ब्रिटेन में भारतीय मूल के लोगों को अंग प्रत्यारोपण में नहीं आएगी परेशानी, बना नया कानून
लंदन। देश में भारतीय मूल के लोगों में प्रतिरोपण के लिए अंगों की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए ब्रिटेन की सरकार ने अंग और ऊतक दान देने संबंधी कानून में परिवर्तन की नई योजनाओं की रविवार को घोषणा की। अंग और ऊतक दान करने में सहमति से जुड़ी नई प्रणाली के इंग्लैंड में 2020 से प्रभावी होने की संभावना है।
इस योजना को जीवनरक्षक प्रतिरोपण का बेसब्री से इंतजार कर रहे अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यक जातीय समूह (बीएएमई) के लोगों को मदद पहुंचाने के तौर पर देखा जा रहा है। इस नई प्रस्तावित सहमति प्रणाली के तहत वे लोग भी सरकार द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) अंगदान रजिस्टर (ओडीआर) में अपना निर्णय दर्ज करा पाएंगे, जो अंगदान नहीं करना चाहते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य एवं असमानता पर ब्रिटेन की अवर विदेश मंत्री जैकी डोयल प्राइस ने बताया कि नि:संदेह अंग दान बेहद निजी इच्छा का मामला है और कई लोगों में इस तरह के निर्णय में उनकी मान्यताएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने कहा कि हम लोगों को उनका बयान दर्ज कराना और उनके फैसले को दोस्तों, परिवारों और एनएचएस कर्मचारियों से साझा करना बेहद आसान बनाना चाहते हैं ताकि वे अपनी इच्छाओं को लेकर आत्मविश्वासी रह सकें। कोई अंगदान करना चाहे है या नहीं उसका हमेशा सम्मान किया जाएगा।
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब हाल की एक रिपोर्ट में एनएचएस से कहा गया था कि वे ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के लोगों में अंग दान का स्तर कम होने की वजह से हुई मौतों पर सक्रिय रूप से निर्णय लें। (भाषा)