक समावेशी विश्व व्यवस्था के लिए भारत के उस दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो हर देश और क्षेत्र के वैध हितों और चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। मुर्मू 3 दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को सूरीनाम पहुंचीं। पिछले साल जुलाई में पदभार संभालने के बाद यह उनकी पहली राजकीय यात्रा है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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