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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: गुरुवार, 8 दिसंबर 2022 (16:45 IST)

नरेंद्र मोदी नहीं अरविंद केजरीवाल कर रहे कांग्रेस का नुकसान, गुजरात के चुनाव नतीजों से उठे सवाल

दिल्ली, पंजाब के बाद अब गुजरात में कांग्रेस का वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर एकमुश्त शिफ्ट

नरेंद्र मोदी नहीं अरविंद केजरीवाल कर रहे कांग्रेस का नुकसान, गुजरात के चुनाव नतीजों से उठे सवाल - Aam Aadmi Party responsible for Congress big defeat in Gujarat
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है। गुजरात में जहां भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है वहीं गुजरात में कांग्रेस की बुरी हार हुई है। इसके साथ गुजरात के चुनावी रण में पूरे दमखम से उतरी आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट हासिल कर अपनी तगड़ी उपस्थिति दर्ज कराई है। गुजरात में आम आदमी पार्टी 13 फीसदी वोट शेयर के साथ 5 सीटों पर जीत हासिल करती हुई दिखाई दे रही है। गुजरात में आम आदमी पार्टी के अच्छे प्रदर्शन के बाद अब उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने का रास्ता भी साफ हो गया है।

गुजरात के चुनाव नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय कहते हैं गुजरात में पार्टी ने खिड़की खोल दी है और उसको दरवाजा खोलने से कोई रोक नहीं सकता है। गोपाल राय ने गुजरात की जनता को बधाई देते हुए कहा कि गुजरात की जनता ने झाडू का परचम लहराकर दिल्ली की एक छोटी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलवा दिया है।
 

गुजरात में आम आदमी पार्टी के 13 फीसदी वोट हासिल करना चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार का सबसे प्रमुख कारण माना जा रहा है। गुजरात की राजनीति के जानकार कहते हैं कि गुजरात में कांग्रेस के वोट बैंक में आम आदमी पार्टी ने तगड़ी सेंध लगाई है। सौराष्ट्र और कच्छ जैसे कांग्रेस के प्रभाव वाले इलाकों में आम आदमी पार्टी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर जीत के दावे के साथ गुजरात पहुंची आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन बहुत कुछ वैसा रहा है जैसा पंजाब के 2017 विधानसभा चुनाव में था। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 23 फीसदी वोट बैंक हासिल किया।

2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पहली बार उतरने वाली आम आदमी पार्टी ने 29.49 फीसदी वोट हासिल कर 28 सीटों पर जीत हासिल की थी जब कांग्रोस को सिर्फ 24.55 फीसदी वोट मिले थे औऱ वह 8 सीटों पर सिमट कर सत्ता से बाहर हो गई थी। वहीं चुनाव में भाजपा 33 फीसदी वोटर शेयर के साथ 31 सीटों पर जीत हासिल की थी।

वहीं अगर 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव की बात करे तो आम आदमी पार्टी ने 54.30 फीसदी वोट हासिल कर 67 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं कांग्रेस 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी थी वहीं अगर भाजपा 32.2 फीसदी वोट हासिल करने के बाद भी सिर्फ 3 सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी। अगर 2013 और 2015 के दौरान कांग्रेस का पूरा वोट बैंक आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हो गया है।

वहीं 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी 53.57 फीसदी वोट हासिल कर 62 सीटों पर अपना कब्जा जमाया और वहीं भाजपा ने 38 फीसदी वोट हासिल कर 8 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं इन चुनाव में कांग्रेस का दिल्ली में वोटर शेयर 5 फीसदी के नीचे पहुंच गया।

वहीं दिल्ली के बाद पंजाब जहां आम आदमी पार्टी सत्ता में काबिज है वहां 2017 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पहली बार में ही 23.7 फीसदी वोट हासिल कर 20 सीटों पर जीत हासिल की थी वहीं पांच साल बाद 2022 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 42 फीसदी से अधिक वोट शेयर हासिल कर 117 विधानसभा में 92 सीटों पर जीत हासिल की।  

पंजाब से जीत के रथ पर सवार होकर आम आदमी पाटी गुजरात ने 13 फीसदी वोट हासिल कर लिया है और उसके हौंसले बुंलद है। गुजरात के बाद अब अगले साल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों में चुनाव होने है। मध्ययप्रदेश में निकाय चुनाव में जिस तरह आम आदमी पार्टी ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है उससे इस बात की संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में आम आदमी पार्टी अपना पूरा फोकस गुजरात के बाद भाजपा का दूसरे सबसे मजबूत गढ़ समझे जाने वाले मध्यप्रदेश पर फोकस करेगी। 

अगर आम आदमी पार्टी के सियासी सफर को देखा जाए तो उसने दिल्ली के साथ-साथ पंजाब और अब गुजरात में कांग्रेस को सीधा नुकसान पहुंचाया है। चुनाव दर चुनाव और राज्य वार राज्य कांग्रेस का एकमुश्त वोट बैंक आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट होता जा रहा है। ऐसे में कहा जा सकता है कि देश की राजनीति को कांग्रेस मुक्त करने का  मिशन भाजपा नहीं बल्कि केजरीवाल कर रहे है। 
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