गुजरात में कांग्रेस की सबसे बुरी हार के 5 प्रमुख कारण
गुजरात में कांग्रेस की हार के लिए क्या सोनिया,राहुल और प्रियंका जिम्मेदार?
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने जा रही है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात में जीत की ऐसी इबारत लिख दी है कि जो गुजरात में भाजपा के चुनावी इतिहास में स्वर्मणिम काल है। 27 साल के एंटी इंकमबेंसी फैक्टर को दरकिनार का भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर गुजरात में रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की है। गुजरात में भाजपा में 55 फीसदी वोटर शेयर हासिल किया है, वहीं कांग्रेस को वोट फीसदी 25 फीसदी के आसपास और आम आदमी पार्टी ने 13 फीसदी वोट शेयर हासिल किया है।
1-मोदी के चेहरे का मुकाबला नहीं कर पाई कांग्रेस-गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में चुनावी बैटिंग की उससे विपक्ष चारों खानों चित्त हो गया है। गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस पूरे चुनाव में ब्रांड मोदी का सामना नहीं कर पाई और उससे अब तक अपने सबसे बुरे प्रदर्शन से गुजरना पड़ा। गुजरात में भाजपा ने जिस तरह प्रचंड जीत हासिल की है उससे कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने गुजरात में भाजपा को वॉकओवर को एक तरह से वॉकओवर दे दिया है।
2-मोदी के अपमान का मुद्दा कांग्रेस पर पड़ा भारी-गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वहीं गलती की जो उसने 2017 के विधानसभा चुनाव में की थी। कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना रावण से की, उसने भाजपा को एक तरह से जीत का बूस्टर डोज दे दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी मंच से अपने अपमान के मुद्दें को जोर शोर से उठाकर वोटर्स को भवानात्मक रूप से अपने से जोड़ लिया। नरेंद्र मोदी ने चुनाव को गुजरात के गौरव और अस्मिता से जोड़ दिया और उसका सीधा फायदा भाजपा को चुनाव में मिला।
3-कांग्रेस के पास चेहरे और नेतृत्व संकट–गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार का प्रमुख कारण गुजरात में पार्टी के पास चेहरे और नेतृत्व का संकट होना भी प्रमुख वजह रहा। पूरे चुनाव के दौरान गुजरात में कांग्रेस के प्रति जनता के पास एक अविश्वास का माहौल रहा और वोटर में कांग्रेस के प्रति विश्वास नहीं हो पया।
4-चुनाव प्रचार से कांग्रेस का दूर होना–गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का बड़ा कारण पार्टी का आधे अधूरे मन से चुनावी मैदान में उतरना है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जिस तरह से चुनाव प्रचार से दूरी बनाई उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के बड़े नेताओं ने जिस तरह अपनी दूरी बनाई उसको देखकर यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने बिना लड़े हार मान ली।
कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी का गुजरात चुनाव से दूरी बनाकर भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने से कांग्रेस को कोर वोटर हत्तोत्साहिक नजर आया। वहीं कांग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक बार चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे और उन्होंने अपने चुनावी भाषण में सेल्फ गोल कर दिया।
5-स्थानीय मुद्दों को उठाने में कांग्रेस मे विफल–गुजरात चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दें पर भाजपा को घेर नहीं पाई। गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने विकास के मुद्दें के साथ डबल इंजन के मुद्दें पर चुनाव लड़ी। चुनाव के दौरान कांग्रेस भाजपा के खिलाफ कोई भी मजबूत मुद्दा उठाने में पूरी तरह विफल रही। कांग्रेस गुजरात के लोगों के सामने कोई विजन नहीं रख पाई जिसका खामियाजा कांग्रेस को चुनाव में उठाना पड़ा।
6-AAP का कांग्रेस को सीधा नुकसान करना-गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का 13 फीसदी वोट शेयर हासिल करना कांग्रेस की हार की प्रमुख वजह रही। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक की सीधा नुकसान पहुंचाया और 2017 में भाजपा को सीधी चुनौती देने वाली कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई ।