• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. फ्लैशबैक 2020
  4. Ministry of Health surrounded by Coronavirus's Chakravyuh
Written By
Last Updated : बुधवार, 30 दिसंबर 2020 (20:57 IST)

Flashback 2020: 2020 में कोरोनावायरस के चक्रव्यूह में घिरा स्वास्थ्य मंत्रालय

Flashback 2020: 2020 में कोरोनावायरस के चक्रव्यूह में घिरा स्वास्थ्य मंत्रालय - Ministry of Health surrounded by Coronavirus's Chakravyuh
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए कोविड-19 के खिलाफ भारत की जंग के लिहाज से 2020 बेहद चुनौतीपूर्ण रहा और इस दौरान जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाने के साथ ही स्वास्थ्य अवसंरचना को मजबूत करने जैसे मुश्किल लक्ष्य भी उसे साधने पड़े। कोविड-19 के उपचार और प्रबंधन संबंधित दिशा-निर्देश समय-समय पर जारी कर लोगों को इस महामारी से सुरक्षित बनाने की जिम्मेदारी ने मंत्रालय के काम का बोझ भी इस साल काफी बढ़ाया।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके साथ ही साथ टीके के विकास कार्यक्रम को भी पटरी पर रखा और टीकों के अगले साल की शुरुआत में उपलब्ध होने की पूरी उम्मीद है। देश में कोरोनावायरस संक्रमण का पहला मामला 30 जनवरी को केरल में सामने आया था जबकि इससे पहली मौत कर्नाटक में 10 मार्च को हुई थी। सितंबर आते-आते भारत कोविड-19 के मामलों के लिहाज से अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया था। 
कोरोनावायरस को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन करना पड़ा और फिर देश ने जैसे-जैसे क्रमिक और पूर्वानुमानित रुख के साथ लॉकडाउन के नियमों में ढील दी, स्वास्थ्य मंत्रालय ने धार्मिक स्थलों, शॉपिंग मॉल, रेस्तरां, होटल और कार्यालयों तथा हाल ही में शैक्षणिक संस्थानों को खोलने के दौरान वायरस का प्रसार रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी करना शुरू किया।
 
केंद्र ने 30 मार्च को कोविड-19 के खिलाफ लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख रुपए के बीमा कवर की भी शुरुआत की। उसने देश में कोविड-19 के प्रबंधन और विभिन्न मुद्दों पर सुविज्ञ फैसले लेने के लिए 11 अधिकार प्राप्त समूहों का भी गठन किया। कोरोना के दैनिक मामले सितंबर में चरम पर पहुंच गए, जब महीने के 17वें दिन सामने आए संक्रमण के मामलों की संख्या 97,894 पहुंच गई जिसके बाद से भारत में गिरावट का रुख देखा जा रहा है जबकि कई अन्य देशों में संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
कोविड-19 के दैनिक मामलों में गिरावट के बावजूद भारत में 19 दिसंबर को कोरोनावायरस संक्रमण के मामले 1 करोड़ के आंकड़े के पार पहुंच गए और प्रति 10 लाख नए मामले सामने आने में अब करीब 1 महीने का समय लग रहा है जबकि अगस्त और सितंबर में यह आंकड़ा और कम समय में पूरा हो जा रहा था।
 
कोविड-19 के वैश्विक आंकड़ों का संकलन कर रही अमेरिका की जॉन्स हॉप्किंस युनिवर्सिटी के मुताबिक भारत में अब तक 98 लाख से ज्यादा लोग संक्रमणमुक्त हो चुके हैं और इस महामारी से ठीक होने वालों की संख्या के हिसाब से देश पहले स्थान पर है और उसके बाद ब्राजील आता है, वहीं महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या के हिसाब से अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरे स्थान पर है।
महामारी से जंग के दौरान भारत ने कोविड-19 से बचाव के लिए पीपीई और एन-95 मास्क जैसी जरूरी चीजों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही जांच की सुविधा में भी इजाफा किया और इनके घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर विदेशों पर निर्भरता कम ही। शुरू में देश में सिर्फ पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में जांच प्रयोगशाला थी और लॉकडाउन की शुरुआत में इसे बढ़ाकर 100 किया गया और 23 जून को आईसीएमआर ने देश में 1,000वीं जांच प्रयोगशाला को मान्यता दे दी थी।
 
भारत में 1,200 सरकारी और 1,080 निजी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के लिए अब तक 17 करोड़ से ज्यादा नमूनों की जांच की जा चुकी है। इस महामारी के इलाज के लिए टीका विकसित करने को जब कई देशों ने कमर कसी तो भारतीय वैज्ञानिकों ने भी पहल की और कम से कम 3 टीके विकसित करने की दिशा में दावेदारी की जिनमें से 1 को मंजूरी देने के लिए सक्रियता से विचार किया जा रहा है।
फिलहाल कोविड-19 के 6 टीके भारत में नैदानिक परीक्षण के दौर से गुजर रहे हैं। ये हैं- भारत बायोटेक द्वारा आईसीएमआर के साथ मिलकर बनाई जा रही कोवैक्सीन, एस्ट्राजेनेका के लाइसेंस के तहत एसआईआई द्वारा बनाई जा रही ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, केंद्र के जैवप्रौद्योगिकी विभाग के साथ अहमदाबाद में कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा बनाई जा रही जाइकोव-डी, रूस के गामालेया नेशनल सेंटर के साथ मिलकर हैदराबाद के डॉ. रेड्डीज लैब द्वारा बनाई जा रही स्पूतनिक-5, अमेरिका की एमआईटी के साथ हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा टीका तथा 6ठा पुणे स्थित जेन्नोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड द्वारा अमेरिका के एचडीटी द्वारा मिलकर बनाया जा रहा टीका है।
 
इसके अलावा एक एनवीएक्स-सीओवी2373 भी है जिसे एसआईआई द्वारा नोवावैक्स के साथ मिलकर बनाया जा रहा है और इसके तीसरे चरण का नैदानिक परीक्षण औषधि नियामक के पास विचारार्थ है। इस बीच भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) और फाइजर ने भारत के औषधि महानियंत्रक के समक्ष भारत में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अपने टीकों को अधिकृत किए जाने के लिए आवेदन किया है। 
केंद्र ने हाल में कहा था कि फाइजर ने अभी अपनी प्रस्तुति नहीं दी है जबकि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट के आवेदनों की जांच की जा रही है।
महामारी का प्रसार रोकने के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय लोगों में कोविड अनुकूल आचरण को अपनाने के महत्व को रेखांकित करने के लिए मीडिया से भी नियमित रूप से संपर्क में रहा। लोगों को मास्क पहनने, हाथों की साफ-सफाई, श्वसन संबंधी तौर-तरीकों और सामाजिक दूरी के पालन का वायरस के प्रसार पर पड़ने वाला असर भी बताया गया। सरकार पहले चरण में 30 करोड़ लोगों के टीकाकरण की तैयारी कर रही है, ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में राज्यों को टीकाकरण अभियान के लिए कोविड-19 टीका संचालन दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
 
कोविड-19 टीका पहले स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दिया जाएगा जिसके बाद अन्य बीमारियों से ग्रस्त 50 साल से कम उम्र के लोगों को यह दिया जाएगा। इसके बाद अंत में बची हुई आबादी को टीके की उपलब्धता के हिसाब से इसकी खुराक दी जाएगी। कोविड-19 टीकों की आपूर्ति और वितरण की वास्तविक समय में निगरानी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने को-विन नाम का एक डिजिटल प्लेटफॉर्म भी बनाया है। लोग इस पर टीकों की उपलब्धता संबंधी विवरण देखने के साथ ही टीकों के लिए पंजीकरण भी करा सकेंगे। इसके साथ ही टीका देने के लिए विभिन्न स्तरों पर चिकित्सकों व स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
4 माह के बच्चे को विमान में हुई सांस लेने में तकलीफ, इमरजेंसी लैंडिंग, फिर भी नहीं बची जान