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Last Updated : मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024 (18:53 IST)

कैसे हरियाणा में BJP के हाथ लगा जीत की जलेबी का स्‍वाद?

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हरियाणा में बीजेपी ने जीत की हैट्रिक मारी है। करीब 52 साल बाद कोई पार्टी ऐसा करने में कामयाब हुई है। ऐसे में अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर वो क्‍या वजह है, जिससे हरियाणा में बीजेपी के हाथ जीत की जलेबी का स्‍वाद लगा है।

नतीजों के बाद आचार्य प्रमोद कृष्‍णम ने कहा है कि राम मन्दिर का 'नाच गाना' हुड्डा को ले डूबा, राहुल जी, आप तो सच में बहुत बड़ी 'पनौती' निकले।

कैसे हुआ ये चमत्‍कार : बता दें कि नतीजों के शुरुआती एक घंटे में कांग्रेस ने 90 में से 70 सीटों पर लीड ले ली थी, ऐसा लग रहा था कि एग्जिट पोल सच साबित हो रहे हैं। हालांकि एक घंटे के बाद दृश्‍य पूरी तरह से बदल गया। बीजेपी रुझानों में बहुमत के जादुई आकंड़े के पास पहुंच गई। इसके बाद कांग्रेस ऐसे पीछे छूटी कि आगे निकल नहीं सकी।

समझदार हुई हरियाणा की जनता : इसके बाद बीजेपी नेता किरन चौधरी ने दावा किया कि उन्‍होंने कई प्रत्याशियों के वीडियो देखे, जिनमें वे कह रहे थे कि वे अपना और रिश्तेदारों का घर भरेंगे। उन्‍होंने आगे कहा कि हरियाणा की जनता समझदार है, यह ऐतिहासिक जीत है। किरन चौधरी ने कहा— मैने पहली ही कहा था कि एग्जिट पोल पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

इन दोनों नेताओं के दावे में कितना दम है, यह तो राजनीतिक विशेषज्ञ हर इस बीच तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि आखिर किस वजह से बीजेपी को तीसरी बार ये जीत हासिल हो सकी।

ग्रामीण सीटों पर उम्‍मीद से ज्‍यादा : ग्रामीण क्षेत्र की सीटों पर भी बीजेपी को जैसी उम्मीद थी, उससे बेहतर परिणाम सामने आए हैं। बीजेपी को जहां जाट बहुल क्षेत्र में नुकसान हुआ है वहीं दलित बहुल सीटों और ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों पर बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है। बीजेपी को उम्मीद से बढ़कर इस क्षेत्र में सफलता मिली है।

क्‍या उल्‍टा पड़ा राहुल का आरक्षण हटाने वाला नारा : बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा— राहुल गांधी का ‘हम आरक्षण हटाएंगे’ नारा हरियाणा में उल्टा पड़ गया है। दलितों ने कांग्रेस के झूठ को नकार दिया है। भाजपा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 में से 9 सीटों पर आगे चल रही है। 2019 में भाजपा ने 17 में से केवल 5 सीटें जीती थीं। झारखंड और महाराष्ट्र में दलित कांग्रेस को धूल चटा देंगे

कांग्रेस में खेमेबाजी ले डूबी : दूसरी तरफ राजनीतिक विश्‍लेषकों की माने तो हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी की खेमाबंदी, गुटबाजी है, दूसरी तरफ भाजपा यहां जाट बनाम गैर जाट करने की अपनी रणनीति में सफल रही। फिलहाल राज्‍य में कांग्रेस की हार के पीछे यही वजह बताई जा रही है।

जाटलैंड में पलटी बाजी : जाट बहुल वाली सीटों पर यह दावे किए जा रहे थे कि बीजेपी को इन सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि जाट बहुल सीटों पर भी बीजेपी को उतना अधिक नुकसान होता नहीं दिख रहा है जितनी आशंका की गई थी।

हरियाणा से स्‍थानीय लोगों की जो समीक्षा सामने आ रही है, उनके एक वोटर ने वेबदुनिया को बताया कि हरियाणा का जाट अब समझदार हो गया है। कांग्रेस के जाट कार्ड के बाद भी मतदाता उसके बहकावे में नहीं आए।

गैर जाट वोटर्स कांग्रेस से दूर हुआ : बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में यह चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने उन्‍हें टिकट बंटवारे से लेकर हर चीज में आजादी दी थी। इस कारण राज्य में भाजपा चुनाव को जाट बनाम नॉन जाट करने में पूरी तरह सफल हो गई। लोकसभा चुनाव के दौरान जो गैर जाट वोटर्स पार्टी के साथ जुड़े थे, वे ऐन मौके पर भाजपा की तरफ झुक गए। गैर जाट वोटर्स में अपनी उचित भागीदारी भ्रम पैदा हो गया और वे कांग्रेस से दूर हो गए।

क्‍या कुमारी सैलजा हैं हार की किरदार : कहा जा रहा है कि कांग्रेस की नाव डूबोने में सबसे बड़ा हाथ कुमारी सैलजा का रहा, हालांकि इस दावे में उतनी सचाई नहीं है। अगर आंकड़ों की बात करें तो कांग्रेस की इस हार में विलेन कुमारी सैलजा नहीं बल्कि कोई और है। अब सवाल उठता है कि वो कोई और कौन है। यह तो आने वाले समय में पता चलेगा जब कांग्रेस अपनी हार की समीक्षा करेगी। नहीं तो ज्‍यादा से ज्‍यादा यह राजनीतिक बहसों में खोकर रह जाएगा।

कुमारी सैलजा का प्रभाव : दरअसल, हरियाणा के दो लोकसभा सीटों सिरसा और अंबाला को कुमारी सैलजा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। कुमारी सैलजा दलित समुदाय से आती हैं और वह खुद सिरसा से सांसद हैं। अंबाला से कांग्रेस के वरुण मुलाना सांसद हैं। ये दोनों रिजर्व सीटें हैं। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में कुल 18 विधानसभा सीटें हैं। हालांकि जानकर हैरानी होगी कि बड़ी जीत हासिल करने की ओर बढ़ रही भाजपा का इन 18 सीटों पर प्रदर्शन बहुत बुरा है।
Edited by Navin Rangiyal
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