शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. approval of China will be required for Dalai Lama successor
Written By
Last Modified: बीजिंग , शनिवार, 11 नवंबर 2023 (00:15 IST)

चीन की चाल! दलाई लामा के उत्तराधिकारी के लिए लेना होगी China की मंजूरी

Dalai Lama
Dalai Lama successor news: चीन ने शुक्रवार को कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु 88 वर्षीय दलाई लामा का कोई भी उत्तराधिकारी देश के अंदर से होना चाहिए और उसे इसकी अनुमति लेनी होगी। चीन ने भारतीय सीमा के नजदीक बुनियादी ढांचा विकास को रेखांकित करते हुए, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण तिब्बत क्षेत्र को ‘दक्षिण एशिया का द्वार’ करार दिया।
 
चीन सरकार ने एक श्वेत पत्र में कहा है कि दलाई लामा और पंचेन रिनपोचे सहित तिब्बत में रह रहे सभी अवतरित बुद्ध को देश के अंदर से ही (उत्तराधिकारी) ढूंढना होगा, सोने के कलश से लॉटरी निकालने की परंपरा के जरिए निर्णय लेना होगा और केंद्र (चीन) सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
 
इसमें तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश में सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे को भी रेखांकित किया गया है। चीन अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत बताता है। चीन ने भारत के सीमावर्ती इलाकों तक तिब्बत में हाई-स्पीड ट्रेन परिचालित करने के लिए रेल पटरी बिछाई है, जो उसे सैनिकों को तेजी से पहुंचाने में मदद करेगा।
 
श्वेत पत्र ने यह भी प्रायोजित किया है कि तिब्बत, नेपाल के जरिए रेल व सड़क संपर्क के साथ दक्षिण एशिया के लिए एक द्वार बनने वाला है।
 
क्यों घबरा रहा है चीन : चीन तिब्बत को शिजांग के नाम से संबोधित करता है। चीन की घबराहट बढ़ती जा रही है क्योंकि दलाई लामा अपने उत्तराधिकारी को नियुक्त करने का नेतृत्व करेंगे, जिसका हिमालय क्षेत्र में एक बड़ा प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि उनकी विरासत तिब्बती लोगों के मन में अंतर्निहित है।
 
बीजिंग ने जोर देकर कहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को इसकी मंजूरी लेने की जरूरत होगी। वहीं, विश्लेषकों ने कहा है कि यह चिंता का विषय बना हुआ है क्योंकि मौजूदा पंचेन लामा की तिब्बत में व्यापक स्वीकार्यता नहीं बनी है। वह नंबर-2 आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्हें दलाई लामा द्वारा नामित लड़के को अपदस्थ कर चीन ने नियुक्त किया था।
 
'नए युग में शिजांग (तिब्बत) के शासन पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियां : रुख एवं उपलब्धियां’ शीर्षक वाले श्वेत पत्र में, तिब्बत में अलगाववाद से लड़ने के लिए कार्रवाई को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘घुसपैठ, विध्वंस और अलगाव के खिलाफ लड़ाई जारी है...शिजांग ने, अलगाववाद का मुकाबला करने के लिए एक अतिसक्रिय रुख अपनाया है।’
 
श्वेत पत्र के अनुसार, दलाई समूह की प्रतिक्रियावादी प्रकृति का खुलासा हो गया है और क्षेत्रीय सरकार इसके सभी स्वरूप का प्रतिरोध करने के लिए सभी लोगों पर करीबी रूप से निर्भर है।
 
इसमें कहा गया है कि यह अब समूचे क्षेत्र के लोगों के मन में गहरी जड़ें समाए हुए है कि एकता व स्थिरता एक वरदान है, जबकि विभाजन व अशांति आपदा है। वे देश की एकता, राष्ट्रीय संप्रभुता, और जातीय एकजुटता की रक्षा के लिए कहीं अधिक प्रतिबद्ध है।
 
चीन ने किया समन्वयक का विरोध : चीन ने तिब्बती मुद्दों के लिए अमेरिका द्वारा एक विशेष समन्वयक नियुक्त किए जाने पर भी अपना कड़ा विरोध जताया और वाशिंगटन के इस कथन की आलोचना की कि बीजिंग को दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुनने में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
 
श्वेत पत्र में, तिब्बत में तिब्बती बौद्ध धर्म पर कोई कार्रवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि चीन धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता की पूरी गारंटी देता है और तिब्बती भाषा को भी बढ़ावा देता है।
 
श्वेत पत्र के अनुसार, धार्मिक गतिविधियां व्यवस्थित तरीके से की जा रही हैं। क्षेत्र में अभी तिब्बती बौद्ध गतिविधियों के लिए 1700 से अधिक स्थल हैं, करीब 46,000 बौद्ध भिक्षु हैं, 4 मस्जिद और 12000 मूल निवासी मुस्लिम तथा एक कैथोलिक गिरिजाघर व इस धर्म के 7000 से अधिक अनुयायी हैं। इसमें बुनियादी ढांचा के विकास के संबंध में कहा गया है कि गिरोंग बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय हाईवे पत्तन के रूप में विस्तारित किया गया है। (भाषा)