अगर आप कॉफी पीते हैं तब यह भी जानिए
कैलिफोर्निया। यहां एक अदालत ने वहां के राज्य के कॉफी रिटेलर्स को निर्देश दिया है कि वह अपनी कॉफी के साथ लोगों को यह चेतावनी भी दें कि कॉफी पीने से कैंसर हो सकता है।
कॉफी के समर्थन और विरोध में आपने बहुत सारी बातें सुनी होंगी लेकिन कैलिफोर्निया की एक अदालत ने वहां के कॉफी रिटेलर्स को निर्देश दिया है कि वह अपनी कॉफी के साथ लोगों को यह चेतावनी भी दें कि कॉफी पीने से कैंसर हो सकता है। यह बहुत चौंकाने वाला फैसला है लेकिन पहले इस फैसले की पृष्ठभूमि के बारे में जानना बेहतर होगा।
विदित हो कि अमेरिका की एक गैर सरकारी संस्था ने स्टारबक्स, डनकिन डोनट्स और मैकडोनाल्ड्स सहित करीब 90 कॉफी रिटेलर्स पर वर्ष 2010 में एक मुकदमा दर्ज किया था। इन पर यह आरोप लगाया गया कि इन कंपनियों ने राज्य के उस कानून का उल्लंघन किया है जिसके तहत हर कंपनी को अपने उपभोक्ताओं को यह बताना आवश्यक होता है कि उनके द्वारा बेचे जा रहे पदार्थ में ऐसे रसायन मौजूद हैं जोकि कैंसर की वजह बन सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि एक ऐसे ही रसायन का नाम -एक्राइलअमाइड- (AcrylAmide) है जोकि कैंसर का कारण बन सकता है। जानकारों का कहना है कि एक्राइलअमाइड एक ऐसा उप उत्पाद होता है जोकि कॉफी के बीजों को भूनने के दौरान पैदा होता है और जब कॉफी तैयार हो जाती है तब भी यह रसायन मौजूद होता है। जब यह मामला अदालत में गया, तो लॉस एंजिलिस के जज ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर पाया, कि कॉफी बेचने वाली तमाम कंपनियां इस कानून का उल्लंघन कर रही हैं।
इतना ही नहीं अदालत में पेश दस्तावेजों के आधार पर कोई भी कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि कॉफी के भूनने की प्रक्रिया के बनने वाला यह रसायन खतरनाक नहीं है। इसी के बाद अदालत ने इन सभी कंपनियों को आदेश जारी किया था कि वे अपनी कॉफी पर कैंसर के बारे में चेतावनी देने वाला चिन्ह लगाएं। साथ ही वे उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी दें कि उनकी कॉफी में एक कैंसर कारक रसायन मौजूद है। कोर्ट के फैसले के बाद अब आप एक्राइल अमाइड के बारे में भी जान लें।
अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं है कि यह रसायन केवल कॉफी में ही पाया जाता है क्योंकि वर्ष 2002 में स्वीडन में एक वैज्ञानिक ने अपने शोध में पाया कि यह रसायन कई खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। इसके बारे में उल्लेखनीय बात यह है कि बिना पके खाद्य पदार्थों में यह रसायन नहीं पाया जाता। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप आलू या स्टार्च जैसे पदार्थ को तेज तापमान पर पकाते हैं तो उसमें भी ये रसायन पैदा होने की आशंका पैदा होती है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी का कहना है कि अगर आप 120 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टार्च वाले किसी भोजन को पकाते हैं तो इसमें मौजूद शुगर और अमीनो एसिड के बीच एक रासायनिक प्रतिक्रिया होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर हम भोजन को अधिक तापमान पर तलते हैं, सेंकते हैं या भूनते हैं तो इस रसायन के अधिक मात्रा में पैदा होने की संभावना बनती है। यह रसायन ऐसे पदार्थों में पाया जाता है जोकि पौधों पर उगने वाले फल होते हैं।
यह रसायन अनाजों के उत्पादों में भी हो सकता है। यह कॉफी ही नहीं वरन फ्रेंच फ्राइज और आलू से बनने वाली चिप्स में भी पाया जाता है। सिगरेट पीने के दौरान भी यह रसायन आपके शरीर में पहुंचता है। और कैंसर का कारण बन सकता है। संभवत: आपको ज्ञात हो गया होगा कि यह रसायन किस तरह दुनिया भर के लोगों के शरीर में प्रवेश करता है। इसलिए अमेरिका का यह फैसला सारी दुनिया के लिए एक सबक है क्योंकि कॉफी तो बहुत से लोग पीना चाहते हैं लेकिन ऐसी नहीं जिससे कैंसर होने का खतरा हो।