अफगानिस्तान में अमेरिकी बमबारी हुई तेज
काबुल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अफगानिस्तान के संबंध में बनाई गई नई रणनीति के तहत आतंकवादियों के ठिकानों पर बमबारी तेज कर दी गई है। यहां वर्ष 2010 के बाद से ऐसी बमबारी नहीं देखी गई।
उदाहरण के लिए इस वर्ष अगस्त में अफगानिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में विमानों द्वारा बम गिराने की 503 घटनाएं हुई थीं और सितंबर में यह आंकड़ा बढ़कर 751 तक पहुंच गया, जो पहले की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक है। सेना के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात वर्षों में किसी एक माह का यह सबसे अधिक आंकड़ा भी है।
अमेरिकी वायुसेना ने अपनी मासिक रिपोर्ट में बताया कि विमानों द्वारा बम गिराए जाने की घटनाओं में बढ़ोतरी राष्ट्रपति की रणनीति का ही एक हिस्सा है जिससे अफगानिस्तान की स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए खतरा बने आतंकवादी समूहों को लक्ष्य बनाया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी काबुल के उत्तर में बगराम वायु सैनिक ठिकाने पर छह और एफ 16 लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया है फारस की खाड़ी से अफगानिस्तान की तरफ उड़ान भरने के लिए अतिरिक्त बी-52 बमवर्षक विमानों को लगाया गया है। इन आंकड़ों में सेना के उन हमलों को शामिल नहीं किया गया है जिनमें हमलावर हेलीकॉप्टरों तथा अन्य विमानों का उपयोग किया गया था।
गौरतलब है कि ट्रंप ने अगस्त में अफगानिस्तान के बारे में अपनी रणनीति का जिक्र करते हुए कहा था इन हत्यारों को यह समझ लेने की जरूरत है कि अब वे कहीं नहीं छिप सकते हैं और कोई भी ऐसी जगह नहीं है जहां अमेरिकी सेनाएं नहीं पहुंच सकतीं। इन अपराधियों को बहुत जल्दी तथा जोरदार तरीके से दंडित किया जाएगा।
तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिकी सैनिकों को केवल खास परिस्थतियों, विशेषकर आत्मरक्षा में हमला करने के अधिकार दिए गए थे और इस माह अमेरिकी रक्षामंत्री जिम मैटिस ने संसद को बताया था कि इन प्रतिबंधों को ट्रंप योजना के तहत समाप्त कर दिया जाएगा। (वार्ता)