• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. सेहत
  3. हेल्थ टिप्स
  4. International day for the eradication of poverty
Written By

International Day for the Eradication of Poverty - अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस क्‍यों मनाया जाता है

International Day for the Eradication of Poverty - अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस क्‍यों मनाया जाता है - International day for the eradication of poverty
हर साल 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गरीबी उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया में गरीबी दूर करने के किए जा रहे प्रयासों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिवस पर विभिन्न प्रकार के विकास कार्य और योजनाओं को जारी किया जाता है। हालांकि भारत अभी भी गरीबी की मार से आगे नहीं बढ़ सका है। आजादी के पहले भी देश गरीबी के प्रकोप से जूझ रहा था और स्वतंत्रता के बाद भी। 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस गरीबी कम करने के संबंध में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र द्वारा 22 दिसंबर 1992 को हर साल 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस मनाने की घोषणा की थी। सबसे पहली बार यह दिवस 1987 में फ्रांस में मनाया गया था। इस दौरान करीब 1 लाख लोगों ने मानव अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। साथ ही अतिरिक्त गरीबी से लड़ाई और सतत विकास की मांग की जा रही थी।

अन्य देशों के मुकाबले भारत के हालात -

15 अक्टूबर को वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 जारी किया गया। वहीं 16 अक्टूबर को विश्‍व खाद्य दिवस मनाया जाता है और 17 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। देखा जाए तो दोनों दिवस को मनाने का मुख्‍य उद्देश्‍य एक ही है, भुखमरी और गरीबी को खत्म करना। लेकिन हाल ही में 15 अक्टूबर को वैश्विक भुखमरी की रिपोर्ट ने भारत को अचंभित कर दिया। वैश्विक भुखमरी सूचकांक (global hunger inder 2021) में भारत 116 देशों में से 101वें स्थान पर रहा। साल 2020 में 107 देशों में भारत 94वें स्थान पर था। साल 2021 में भारत अपने पड़ोसी देश नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भी पीछे है। हालांकि यह रैंकिंग जारी करने के बाद भारत भी स्तब्ध हो गया।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा, "यह चौंकाने वाला है कि वैश्विक भूख रिपोर्ट 2021 ने कुपोषित आबादी के अनुपात पर एफएओ के अनुमान के आधार पर भारत के रैंक को कम कर दिया है, जो जमीनी वास्तविकता और तथ्यों से रहित और गंभीर कार्यप्रणाली मुद्दों से ग्रस्त पाया जाता है। इस रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों, कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर विल्फ ने रिपोर्ट जारी करने से पहले उचित मेहनत नहीं की है।" द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन वर्ल्ड 2021 में इस बात पर जोर दिया गया कि अफगानिस्‍तान, बांग्‍लादेश, नेपाल और श्रीलंका महामारी के कारण किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुआ। दुनियाभर और देश में बढ़ रही भुखमरी और गरीबी को कम करने के लिए अभी भी अथक प्रयास करने की जरूरत है। ताकि इस समस्या से आगे बढ़ सकें। गौरतलब है कि कोविड-19 के बाद गरीबी तो दूसरी ओर बेरोजगारी का स्तर भी काफी बढ़ गया।
ये भी पढ़ें
काजू से हो सकता है नुकसान भी, जानिए क्या है ज्यादा सेवन के खतरे