शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
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आग बरसा रहा यूरोप का आसमान, सारे रिकॉर्ड टूटे, हीट वेव से पिघली सड़कें, 'संकट में जिंदगी'

heat wave
भारत के कई हिस्‍सों में जहां घनघोर बारिश हो रही है, कई राज्‍यों में बाढ़ जैसे हालात हैं, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान, मध्‍यप्रदेश और आसाम जैसे राज्‍य बारिश से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं, वहीं दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां भीषण गर्मी और हीट वेव से हाहाकार मचा हुआ है।

हालात यह है कि कहीं हीट वेव लोगों की जान ले रही है तो कहीं रेलवे के ट्रैक पिघल रहे हैं। तो वहीं कई देशों के जंगलों में गर्मी की वजह से आग लग रही है। आखिर क्‍या वजह है कि दुनिया इतनी गर्म हो रही है, उसका तापमान पूरी तरह से बिगड़ चुका है। जानते हैं क्‍या है हीट वेव और क्‍या है इतनी भीषण गर्मी की वजह।

इन देशों में हालात बेहद गर्म
भारत में बारिश ने हाहाकार मचा रखा है तो वहीं, यूरोप में भीषण गर्मी का आतंक है। बढ़ते हुए तापमान से फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और ग्रीस के जंगलों में आग लग रही है। वहीं दूसरी तरफ गर्मी के भयावह रूप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन की सड़कें और रेलवे ट्रैक पिघल रहे हैं। डामर और रबर, प्‍लास्‍टिक से बनी हुए वस्‍तुएं पिघल रही हैं। लोग गर्मी से परेशान हैं, इससे निजात के लिए तरह तरह के उपाय किए जा रहे हैं, जो गर्म देशों में देखने को मिलता रहा है, वो युरोप में नजर आ रहा है।

हीट वेव की चपेट में यूरोप
ताजा हालतों पर नजर डालें तो पता चलता है कि यूरोप पूरी तरह से हीट वेव की चपेट में आ गया है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इतिहास में पहली बार यहां पारा 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। इतना ही नहीं, गर्मी की वजह से महाद्वीप में अब तक करीब 1 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कई लोग बीमार हो रहे हैं, तो वहीं जानवर और पशु- पक्षी भी इससे बच नहीं पा रहे हैं।

2003 में बने थे ऐसे हालात
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले साल 2003 में भी यूरोप हीट वेव का शिकार हुआ था। बताया जाता है कि तब हीट वेव में 70 हजार लोगों की मौत हो गई थी। अब इतने सालों बाद फिर वैसी ही स्‍थिति बन रही है। अंदाजा लगाया जा रहा है मौसम का चक्र या क्‍लाइमेट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है।

क्‍या होती है हीट वेव?
जिस हीट वेव की वजह से ये तमाम परेशानी हो रही है, वो आखिर क्‍या होती है, इसके पीछे की क्‍या वजह है। दरअसल, जब किसी क्षेत्र में तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा हो जाता है और वह स्‍तर कई दिनों तक बना रहता है तो उसे हीट वेव कहा जाता है। डब्‍लूएचओ ने दुनिया में बढ़ते तापमान को लेकर चेतावनी जारी की है। डब्‍लूएचओ का कहना है कि दुनियाभर में तापमान बढ़ने के कारण हमें पानी, खाना और ऊर्जा की कमी हो सकती है। इसके साथ ही लोगों को गर्मी-जनित गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

यहां रिकॉर्ड स्‍तर पर हीट वेव
ब्रिटेन में तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। मौसम विभाग ने सभी इलाकों में हीट वेव के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। गर्मी से रेल सेवाएं प्रभावित हुईं और स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
Climate Change
स्‍पेन : पलायन की मजबूरी, जंगल हुए खाक
स्पेन के कार्लोस इंस्टीट्यूट के मुताबिक वाइल्ड फायर यानी जंगल में लगी आग की वजह से 862 लोगों की जान चली गई। जबकि करीब 13 हजार से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। वहीं जंगल की बात करें तो अब तक 70 हजार हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुका है।

फ्रांस : नदियों का पानी गर्म, प्रोडक्‍शन ठप्‍प
फ्रांस ने एक हफ्ते में गर्मी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यहां नदियों का पानी गर्म हो गया है। जिससे न्यूक्लियर पावर प्लांट्स के प्रोडक्शन को ठप्‍प हो गया है। 3 हजार से ज्यादा फायर फाइटर और दूसरे सहयोगी कर्मचारी और वॉलिंटियर जंगल की आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं।

पुर्तगाल : हीट वेव में 11 लोगों की मौत
पुर्तगाल में तो हीट वेव से लोगों की जान जा रही है। वहीं रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में भी कठिनाई आ रही है। 17 जुलाई को आग पर काबू पाने में जुटा एक फायर फाइटिंग प्लेन क्रैश हो गया। हीट वेव से जुड़ी घटनाओं में करीब 1100 लोगों की मौत हो चुकी है।

जर्मनी : हाई अलर्ट पर
रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के लोग गर्मी की वजह से सूखे की मार झेल सकते हैं। बेल्जियम और स्वीडन में गर्मी बढ़ने से 'रेड' और 'ऑरेंज' वॉर्निंग दे दी गई है। वाइल्ड फायर की वजह से इटली भी हाई-अलर्ट पर है। आसपास के इलाकों, जंगलों और टैरीटरी क्षेत्रों को भी अलर्ट पर रखा गया है। आग और गर्मी से बचने के लिए हर संभव कोशिश और इंतजाम किए जा रहे हैं।
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भारत : क्‍या कहती हैं IPCC की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के साथ ही IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) की जो रिपोर्ट आई है, उनमें न सिर्फ यूरोप बल्‍कि भारत के लिए भी आने वाले समय में संकट के संकेत दिए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक उत्सर्जन के आधार पर हम करीब 10 से 20 साल में तापमान के मामले में 1.5 डिग्री की बढ़ोतरी पर पहुंच जाएंगे। यह भारत के लिए खतरनाक है, क्‍योंकि गर्मी बढ़ने से भारत के 50% हिस्से और ऐसे लोगों पर भारी प्रभाव पड़ेगा, जिनका जीवनयापन सीधेतौर पर पर्यावरण पर निर्भर करता है। विशेषज्ञों का दावा है कि इस गति से गर्मी बढ़ना मानव जाति के इतिहास में 2000 साल में पहली बार देखा गया है। IPCC की रिपोर्ट में साफ है कि यह सभी घटनाएं, इनकी तीव्रता, इनकी गंभीरता बड़े पैमाने पर भविष्‍य में देखने को मिलेगी। इससे भारत के लोगों पर भारी असर होगा, खासकर ऐसे 40 करोड़ लोगों पर जिनका रोजगार पर्यावरण या इसी तरह‍ के संसाधनों चलता है।

200 देश क्‍लाइमेट चेंज से लड़ रहे युद्ध
साल 2015 में पेरिस जलवायु समझौता हुआ था, जिसमें 200 देशों ने इस ऐतिहासिक जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, इस समझौता का मकसद था दुनिया में हो रही तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से कम रखना। इसके साथ ही यह तय करना कि यह पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में सदी के अंत तक 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 फारेनहाइट) से ज्‍यादा न हो। रिपोर्ट में शामिल 200 से ज्यादा लेखक पांच परिदृश्यों पर नजर बनाए हुए हैं और उनका मानना है कि किसी भी स्‍थिति में दुनिया 2030 तक 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के आंकड़े को पार कर लेगी। यह आशंका पुराने पूर्वानुमानों से काफी पहले है।

क्‍या है दुनिया के 234 वैज्ञानिकों की इस रिपोर्ट में?
यह 3000 पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट है। इसे दुनिया के 234 वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। जिसमें कहा गया है कि तापमान से समुद्र स्तर बढ़ रहा है, बर्फ का दायरा सिकुड़ रहा है और प्रचंड लू, सूखा, बाढ़ और तूफान की घटनाएं बढ़ रही हैं। ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात और मजबूत और बारिश वाले हो रहे हैं, जबकि आर्कटिक समुद्र में गर्मियों में बर्फ पिघल रही है और इस क्षेत्र में हमेशा जमी रहने वाली बर्फ का दायरा घट रहा है।