गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poetry by atal bihari vajpayee
Written By

अटल बिहारी वाजपेयी की कविता : दूध में दरार पड़ गई

अटल बिहारी वाजपेयी की कविता : दूध में दरार पड़ गई - poetry by atal bihari vajpayee
खून क्यों सफेद हो गया?
भेद में अभेद खो गया।
बंट गए शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार गड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।
 
खेतों में बारूदी गंध,
टूट गए नानक के छन्द
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी वितस्ता है,
वसंत में बहार झड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।
 
अपनी ही छाया से बैर,
गले लगने लगे हैं गैर,
खुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता
बात बनाएं, बिगड़ गई।
दूध में दरार पड़ गई।

साभार- मेरी इक्यावन कविताएं
ये भी पढ़ें
अटल जी की कविता : हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय