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Last Updated : बुधवार, 26 जनवरी 2022 (10:12 IST)

गणतंत्र दिवस पर कविता : भारत नया बनाएँगे....

गणतंत्र दिवस पर कविता  : भारत नया बनाएँगे.... - republic day poem in hindi
क़तरा-क़तरा लहू बहा है आज़ादी को पाने में
फिर;लगे वर्ष २ , ११ माह ,१८ दिवस विधी बनाने में
कर उपयोग अधिकारों का कर्तव्यों को निभाएँगे
देश प्रेम में नतमस्तक  हम वतन से प्रीत निभाएँगे 
कर बुलंद हौसला फिर से भारत नया बनाएँगे।
जगत गुरु हम पदासीन थे,सिरमौर विश्व हम बन जाएँगे
अनंत असीम शक्तियों को अपनी फिर से हम अपनाएँगे
चरक बराह मिहिर सुश्रुत से  व्यक्तित्व गढ़े फिर जाएँगे
शून्य दशमलव औषधियों के वोही सूत्र दोहराएँगे
नव निर्माण करेंगे फिर विकसित श्रेणी में आएँगे
बंजर हुई इस भूमि को फिर से उपजाऊ बनाएँगे
खेतिहर फिर श्रमबूँदों से पैदावार बढ़ाएँगे 
त्याग विदेशी कम्पनियों को देशी माल अपनाएँगे
आर्थिक ,सामाजिक समरसता से देश को लाभ पहुँचाएँगे
अखंड एक्य सूत्र में बंधकर भारत नया बनाएँगे
हम प्रभुत्व संपन्न -सम्प्रभु संविधान का मान बढ़ाएँगे 
मान विधी के नीति-नियमन कर्तव्यों को निभाएँगे
कर अधिकार सुनिश्चित संबल पर हित ना बिसराएँगे
नहीं बनेगे मूक दर्शक विद्रोह से अलख़ जागाएँगे
राष्ट्र चेतना जागृत कर जनतंत्र का पाठ पढ़ाएँगे
देशप्रेम की “रीत” निभाकर वतन से “प्रीति” निभाएँगे।
भारत नया बनाएँगे हम भारत नया बनाएँगे ।।