महामारी के बीच दुनियाभर में पिछड़ रहा लोकतंत्र, निरंकुश शासन में अभिव्यक्ति की आजादी प्रतिबंधित
कोपनहेगन। एक अंतरसरकारी निकाय ने सोमवार को अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आ रही है और देश कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए अलोकतांत्रिक और अनावश्यक कार्रवाई कर रहे हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों पर काम करने वाली संस्था 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस' (आईडीईए) ने कहा कि कई लोकतांत्रिक सरकारें गलत ढंग से कार्रवाई कर रही हैं।
इस रिपोर्ट में भारत का भी जिक्र है। एशिया के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान, हांगकांग और म्यांमार को बढ़ती निरंकुशता की लहर का सामना करना पड़ा है। लेकिन भारत फिलीपीन्स और श्रीलंका में भी लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन का प्रभाव अपनी खुद की निरंकुशता के साथ लोकतांत्रिक स्वरूप की वैधता को भी खतरे में डालता है। इस 34 देशों वाले संगठन ने कहा कि अगस्त 2021 तक 64 प्रतिशत देशों ने महामारी पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की जिसे वह 'अनावश्यक या अवैध' मानता है। संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन देशों में भी स्थिति खराब हो रही है, जो लोकतांत्रिक नहीं हैं, निरंकुश शासन में अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित कर दिया गया है और कानून का शासन कमजोर हो गया है।
लोकतंत्र की स्थिति पर अपनी प्रमुख रिपोर्ट में आईडीईए ने कहा कि पिछले एक दशक में विशेष रूप से अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और स्लोवेनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है। इंटरनेशनल आईडीईए के महासचिव केविन कैसास-जमोरा ने एक बयान में कहा कि यह लोकतंत्र के लिए साहसी होने और खुद को पुनर्जीवित करने का समय है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर, 2020 में सत्तावादी दिशा में आगे बढ़ने वाले देशों की संख्या लोकतांत्रिक दिशा में जाने वालों की संख्या से अधिक है। इसमें कहा गया है कि पिछले 2 वर्षों में, दुनिया में कम से कम 4 देशों में 'या तो त्रुटिपूर्ण चुनावों या सैन्य तख्तापलट के जरिए लोकतंत्र खो चुका है।