तैलंग स्वामी कौन थे, 280 वर्षों तक रहे जिंदा
चमत्कारिक संत है तैलंग स्वामी, जहर का भी नहीं होता था असर
Tailang Swami Jayanti 2024: इस वर्ष श्री तैलंग स्वामी जी का 417वीं जयंती मनाई जा रही है। श्री तैलंग स्वामी जयंती एक महान हिंदू योगी थे। तैलंग स्वामी करीब 280 वर्षों तक जीवित रहे थे। वे करीब 150 वर्षों तक तो वाराणसी में ही रहे थे। ऐसा कहा जाता है कि इनसे मिलने श्रीराम कृष्ण परमहंस जी भी आए थे। इसके संबंध में कई तरह के चमत्कार की कहानी जुड़ी हुई है। ये गंगा की लहरों पर घंटों आसन लगाकर बैठे रहते थे। इन्हें विष देने का प्रयास किया गया लेकिन विष का उनके शरीर पर कोई असर नहीं हुआ।
श्री तैलंग स्वामी (1607-1887 ई.):
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कहते हैं कि पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को इनकी जयंती रहती है।
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कुछ विद्वानों के अनुसार 27 नवंबर 1607 को उनका जन्म हुआ था।
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इस बार 21 जनवरी 2024 रविवार के दिन इनकी जयंती है।
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ये एक महान हिंदू योगी थे, जिनके पास दैवीय शक्तियां थीं।
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तैलंग स्वामी अपने जीवन का अधिकांश समय भारत के वाराणसी में रहे।
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ऐसा माना जाता है कि तैलंग स्वामी भगवान शिव के अवतार थे।
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जिसके कारण कुछ शिष्य उन्हें वाराणसी के चलते फिरते शिव के रूप में संदर्भित करते थे।
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तैलंग स्वामी ने लगभग 280 वर्ष का बहुत लम्बा जीवन जिया।
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तैलंग स्वामी को तेलंग स्वामी और त्रैलंग स्वामी के नाम से भी जाना जाता था।
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तैलंग स्वामी का जन्म आंध्र प्रदेश के विजयनगरम के होलिया में हुआ था।
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उनके माता-पिता, भगवान शिव के भक्त, ने उनका नाम शिवराम रखा।
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जब वह 40 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई।
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अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने समाज का त्याग कर दिया और बीस वर्षों तक साधना की।
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बाद में वह तीर्थयात्रा पर चले गए।
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ऐसा माना जाता है कि वह 1733 में प्रयाग पहुंचे और 1737 में वाराणसी में बस गए।
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त्रैलंग स्वामी से परमहंस योगानंद के गुरु के गुरु लाहिड़ी महाशय भी मिले थे।
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तैलंग स्वामी ने 26 दिसंबर 1887 को महासमाधि ली।
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आज भी वाराणसी में पंचगंगा घाट पर स्थित उनकी समाधि पर आध्यात्म के जिज्ञासु देश-विदेश से पहुंचते हैं।