नई दिल्ली, संतुलित आहार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस वर्ष अप्रैल माह में शुरू किया गया देशव्यापी अभियान आहार क्रांति अब एक नये पड़ाव पर पहुंच रहा है।
इसके अंतर्गत जमीनी स्तर पर कार्य शुरू करने के लिए कार्यक्रमों की श्रृंखला की एक अहम कड़ी के रूप में इस अभियान में अब बड़े पैमाने पर शिक्षकों को शामिल करने की पहल की गई है।
सब्जियों, फलों और अन्य खाद्य पदार्थों की प्रचुरता के बावजूद भारत कुपोषण की समस्या का सामना कर रहा है। कई अध्ययनों ने अनुमान लगाया है कि हमारे में देश खपत होने वाली कैलोरी से चार गुना अधिक खाद्य पदार्थों का उत्पादन होता है। इसके बावजूद लोग कुपोषित हैं। इसका मूल कारण समाज के विभिन्न वर्गों में पोषण संबंधी जागरूकता की कमी है। इसी चुनौती से लड़ने के लिए आहार-क्रांति अभियान की शुरुआत की गई है।
पोषण आधारित संतुलित आहार की आवश्यकता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने और आर्थिक रूप से सुलभ स्थानीय फलों व सब्जियों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए गैर सरकारी संगठन विज्ञान भारती (विभा) तथा भारतीय वैज्ञानिकों एवं टेक्नोक्रेट्स के समूह ग्लोबल इंडियन साइंटिस्ट्स ऐंड टेक्नोक्रेट्स फोरम (जीआईएसटी), जो अमेरिका समेत अन्य कई देशों में काम कर रहा है, ने आहार क्रांति नामक एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है, जिसका आदर्श वाक्य 'उत्तम आहार उत्तम विचार' है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबद्ध वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की प्रवासी भारतीय एकैडेमिक ऐंड साइंटिफिक संपर्क (प्रभास) इस पहल का समन्वय कर रही है। केंद्रीय तथा राज्य सरकारों से संबंधित मंत्रालय और एजेंसियां इस पहल में शामिल हैं।
विभिन्न केंद्रीय एवं राज्य सरकारों की एजेंसियों तथा मंत्रालयों के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार भी इस संयुक्त पहल का हिस्सा है। मिशन के आगे बढ़ने के साथ इसमें कई अन्य संगठनों की भागीदारी पर सहमति बनी है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि शिक्षक, चाहे स्कूलों में हों, आंगनबाड़ियों में, या फिर समुदायों में, अभियान का एक प्रभावी स्तंभ हो सकते हैं, इस अभियान में बड़े पैमाने पर शिक्षकों को शामिल किया जा रहा है। इस दिशा में एक कदम के रूप में, आयोजकों ने शिक्षकों के लिए भोजन और पोषण के विभिन्न पहलुओं पर शैक्षिक मॉड्यूल की एक श्रृंखला तैयार की है, जो अभियान में शामिल शिक्षक अपने छात्रों के बीच प्रसारित कर सकते हैं, और छात्रों के माध्यम से यह जागरूकता-संदेश उनके परिवारों तक पहुँच सकता है।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने बीते शनिवार गुरु पूर्णिमा के दिन आयोजित आहार क्रांति – गुरु वंदना नामक एक ऑनलाइन समारोह में इस अभियान से जुड़ी संसाधन सामग्री का विमोचन किया है। उन्होंने सामग्री की प्रतियां प्रख्यात बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद और भारत सरकार के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित पद्म प्रिया वुम्मा को सौंपी हैं।
इस कार्यक्रम, जिसे गुरु पूर्णिमा समारोह के रूप में भी चिह्नित किया गया था, में शिक्षा राज्य मंत्री ने शिक्षकों के लिए व्याख्यानों की एक श्रृंखला एवं वीडियो-सह-स्क्रिप्ट प्रतियोगिता भी शुरू की है, जिसे गैर सरकारी संगठन शिक्षा शिल्पी द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
इसके अलावा, उन्होंने 'आहार क्रांति' पर विज्ञान प्रसार की विज्ञान पत्रिका ड्रीम-2047 का एक विशेष संस्करण और अभियान के हिस्से के रूप में संगठन द्वारा निकाले जा रहे मासिक न्यूजलेटर की प्रतियां जारी की हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए शिक्षा राज्य मंत्री ने बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक भोजन और स्थानीय रूप से उपलब्ध फलों और सब्जियों के महत्व पर जोर दिया है, और अच्छे जीवन के लिए जरूरी जानकारियों एवं संदेशों को प्राप्त करने के लिए सभी प्रकार के सोशल मीडिया का उपयोग करने का आह्वान किया।
जयंत सहस्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, विज्ञान भारती, नकुल पाराशर, निदेशक, विज्ञान प्रसार, और डॉ. येलोजी-राव के. मिराजकर, अंतरराष्ट्रीय संयोजक - ग्लोबल इंडियन साइंटिस्ट्स ऐंड टेक्नोक्रेट्स फोरम (जीआईएसटी) ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए एक स्वर में कहा है कि आहार क्रांति की आकांक्षा जन-जन तक पहुँचने की है।
उन्होंने कहा है कि उम्र, भाषा और सामाजिक-आर्थिक विविधता के बावजूद इस अभियान की कोशिश एक सरल संदेश के साथ समुदाय के हर स्तर तक पहुँचने की है, जिससे अंततः संतुलित पोषण, बेहतर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, और दीर्घ जीवन, समृद्ध किसानों एवं 'विश्वगुरु' के रूप में भारत को पुनर्स्थापित करने का लक्ष्य साधने में मदद मिल सकती है।
(इंडिया साइंस वायर)