गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. मील के पत्थर
  4. amrita Pritam, sahil ludhiyanvi, imroz, about amrita Pritam
Written By

31 August: मशहूर साहित्‍यकार अमृता प्रीतम का जन्‍मदिवस, 10 खास बातें

amrita pritam
अमृता प्रीतम (1919-2005) पंजाबी के सबसे लोकप्रिय लेखकों में से एक थी। पंजाब (भारत) के गुजरांवाला जिले में पैदा हुईं अमृता प्रीतम को पंजाबी भाषा की पहली कवयित्री माना जाता है। उन्होंने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है।
  1. पंजाब के गुजरावांला में 31 अगस्त 1919 को करतार सिंह के घर अमृता का जन्म हुआ। पिता की वजह से घर में धार्मिक माहौल था। अमृता का पूजा-पाठ में मन नहीं लगता था। कम ही उम्र में माता की मृत्यु होने के बाद भगवान पर से अमृता का विश्वास उठ गया।
  1. 16 साल की उम्र में ही अमृता की शादी प्रीतम सिंह से हो गई थी। प्रीतम सिंह लाहौर के व्यापारी थे। बचपन में ही दोनों परिवारों ने दोनों की शादी तय कर दी थी। लेकिन कुछ सालों के भीतर ही वो अपने पति से अलग हो गईं। पति से तलाक लेने के बाद भी उनके नाम के साथ जीवन भर ‘प्रीतम’ जुड़ा रहा।
  1. अमृता पंजाबी भाषा की एक प्रतिष्ठित लेखिका थीं, लेकिन उन्हें हिंदी में ज्यादा पढ़ा और सराहा गया। 
  1. गद्य और पद दोनों पर अमृता प्रीतम की गज़ब की पकड़ थी। उनके उपन्यास पिंजर को कई भारतीय और यूरोपियन भाषाओं में अनूदित किया गया है।
  1. साहिर लुधियानवी से अमृता प्रीतम की मुलाकात एक मुशायरे में हुई थी। इस मुलाकात के बाद अमृता प्रीतम ने लिखा था, ‘प्रीत नगर में मैंने सबसे पहले उन्हें देखा और सुना था। मैं नहीं जानती कि ये उनके लफ्ज़ों का जादू था या उनकी खामोश नज़रों का जिसके कारण मुझ पर एक तिलिस्म सा छा गया था।
  1. अमृता से मुलाकात के दौरान साहिर कई सारी सिगरेट पी जाते थे। उनके जाने के बाद अमृता उन जली हुई सिगरेट को संभाल के रखती थी और उन्हें छूकर साहिर के स्पर्श को महसूस करती थी।
  1. अमृता को साहिर से प्रेम हो गया था। इस रिश्ते के बारे में अमृता ने कभी कुछ छुपाया नहीं। जो था ज़माने को खुल कर बताया। उस दौर में यह सब करना उतना आसान नहीं था। अमृता अपनी बेबाक, ज़िद्दी छवि के कारण लोकप्रिय होने लगी थी।
  1. साहिर से अलग होने के बाद अमृता की मुलाकात एक दिन इमरोज़ से हुई। इमरोज़ रोज़ अमृता को स्कूटर से दफ्तर छोड़ने जाते थे। रास्ते में अमृता उनकी पीठ पर कुछ न कुछ लिखती रहती थी।
  1. एक बार खुशवंत सिंह ने अमृता प्रीतम से कहा कि आप आत्मकथा क्यों नहीं लिखतीं। अमृता ने जवाब दिया मेरी ज़िंदगी में ऐसा कुछ खास नहीं है, जिसे रिवेन्यू स्टैम्प पर भी उतारा जा सके। बाद में जब अमृता ने आत्मकथा लिखी तो उसका नाम ‘रसीदी टिकट’ रखा।
  1. कागज़ ते कैनवास के लिए 1982 में अमृता प्रीतम को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया गया। 1986 में उन्हें राज्यसभा सांसद मनोनीत किया गया। संसद में बहस के दौरान उन्होंने कई अहम मुद्दे उठाए जिसके केंद्र में महिलाएं ज़रुर होती थी।
ये भी पढ़ें
श्रीकृष्ण सरल... जो स्वयं ही देशप्रेम का परिचय हैं