कैसे होता है संक्रमण?
महीनों तक इस्तेमाल करने पर होने वाले खतरे:
1. खाद्य विषाक्तता : स्क्रब में मौजूद बैक्टीरिया जैसे साल्मोनेला, ई. कोलाई, और स्टैफिलोकोकस ऑरियस खाद्य विषाक्तता का कारण बन सकते हैं। इससे उल्टी, दस्त, पेट दर्द, और बुखार हो सकता है।
2. त्वचा संक्रमण : स्क्रब में मौजूद बैक्टीरिया त्वचा में प्रवेश कर सकते हैं और त्वचा संक्रमण जैसे फोड़े, दाने, और एक्जिमा का कारण बन सकते हैं।
3. श्वसन संबंधी समस्याएं : स्क्रब में मौजूद बैक्टीरिया सांस लेने पर फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं जैसे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया का कारण बन सकते हैं।
4. आंखों में संक्रमण : स्क्रब से निकलने वाले बैक्टीरिया आंखों में प्रवेश कर सकते हैं और आंखों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
स्क्रब को साफ करने के तरीके:
1. नियमित रूप से साफ करें : स्क्रब को हर इस्तेमाल के बाद साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं।
2. गुनगुने पानी से साफ करें : स्क्रब को हर हफ्ते या दो हफ्ते में उबलते पानी में 5 मिनट तक उबालें। इससे अधिकांश बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
3. डिटर्जेंट का इस्तेमाल करें : स्क्रब को डिटर्जेंट में भी धो सकते हैं।
4. सूखने दें : स्क्रब को इस्तेमाल के बाद अच्छी तरह सुखाएं। नमी से बैक्टीरिया का विकास होता है।
कब बदलें स्क्रब:
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अगर स्क्रब खराब दिखने लगा है : अगर स्क्रब पर दरारें या छेद आ गए हैं, तो उसे बदल दें।
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अगर स्क्रब बदबू आ रही है : अगर स्क्रब से बदबू आ रही है, तो उसे बदल दें।
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अगर स्क्रब का रंग बदल गया है : अगर स्क्रब का रंग बदल गया है, तो उसे बदल दें।
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हर 3-4 महीने में : स्क्रब को हर 3-4 महीने में बदलना चाहिए, भले ही वह साफ दिखाई दे।
बर्तन धोने का स्क्रब एक महत्वपूर्ण उपकरण है, लेकिन इसे साफ रखना ज़रूरी है। नियमित रूप से साफ करने और समय-समय पर बदलने से आप अपनी सेहत को सुरक्षित रख सकते हैं। याद रखें, साफ-सफाई सेहत की कुंजी है!
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