• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. 4g mobile network will be available on moon
Written By
Last Updated : सोमवार, 5 मार्च 2018 (15:34 IST)

आदमी के पहुंचने से पहले होगा चांद पर 4G नेटवर्क सर्विस

आदमी के पहुंचने से पहले होगा चांद पर 4G नेटवर्क सर्विस - 4g mobile network will be available on moon
बर्लिन। अगर आप से कहा जाए कि अब आप चांद पर पहुंचकर अपने स्मार्टफोन पर बात कर सकेंगे। वीडियो कॉलिंग का मजा भी उठा सकेंगे तो आप शायद ही इस बात पर विश्वास करेंगे लेकिन बहुत जल्द ही यह संभव होने वाला है।
 
वह दिन दूर नहीं जब आपको चांद पर 4G सर्विस मिलेगी और आप धरती पर सीधे HD लाइव वीडियो स्ट्रीम कर सकेंगे। 
 
चांद पर 4G नेटवर्क को उपलब्ध कराने के लिए नोकिया और वोडाफोन ने बीड़ा उठाया और इस प्रोजेक्ट में कारमेकर कंपनी ऑडी भी शामिल है। वर्ष 2019 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत चांद पर मौजूद 4G नेटवर्क की मदद से बेसस्टेशन तक हाई डेफिनेशन (HD) में वीडियो स्ट्रीम किए जा सकेंगे। 
 
इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए बर्लिन की PTScientists के साथ ये कंपनियां काम कर रहीं हैं। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से चांद पर 4G नेटवर्क की शुरुआत की जाएगी। पहले इन कंपनियों ने चांद पर 5G इन्टरनेट सर्विस की शुरुआत करने का प्रयास किया था लेकिन 5G इन्टरनेट सर्विस की कम स्टेबिलिटी के कारण यह लूनर सरफेस पर ठीक से काम नही कर पा रही है। 
 
फिलहाल 5G इन्टरनेट सर्विस का इस्तेमाल टेस्टिंग के लिए किया जा रहा है। यह मिशन पहला प्राइवेट मून मिशन है, जो चांद पर होगा। 
 
यह कहना गलत न होगा कि चांद पर मानव बस्ती के बसने से पहले मोबाइल सर्विस वहां पहुंच जाएगी। नासा के चंद्रमा पर मनुष्य के कदम रखने के पहले अभियान के 50 साल बाद यह बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है। वोडाफोन ने इसके लिए नोकिया को अपना टेक्नोलॉजी सहयोगी बनाया है। नोकिया चांद पर एक स्पेस ग्रेड नेटवर्क का विकास करेगा, जो कि एक सुगर क्यूब से कम वजन का हार्डवेयर होगा। 
 
इस प्रोजेक्ट पर बर्लिन की पीटीएस साइंटिस्ट के साथ मिलकर सभी कंपनियां काम कर रही हैं। विदित हो कि यह प्रोजेक्ट 2019 में स्पेसएक्स फाल्कल 9 रॉकेट के द्वारा केप कैनावेराल, फ्लोरिडा से लॉन्च किया जाएगा। वोडाफोन के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर 4जी नेटवर्क शुरू किया जाएगा, 5 जी नहीं क्योंकि 5जी को लेकर अभी कई जगह टेस्ट ही चल रहे हैं और उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है कि चांद की सतह पर वह कारगर रहेगा या नहीं।