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पुस्तक समीक्षा : 'आचमन, प्रेम जल से' प्रेमानुभूतियों का समंदर है

पुस्तक समीक्षा : 'आचमन, प्रेम जल से' प्रेमानुभूतियों का समंदर है - Book Review achman prem jal se
'आचमन, प्रेम जल से' काव्य संग्रह की रचनाकार ई. अर्चना नायडू हैं। यह इनका द्वितीय काव्य संग्रह है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाओं का प्रकाशन लगातार होता रहता है। अहिन्दी भाषी होने के बावजूद इनकी रचनाओं में प्रयुक्त शब्द और भाव गहनता लिए होते हैं। इनकी मातृभाषा 'तेलुगु' है।
 
'प्रेम' जैसे कठिन विषय को इन्होंने सहज और सरल शब्दों में अभिव्यक्ति दी है। इनकी कविता में अंग्रेजी और उर्दू शब्दों का काफी प्रयोग है। अंग्रेजी शब्दों से आधुनिकता और उर्दू शब्दों से प्रेम पर और चाशनी चढ़ाने का सशक्त प्रयास किया है, जो प्रेमानुभूतियों का समंदर लगता है।
 
पुस्तक के शीर्षक को साकार करतीं रचनाएं काव्य रस के विभिन्न भावों को समेटे हैं। इसमें 62 कविताएं हैं जिसमें श्रृंगार रस और सामाजिक जीवन में महिला-पुरुष के मनोभावों का सटीक चित्रण है। सभी कविताएं दिल को छूती हैं एवं रचनाएं अपने आप में संपूर्णता लिए है।
 
इनमें कुछ रचनाएं तो अभिव्यक्ति के नए आयाम को छूती हैं जिनमें 'प्रेम आचमन', 'ढाई अक्षर', 'सावन की घटा', 'मृगतृष्णा', 'खुशियों की टोकरी', 'प्रेम जल का तर्पण', 'नवरस', 'मनोव्यथा', 'सिर्फ तुम', 'चाय' आदि प्रमुख हैं।
 
'प्रेम आचमन' शीर्षक कविता से प्रेम को नया शाब्दिक रूप दिया गया है-
 
प्रेम शिवेन्दु का गंगाजल है,
प्रेम हर निर्बल का संबल है,
प्रेम तुलसी के राम का पुण्य फल है।
 
'ढाई अक्षर' शीर्षक कविता से-
 
मेरा-तुम्हारा एक छोटा-सा अंतर,
व्यर्थ बांचती रही प्रेमग्रंथ,
तुम बने रहे निरक्षर।
 
इसमें रचनाकार ने मखमली चोट-सी अभिव्यक्ति कर प्रेम का मतलब समझाया है।
 
'खुशियों की टोकरी' में एक तरफ जहां बेटियां बोझ लगती हैं, वहीं रचनाकार ने बेटियों की महत्ता को सुंदर ढंग से प्रतिपादित किया है-
 
बेटियां त्योहार-सी होती हैं,
खुशियों की टोकरी में,
उम्मीदों की सौगात लेकर,
आती हैं जब वे अपने घर,
पकने लगती है ठहाकों की खीर-पूड़ी,
हंसी की खुशबू से घर महका देती हैं।
 
इस पुस्तक में क्षणिकाओं का एक खंड है जिसमें कम शब्दों में बहुत कुछ व्यक्त करने की अपनी शैली को प्रकट किया गया है, जो तारीफे काबिल है, जैसे यह एक उदाहरण-
 
दिखती है सूर्ख और महकती है रातभर,
फिर भी लकीरें ही रह जाती हैं,
मोहब्बतें हिना नहीं होतीं।
 
सभी रचनाएं सकारात्मक संदेश देती हैं। कहीं-कहीं रसायन शास्त्र का घालमेल भी किया गया है अपनी भावना को अभिव्यक्त करने में। प्रेम के नए प्रतिमान और बिम्ब का प्रयोग, साथ ही प्रश्नों की बौछार भी है। इसे एक सार्थक काव्य संग्रह की श्रेणी में रखा जा सकता है।
 
रचनाएं पठनीय तो हैं ही, सराहनीय व प्रेरणादायी भी हैं। काव्य संग्रह अपने आप में पूर्णता लिए हुए है। संग्रह के मूल्‍यांकन का अधिकार तो पाठकों को है।
 
कृति- 'आचमन, प्रेम जल से'
विधा- कविता
रचनाकार- ई. अर्चना नायडू
प्रकाशक- शिवना पेपरबैक्स 
मूल्य- 175.00 रुपए