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Last Updated : सोमवार, 20 जून 2022 (20:30 IST)

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष को फिर झटका, गोपालकृष्ण गांधी का भी इंकार, अब यशवंत सिन्हा पर विचार

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष को फिर झटका, गोपालकृष्ण गांधी का भी इंकार, अब यशवंत सिन्हा पर विचार - Presidential election: Gopalkrishna Gandhi also denies now Yashwant Sinha
कोलकाता। शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और अब गोपाल कृष्ण गांधी के इंकार के बाद अब राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार के लिए विपक्ष की नजरें पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा पर आकर टिक गई हैं। तृणमूल कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक कुछ विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर पिछले साल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा के पूर्व नेता सिन्हा के नाम का प्रस्ताव किया है और तीन से चार दलों ने ने इसका समर्थन किया है।
 
तृणमूल नेता के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी को इस तरह के फोन आए और वह भी सिन्हा को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रही हैं। इससे पहले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी के नामों को प्रस्तावित किया गया था, लेकिन उन सभी ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।
 
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यशवंत सिन्हा अब टीएमसी नेता हैं। इसलिए, हम कोई भ्रम नहीं चाहते हैं कि प्रस्ताव हमारी ओर से किया गया गया है। उनके नाम पर तीन से चार पार्टियां सहमत हो चुकी हैं। अब अन्य दलों को फैसला करने दें।
 
भाजपा नीत राजग के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर आम सहमति बनाने के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार द्वारा नई दिल्ली में मंगलवार को बुलाई गई प्रमुख विपक्षी दलों की बैठक में सिन्हा के नाम पर चर्चा की जाएगी। तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी बैठक में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगे।
 
इससे पहले ममता बनर्जी ने पिछले हफ्ते राष्ट्रीय राजधानी में 22 गैर-भाजपा दलों की बैठक बुलाई थी और उनमें से 17 दलों ने बैठक में भाग लिया था। सिन्हा दो बार केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके हैं। पहली बार वह 1990 में चंद्रशेखर की सरकार में और फिर अटल बिहारी वाजपेयी नीत सरकार में वित्त मंत्री थे। वह वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री भी रहे।
 
गांधी का इंकार : पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी ने आगामी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं के अनुरोध को सोमवार को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी मुकाबले में उतरने के प्रति अनिच्छा जाहिर की थी।
 
गांधी के इनकार से भाजपा के नेतृत्व वाले राजग उम्मीदवार का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से उम्मीदवार खड़ा करने का विपक्ष का आगे का रास्ता जटिल हो गया है। राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय करने पर विचार करने के लिए प्रमुख विपक्षी दलों की अगली बैठक मंगलवार को होने की संभावना है।
 
गोपालकृष्ण गांधी (77) ने एक बयान में कहा कि विपक्षी दलों के कई नेताओं ने राष्ट्रपति पद के आगामी चुनावों में विपक्ष का उम्मीदवार बनने के लिए उनके नाम पर विचार किया, जो उनके लिए सम्मान की बात है। गांधी ने कहा कि मैं उनका अत्यंत आभारी हूं। लेकिन इस मामले पर गहराई से विचार करने के बाद मैं देखता हूं कि विपक्ष का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो विपक्षी एकता के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर आम सहमति पैदा करे।
 
गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि और भी लोग होंगे जो मुझसे कहीं बेहतर काम करेंगे। इसलिए मैंने नेताओं से अनुरोध किया है कि ऐसे ही व्यक्ति को अवसर देना चाहिए। भारत को ऐसा राष्ट्रपति मिले, जैसे कि अंतिम गवर्नर जनरल के रूप में राजाजी (सी राजगोपालाचारी) थे और जिस पद की सबसे पहले शोभा डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बढ़ाई।
 
पूर्व नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त के रूप में भी काम कर चुके हैं। गोपालकृष्ण, महात्मा गांधी के परपोते और सी राजगोपालाचारी के परनाती हैं। गोपालकृष्ण गांधी 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार थे, लेकिन चुनाव में एम वेंकैया नायडू से हार गए थे।
 
उल्लेखनीय है कि नए राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया 15 जून से शुरू हो चुकी है और नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है। जरूरी हुआ तो चुनाव 18 जुलाई और मतगणना 21 जुलाई को होगी।
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