मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. गंगा दशहरा
  4. Ganga Dussehra Dwar Patra
Written By

गंगा दशहरा पर घर के मुख्य दरवाजे पर क्यों लगाते हैं 'द्वार पत्र', जानिए महत्व और मंत्र

गंगा दशहरा पर घर के मुख्य दरवाजे पर क्यों लगाते हैं 'द्वार पत्र', जानिए महत्व और मंत्र - Ganga Dussehra Dwar Patra
Ganga Dussehra 2022 : प्रति वर्ष ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का शुभ पर्व मनाया जाता है। इस साल 9 जून, 2022 को गंगा दशहरा का पवित्र त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन विधि-विधान से मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन घर के मुख्य दरवाजे में "द्वार पत्र" लगाने की भी परंपरा है। यह परंपरा उत्तराखंड में प्रमुख रूप से प्रचलित है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन हर व्यक्ति को अपने घर के मुख्य द्वार पर द्वार पत्र लगाना चाहिए। "द्वार पत्र" लगाने का बहुत अधिक लाभ होता है। आइए जानते हैं "द्वार पत्र" लगाने का महत्व...
 
गंगा दशहरा "द्वार पत्र" का महत्व
द्वार पत्र लगाने से घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर सकती हैं।
द्वार पत्र को घर में लगाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
इन द्वारपत्रों को लगाने से घर पर प्राकृतिक आपदाओं(Natural Digaster) का भय नहीं होता है...
 
उत्तराखंड में हर घर में लगाया जाता है 'द्वार पत्र'
मां गंगा का उद्गम स्थान गंगोत्री, उत्तराखंड में है। गंगा दशहरा के पावन दिन उत्तराखंड के हर घर के मुख्य दरवाजे में द्वार पत्र लगाने की परंपरा है। उत्तराखंड में गंगा दशहरा के पावन पर्व को बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। गंगा दशहरा के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मां गंगा का ध्यान कर मुख्य दरवाजे में "द्वार पत्र" लगाया जाता है।
 
कैसा हो द्वार पत्र 
द्वार पत्र वर्गाकार कागज के टुकड़े पर वृताकार आकार में होते हैं जिसमें घेरे के चारों ओर त्रिभुजाकार डिजाइन बना होता है कमल की पंखुरियों के समान और मध्य में भगवान श्री गणेश, माँ गंगा, माँ लक्ष्मी, श्री हनुमान एवं भगवान् शंकर का चित्र बना होता है और उनके चारों ओर एक घेरे में संस्कृत में एक मंत्र लिखा होता है...  
 
 द्वार पत्र पीले,लाल और हरे रंग में होना चाहिए
 
द्वार पत्र श्री यंत्र या अन्य इष्ट देव के यंत्रों की आकृति में बनवाना शुभ माना जाता है....
 
शिवजी, गंगा माता, श्री गणेश , हनुमान जी या अपने इष्ट देव की तस्वीर बीच में गोल घेरे में हो 
 
गोल घेरे पर ही शुभ अर्थों वाले प्रचलित श्लोक मंत्र भी लिखे हों, कहीं कहीं पर द्वार पत्र के श्लोक निर्धारित होते हैं... 
 
'द्वार पत्र' के शुभ श्लोक-मंत्र
 
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च।
जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्र वारका:।।1।।
 
मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात।
विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे।।2।।
 
यत्रानुपायी भगवान् हृदयास्ते हरिरीश्वर:।
भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।3।।
 ‘अगस्त्य,पुलस्त्य,वैशम्पायन,जैमिनी और सुमंत ये पंचमुनि वज्र से रक्षा करने वाले मुनि हैं।
 
 इस दिन लोग बाग़ सुबह उठ कर नहा धोकर घरों को गोबर और लालमिट्टी से लिपते हैं और फिर मंदिरों में धूप बत्ती कर दहलीज और खिड़की दरवाजों पर पंडित जी द्वारा दिया हुआ गंगा दशहरा द्वारपत्र (Ganga Dushhera Dwarpatra) लगाते हैं और फिर उसपर अक्षत लगाए जाते हैं....  
 
पुराने समय में पंडित जी लोग अपने हाथों से बनाकर सुन्दर द्वारपत्र अपने अपने जजमानों को देने घरों पर जाते थे सुबह सवेरे लेकिन अब धीरे धीरे बाजार में बने बनाए आने लगे हैं... आजकल प्रिंटेड दशहरा द्वार पत्रों में अशुद्ध मंत्र लिखे होते हैं जो प्रायः गलत है इसका कोई शुभ फल भी नहीं मिलता है! इसलिये आप केवल सही मंत्रों वाले द्वारपत्र ही लगाएँ वही शुभ फल प्रदान करेंगे। 

अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्च वैशम्पायन एव च।
जैमिनिश्च सुमन्तुश्च पञ्चैते वज्र वारका:।।1।।
 
मुने कल्याण मित्रस्य जैमिनेश्चानु कीर्तनात।
विद्युदग्निभयंनास्ति लिखिते च गृहोदरे।।2।।
 
यत्रानुपायी भगवान् हृदयास्ते हरिरीश्वर:।
भंगो भवति वज्रस्य तत्र शूलस्य का कथा।।3।।
ये भी पढ़ें
रवि प्रदोष व्रत : ज्येष्ठ मास का दूसरा प्रदोष व्रत कब, मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और मंत्र