- कितनी विश्वसनीय है हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट
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वित्तीय विशेषज्ञों ने क्या बताया हिंडनबर्ग रिसर्च के बारे में
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क्या वाकई ये रिपोर्ट करती है भारतीय बाजार को प्रभावित
Hindenburg report : अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत में सिक्योरिटी मार्केट रेगुलटर (नियामक) सेबी की मौजूदा चेयरमैन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया है। इस रिपोर्ट के बाद भारतीय राजनीति में एक तरह से भूचाल आ गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस रिपोर्ट को लेकर एक बार फिर से सरकार पर निशाना साधा है, हालांकि सेबी प्रमुख के साथ ही अडाणी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया है। हालांकि बता दें कि इस रिपोर्ट के आने के बाद शेयर बाजार में जिस भारी गिरावट का अंदेशा था, वैसी गिरावट देखने को नहीं मिली है।
वहीं वित्तीय मामलों के कई विशेषज्ञ हिंडनबर्ग की रिसर्च रिपोर्ट को अविश्वसनीय मानते हैं। उनका कहना है कि हिंडनबर्ग नेगेटिव खबरें फैला कर शॉर्ट सेल से पैसा कमाने का काम करती है और यही उसका उनका धन्धा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जो हिंडनबर्ग जिन रिपोर्ट को आधार बताकर एक्सपोज करने का दावा कर रही है वो दस्तावेज पहले से ही पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं।
जानते हैं क्या है हिंडनबर्ग और क्यों हम उस पर यकीन करें। जानते हैं क्यों विशेषज्ञ हिंडनबर्ग को बताते हैं अविश्वसनीय। वेबदुनिया ने इस पूरे मामले को समझने के लिए शेयर बाजार और वित्तीय मामलों के साथ व्यापार की दुनिया में दखल रखने वाले कुछ एक्सपर्ट्स से चर्चा की।
अपनी क्रेडिबिलिटी खो चुकी है हिंडनबर्ग : इकोनॉमिक्स टाइम्स में जर्नलिस्ट और वित्तीय मामलों के जानकार
शराफत खान ने
वेबदुनिया को बताया कि अब कोई असर नहीं, कुछ था ही नहीं उस रिपोर्ट में। जो हिंडनबर्ग ने बताया वो सेबी को पहले से पता है।। ऐसे आरोप अमेरिका में लोग रोज़ लगाते हैं। इकोनॉमी बड़ी होती है तो ऐसे फंड में इन्वॉल्वमेंट होता ही है। दरअसल, हिंडनबर्ग एसेंजी बहुत पहले अपनी क्रेडिबिलिटी खो चुकी है। वो नेगेटिव खबरें फैला कर शॉर्ट सेल से पैसा कमाते हैं। ये उनका धन्धा है। पिछले कुछ सालों में कुछ छोटी इकोनॉमी और एक्सचेंज उनका शिकार बने हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है जो भारतीय बाज़ार को नुकसान पहुंचा सके। अब इसकी रिपोर्ट की कोई वैल्यू नहीं। जो डोक्यूमेंट उसने बताए हैं, वो महीनों से पब्लिक डोमेन में मौजूद हैं।
शॉर्ट सेलिंग के माध्यम से पैसा कमाता हिंडनबर्ग : शेयर बाजार
विशेषज्ञ नितिन भंडारी ने कहा कि हिंडनबर्ग शॉट सेलर है वह रिसर्च करता है और शॉर्ट सेलिंग के माध्यम से पैसा कमाता है। उसने अडाणी के साथ भी ऐसा ही किया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर 150 रुपए का था इसकी कीमत बढ़ते बढ़ते 4000 तक पहुंच गई। हिंडनबर्ग ने लाभ कमाने के उद्देश्य से उसके खिलाफ रिपोर्ट पेश की और नकारात्मक माहौल बनाया। अडाणी इंटरप्राइजेस का शेयर गिरकर 1500 तक आ गया। मामले में कुछ नहीं निकला। सेबी ने उसे क्लीन चिट दे दी। बहरहाल अडाणी ग्रुप को इस झटके से उबरने में साल भर लग गया।
बदले की भावना से कार्रवाई : विशेषज्ञ
नितिन भंडारी ने बताया कि सेबी ने जुलाई में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर एवं निवेश शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च को अडाणी समूह के शेयरों पर दांव लगाने में उल्लंघन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हिंडनबर्ग इससे भी नाराज था। बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए उसने सेबी प्रमुख को मामले में घसीट लिया।
क्या है हिंडनबर्ग का नया खुलासा : हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया है कि सेबी प्रमुख बुच और उनके पति के पास अडाणी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी ने अडाणी के मॉरीशस और ऑफशोर शेल संस्थाओं के अघोषित जाल की जांच में आश्चर्यजनक रूप से रुचि नहीं दिखाई है। अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंडों को नियंत्रित करते थे। हिंडनबर्ग का आरोप है कि इन फंडों का इस्तेमाल धन की हेराफेरी करने और समूह के शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था।
क्या है हिंडनबर्ग : दरअसल, हिंडनबर्ग रिसर्च एक अमेरिकी रिसर्च कंपनी है। इसे नेट एंडरसन नाम के अमेरिकी नागरिक ने शुरू किया था। इस कंपनी के प्रमुख कामों में एक काम शॉर्ट सेलिंग भी है। ये कंपनियों पर अपनी रिपोर्ट के जरिये उनमें अपनी पोजीशन बनाती है। इससे पता चल सकता है कि क्या कुछ कंपनियों के बाजार मूल्य में गिरावट आ सकती है। कंपनी के फाउंडर नेट एंडरसन खुद को एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर बताते हैं।
कब से काम कर रही हिंडनबर्ग : हिंडनबर्ग रिसर्च 2017 से काम कर रही है और उसका दावा है कि उसने अब तक 16 ऐसी रिपोर्ट्स जारी की हैं, जिनमें अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के अलावा देश-विदेश की कंपनियों में गैरकानूनी लेनदेन और वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया गया है। बता दें कि हिंडनबर्ग रिसर्च अफिरिया, परशिंग गोल्ड, निकोला और कुछ दूसरी नामी-गिरामी कंपनियों में वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करने का दावा करती है। इसे लेकर अक्सर भारत की राजनीति में भूचाल आता रहा है। इसके पहले भी अडानी समूह को लेकर खुलासे करने का दावा किया था।
रईसों की टॉप लिस्ट से बाहर हो गए थे अडानी : हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट के बाद अदानी समूह की कंपनियों को 150 अरब डॉलर का नुक़सान हो गया था। रिपोर्ट आने के एक ही महीने के भीतर अदानी की नेटवर्थ में 80 बिलियन डॉलर यानी 6.63 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा की गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के दस दिनों के अंदर वो दुनिया के टॉप 20 रईसों की सूची से बाहर हो गए थे।
Edited by Navin Rangiyal