क्या आप भी अकेले बैठकर खाना खाते हैं? तो बढ़ सकता है दिल की बीमारी का खतरा - शोध
पिछले कुछ सालों में युवाओं में दिल की बीमारी का खतरा अधिक बढ़ रहा है। 30 से 40 साल के युवा हृदयाघात का शिकार हो रहे हैं। फिट एंड फाइन युवाओं में बढ़ते हृदय के खतरा चिंता का विषय बन गया है। पिछले 6 महीनों में जिम जा रहे युवा हार्ट अटैक का शिकार हुए है। कई बार गलत लाइफस्टाइल का असर भी पड़ता है, जिसे लेकर न्यूट्रिशनिस्ट हमेशा जागरूक करते हैं। बढ़ते हार्ट अटैक के खतरे को देखते हुए एक नए अध्ययन में वैचारिक खुलासा हुआ है। जो एक आदर्श परिवार में कई लोग सालों से मानते भी आ रहे हैं कि सुबह की चाय और रात का भोजन परिवार को साथ बैठकर करना चाहिए। अध्ययन में भी कुछ इसी प्रकार का खुलासा हुआ है।
आप क्या खाते हैं ये आपके दिल पर असर डालता है लेकिन आप कैसे खाते हैं इसका असर भी आपके दिल पर पड़ता है। आपकी लाइफस्टाइल से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ता है। नए अध्ययन में सामने आया है कि अकेले बैठकर खाना खाने से भी हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है। The North American Menopause Society की पत्रिका में एक अध्ययन छपा। जिसमें यह बताया गया कि अकेले बैठकर खाना खाने से महिलाओं में दिल का खतरा बढ़ता है। बुजुर्ग लोगों में इसका अधिक खतरा है।
शोध में 590 महिलाओं पर स्टडी
बढ़ते हार्ट डिजीज को लेकर 590 महिलाओं पर शोध किया गया। महिलाओं की उम्र 65 साल थी। जिन महिलाओं ने परिवार के साथ खाना खाया हार्ट डिजीज का खतरा कम था। साथ ही जो महिलाएं अकेले खाना खा रही थी उन्हें 2.58 गुना हार्ट डिजीज का खतरा ज्यादा रहा। और साथ ही उन्हें सीने में दर्द की शिकायत भी रही।
किस तरह हार्ट अटैक से सावधानी बरतें -
हार्ट डिजीज का खतरा अकेलेपन के साथ ही पोषक तत्व नहीं मिलने से भी बढ़ता है। क्योंकि जब कोई इंसान अकेले खाना खाता है तो वह पूरा आहार ठीक से नहीं करता है। जिससे कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटेशियम ये सब जरूरी तत्व नहीं मिलते हैं जो भोजन करते वक्त होना चाहिए। अपने भोजन में सभी पोषक तत्व जरूर शामिल करें।
- रोजाना डॉक्टर की सलाह से एक घंटे वॉक करें।
- नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह से एक्सरसाइज करें।
- शुगर को कंट्रोल में रखें। क्योंकि डायबिटीज अधिक होने पर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। और कई बार यह साइलेंट किलर की तरह काम करता है।
- फाइबर, कम फैट और कम कोलेस्ट्रॉल की चीजों को शामिल करें।
- तनाव को कम करें। योग, मेडिटेशन या प्राणायाम करें।