मौसम बदलते ही हो जाते हैं SAD, सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर का शिकार तो नहीं, जानिए लक्षण और उपचार
गर्मी के मौसम के बाद मानसून सीजन आता है। यह मौसम बहुत सारे लोगों को अच्छा लगता है तो बहुत सारे लोगों को अच्छा नहीं लगता हैै। जी हां, आपने सही पढ़ा बहुत सारे लोगों को मानसून सीजन अच्छा नहीं लगता है। क्योंकि वे इस मौसम में मानसिक तौर पर परेशान हो जाते हैं। मेडिकल की भाषा में इसे सैड सिंड्रोम कहते हैं, यानी सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर । यह खासतौर पर सर्दियों के सीजन में होता है। लेकिन बरसात की सीजन में भी इस बीमारी का शिकार होते हैं।
आइए जानते हैं क्या है सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर? इसके लक्षण और उपचार
जब भी मौसम बदलता है इसका असर मानसिक स्थिति पर अधिक होता है। जिस वजह से इंसान एकदम गुमसुम, चिड़चिड़ा अकेले रहना, किसी प्रकार का निर्णय नहीं ले पाना, दिमाग में विचारों का चक्र लगातार चलते रहना। इस वजह से इंसान कई बार सोचते -सोचते डिप्रेशन का शिकार भी होने लग जाता है। इसका मतलब मौसम में बदलाव से इंसान डिप्रेशन का भी शिकार हो जाता है। इसे मेडिकल टर्म में सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर कहते हैं।
सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर के लक्षण
- लगातार मूड स्विंग होना
- छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना
- खुद को सबसे अलग रखना
-नींद नहीं आना
- भूख नहीं लगना
- छोटी -छोटी बातों पर रोना आना
- शरीर सुस्त रहना।
यह सभी लक्षण शुरुआत में बहुत कम होते हैं लेकिन धीरे -धीरे यह समस्या बढ़ जाती है। और डिप्रेशन का शिकार होने लग जाते हैं। जिससे उबर पाने में बहुत अधिक समस्या आती है और काफी समय लगता है।
सैड सिंड्रोम के शिकार की सबसे बड़ी वजह है धूप
इस बीमारी के चपेट में आने का सबसे कारण है धूप नहीं मिलना। जी हां, बारिश और सर्दी के मौसम में धूप छाँव चलता है। लेकिन शरीर में विटामिन डी की कमी से सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर होता है। विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत धूप है। शरीर में मौजूद सेरोटोनिन रसायन की कमी होने की वजह शरीर का चक्र बिगड़ जाता है और इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। इसलिए डॉक्टर अक्सर धूप में बैठने की सलाह देते हैं।
इसका उपचार
- मौसम बदलते ही अगर आप इस बीमारी का शिकार होते हैं तो अधिक से अधिक धूप लें।
- अपनी डाइट में विटामिन डी से भरपूर फल और चीजों का सेवन करें।
- बादल होने की वजह से धूप नहीं है तो लाइट थैरेपी लें।
- मौसम के अनुसार खुद को बदलने की कोशिश करें।
- मौसम के अनुसार डाइट लें।
- सुबह उठकर एक्सरसाइज और मेडिटेशन जरूर करें।
- अपना रोज का रूटीन फिक्स करें।