14 दिसंबर को भूख हड़ताल करेंगे किसान नेता, बोले- संशोधन नहीं, तीनों कानून वापस ले सरकार
नई दिल्ली। किसान नेताओं ने रविवार को अपनी मांगों पर कायम रहते हुए कहा कि वे सरकार से वार्ता को तैयार हैं लेकिन पहले तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बातचीत होगी। किसानों ने घोषणा की कि उनकी यूनियनों के प्रतिनिधि 14 दिसंबर को देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान भूख हड़ताल पर बैठेंगे। सिंघू बॉर्डर पर संबोधित करते हुए किसान नेता कंवलप्रीतसिंह पन्नू ने कहा कि रविवार को हजारों किसान राजस्थान के शाहजहांपुर से जयपुर-दिल्ली राजमार्ग के रास्ते सुबह 11 बजे अपने ट्रैक्टरों से 'दिल्ली चलो' मार्च शुरू करेंगे। आंदोलन को और तेज करने की रणनीति साझा करते हुए किसान नेता ने घोषणा की कि उनकी माताएं, बहनें और बेटियां भी जल्द प्रदर्शन में शामिल होंगी। प्रदर्शन स्थलों पर उनकी सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं। ALSO READ: कृषि कानूनों के समर्थन में किसानों का समूह नरेंद्र सिंह तोमर से मिला, निरस्त किए जाने पर प्रदर्शन की धमकी दी किसानों की आय बढ़ाएंगे कानून : किसानों की तरफ से आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया गया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है तथा तीनों कानूनों का उद्देश्य आय बढ़ाने के लिए उन्हें वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराने का है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र में बाधाओं को हटाने का काम किया गया है। इससे क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकी आएगी और निवेश बढ़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के प्रमुख उद्योग मंडल फिक्की की 93वीं सालाना आम बैठक का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश
करने की अपील करते हुए कहा कि इस कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र की ओर से जितना निवेश होना चाहिए
था वह नहीं हुआ है।
देश के अन्य हिस्सों से पहुंच रहे हैं किसान : किसान नेता पन्नू ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों से भी किसान यहां आ रहे हैं और वे आने वाले दिनों में आंदोलन को अगले स्तर पर पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रही है, लेकिन वे किसी भी तरह प्रदर्शन में शामिल होंगे और आने वाले दिनों में इसे अगले स्तर पर ले जाएंगे। पन्नू ने कहा कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो हम तैयार हैं, लेकिन हमारी मुख्य मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की रहेगी। हम उसके बाद ही अपनी अन्य मांगों पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि किसान संगठनों के नेता नए कृषि कानूनों के खिलाफ 14 दिसंबर को सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल करेंगे।
आंदोलनकमजोरकरना चाहती है सरकार : पन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार ने आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने प्रदर्शन शांतिपूर्ण रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने हमें बांटकर आंदोलन को कमजोर करने का प्रयास किया। मैं कहना चाहता हूं कि जारी आंदोलन पूरी तरह 32 किसान संघों के नियंत्रण में है। हम विभाजित करने के सरकार के हर प्रयास को विफल कर देंगे।
असामाजिक तत्वों की घुसपैठ : सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों को आगाह किया था कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने दें क्योंकि कुछ 'असामाजिक' और 'वामपंथी तथा माओवादी' तत्व आंदोलन के माहौल को बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। टीकरी बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को छोड़ने की मांग वाले पोस्टर लिए हुए तस्वीरें सामने आने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि ये 'असामाजिक तत्व' किसानों के भेष में शांतिपूर्ण आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। किसानों ने इस सप्ताह की शुरुआत में 12 दिसंबर को सभी टोल प्लाजाओं को फ्री करने की तथा
जयपुर-दिल्ली राजमार्ग को बंद करने की घोषणा की थी।
पन्नू ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि हरियाणा में सभी टोल प्लाजा आज फ्री रहे। पंजाब में एक अक्ट्रबर से टोल प्लाजा फ्री हैं। कुछ किसान नेताओं ने कहा कि शनिवार को राजमार्ग को अवरुद्ध नहीं किया जा सका क्योंकि उनमें से अधिकतर राजस्थान तथा हरियाणा के सुदूर इलाकों से दिल्ली के रास्ते में थे। पन्नू ने कहा कि कई मार्गों पर पुलिस अवरोधक लगाए गए हैं इसलिए किसान दिल्ली नहीं पहुंच सके। शनिवार को राजस्थान के शाहजहांपुर के पास सभी किसान जमा हुए और आज सुबह वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर कूच करेंगे।
सरकार मनाने में जुटी : केंद्रीय मंत्री सोम प्रकाश ने शनिवार को कहा कि गतिरोध खत्म करने के लिए आंदोलन के नेताओं के साथ अगले दौर की बैठक शीघ्र बुलाने की कोशिश की जा रही है। किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ चर्चा करने के बाद, प्रकाश ने कहा कि हम शीघ्र बैठक बुलाने की कोशिश कर रहे हैं। हम चर्चा कर रहे हैं। तारीख अभी तय नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि आखिरकार, हमें बातचीत के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाना होगा। कोई और रास्ता नहीं है। वे (किसान) भी इस बारे में जानते हैं, हम भी जानते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है।
वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री एवं पंजाब से सांसद प्रकाश ने कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के बारे में 'चिंतित' है। साथ ही उनसे चर्चा के लिए आगे आने का आग्रह किया। केंद्र सरकार और 40 किसान संघों के नेताओं के बीच पिछले 6 दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। सरकार ने किसान नेताओं को विचार करने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया तथा अपना विरोध और तेज कर दिया है। (भाषा)