Last Modified: वॉशिंगटन ,
शनिवार, 19 अगस्त 2017 (14:49 IST)
पाकिस्तान में हिन्दू और ईसाइयों के जबरन धर्मान्तरण से अमेरिका नाराज
अमेरिका में सात सांसदों के द्विदलीय समूह ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघनों पर चिंता जताई और विदेश मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान के साथ बातचीत के दौरान इस मुद्दे को प्राथमिकता दें।
सांसदों ने दक्षिण और मध्य एशिया के कार्यवाहक सहायक सचिव जी वेल्स और पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डेविड हाले को 17 अगस्त को एक पत्र लिखा।
कांग्रेस में सिंध कॉकस के अध्यक्ष ब्रैड शेरमन की अध्यक्षता में सांसदों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'हम पाकिस्तान के सिंध प्रांत में मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में अपनी चिंताएं व्यक्त करते हैं। ऐसे में जब अमेरिका, पाकिस्तान के प्रति अपनी नीति की समीक्षा कर रहा है और उस देश में हाल ही में राजनीतिक नेतृत्व में बदलाव आया है तो हम आपसे अनुरोध करते हैं कि पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत में मानवाधिकारों और लोकतंत्र को प्राथमिकता दें।'
पत्र पर कैरोलिन मैलोनी, एलीनर होम्स नोर्टन, एडम शिफ, बारबरा कॉमस्टॉक, ट्रेंट फ्रैंक और डाना रोहराबाचर ने भी हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में कहा गया है, 'हम आपसे सिंध में झूठे आरोपों पर बंदी बनाए गए लोगों को रिहा करने, सिंधी लोगों की धार्मिक आजादी की रक्षा करने, अल्पसंख्यक सिंधी लड़कियों और महिलाओं के जबरन धर्म परिवर्तन को खत्म करने और सिंध में मानवाधिकारों को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग को लेकर पाकिस्तान सरकार से बात करने का अनुरोध करते हैं।'
सांसद ने कहा कि सिंध के लोग धार्मिक चरमपंथी हमलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिंध ने ऐतिहासिक तौर पर सभी धर्मों और जातियों के लोगों का स्वागत किया है और वह ईसाईयों, सूफियों, और हिंदूओं का घर है।
सांसदों ने लिखा, 'सटीक संख्या स्पष्ट नहीं है लेकिन रिपोर्टों से पता चलता है कि हर साल पाकिस्तान में 1,000 से ज्यादा लड़कियों और युवतियों का जबरन धर्मांतरण कर शादी कराई जाती है जिनमें से कई लड़कियां सिंध की हैं। पाकिस्तान सरकार ने इसे रोकने के लिए कुछ खास नहीं किया है।'
उल्लेखनीय है कि सिंध में शिया, बलोच और अमदिया के साथ ही पाकिस्तान मुहाजिर भी अब सुरक्षित नहीं रहे हैं। (भाषा)