World Heart Day 2023: हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य है लोगों को हृदय/हार्ट की सेहत के प्रति जागरूक करना है। इस बार की थीम है- 'हर दिल के लिए दिल का उपयोग करें।' आओ जानते हैं कि किस तरह कर सकते हैं योग के माध्यम से दिल की देखभाल।
हार्ट की गति पर पड़ता इनका असर:-
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कई कारणों से हृदय की धड़कन तेज या कम हो जाती है, जिससे हृदय में विकार उत्पन्न हो जाता है।
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जैसे भय, अतिहर्ष, ज्वर, अनेकानेक रोगों में, मैथुन की इच्छा या क्रिया, भोजन करने, अति-कसरत करने से हृदय की गति तेज हो जाती है।
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क्लेश, निर्बलता और उपवास से हृदय की गति मंद हो जाती है।
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कई औषधियों के सेवन से हृदय गति बढ़-घट जाती है।
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किसी भयंकर दृश्य को देखने से या कोई दुखद समाचार अचानक सुनने से हृदय की धड़कन एकदम बंद हो जाती है।
क्यों होता है हार्ट अटैक:-
अलग-अलग कारणों और लक्षणों के रूप में हृदय की धमनियों में रुकावट आ जाना ही 'हार्ट अटैक' कहलाता है।
गलत खानपान, कोलेस्ट्रोल का बढ़ना, अधिक तनाव लेना, मांसपेशियों में खिंचाव आदि कई कारणों से हार्ट अटैक होता है।
हृदय रोग का उपचार :
हृदय रोग है तो : बेफिक्र रहें। शराब-मांस आदि व्यसनों तथा तीखे और चरके पदार्थों का सेवन न करें। मीठा न खाएं। नमक और चिकनाईयुक्त भोजन का त्याग करें। केवल फलों और सब्जियों के रस पर कुछ दिन रहें। हो सके तो केवल फल-फ्रूट, जौ की रोटी और लोकी की सब्जी खाएं। सुबह-शाम नींबू पानी, नींबू-गर्म पानी-शहद, किसी फल या सब्जी का रस पीएं।
1. सावधानी : सर्दी से बचें। कफ न होने दें। पेट साफ रखें। कम बोलें। शोरगुल, धूल-धुएं और तेज धूप से बचें।
2. योगासन : अंग संचालन करें। शवासन और पर्वतासन करें। स्वस्थ रहने पर सामान्य आसन करें जिनमें वज्रासन, उष्ट्रासन, शलभासन, मकरासन, पवनमुक्तासन, मत्स्यासन, सिंहासन आदि करें। सुविधा अनुसार अभ्यास को बढ़ाएं। अंत में 5 से 10 मिनट का शवासन अवश्य करें।
3. प्राणायाम : नाड़ी-शोधन, कपालभाति तथा भ्रामरी को धीरे-धीरे नियमित करें।
4. योगनिद्रा : शवासन में योगनिद्रा 20-40 मिनट तक करें। उसके बाद आधा घंटे रुचिकर शांतिदायक संगीत सुनें।
हृदय रोग न हो तो : हमेशा स्वस्थ्य और मजबूत रहने के लिए प्राणायम, आसन, आहार संयम और योगनिद्रा तथा ध्यान को जीवन का हिस्सा बनाएं। तनावमुक्त जीवन जीएं। तनावमुक्त रहने के लिए नाड़ी-शोधन प्राणायाम करें और शरीर पुष्ट रखने के लिए सूर्यासन या सूर्यनमस्कार करें।
1. आहार संयम : जितने कम से कम भोजन से काम चलता है, तो चलाएं। यदि वजन अधिक हो तो कम करें। इस रोग में उपवास से बचें, इसलिए फल और सब्जी का रस, मधु, किशमिश, अंजीर, गाय का ताजा दूध आदि ही लें। भोजन में प्रतिदिन काफी मात्रा में सलाद सेवन करें। सलाद खट्टा न हो।
आप जो भी खाएं, थोड़ा, चबाकर और आराम से खाएं। खाने के साथ ही पानी कम पीएं। खाने के आधे से एक घंटे बाद पानी पीएं। थोड़ा-थोड़ा घूंट-घूंट कर पीएं। सोने से ढाई घंटे पूर्व भोजन करें। भोजन प्रसन्न मुद्रा में करें। बातें न करें। क्रोध करना और ऊंचा बोलना छोड़ दें।
नोट- अंतत:- योग्य योग चिकित्सक से सलाह लेकर ही योगासनों का लाभ लें।