मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट विश्व कप 2023
  3. क्रिकेट विश्व कप 2023 न्यूज
  4. The first two ODI World Cup victory is still fresh in subconscious mind of Clive Lloyd
Written By
Last Updated : बुधवार, 20 सितम्बर 2023 (12:57 IST)

वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड के दिल में अभी भी ताजा है पहले 2 वनडे विश्वकप की जीत

वेस्टइंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड के दिल में अभी भी ताजा है पहले 2 वनडे विश्वकप की जीत - The first two ODI World Cup victory is still fresh in subconscious mind of Clive Lloyd
अपनी कप्तानी में WestIndies वेस्टइंडीज को दो बार विश्व चैंपियन (1975 और 1979) बनाने वाले पूर्व कैरेबियाई कप्तान क्लाइव लॉयड के दिमाग में अब भी पहले क्रिकेट महासमर की खिताबी जीत की यादें ताजा हैं, जिसमें उन्होंने तूफानी शतक जड़ा था। 
 
लॉयड ने कहा, यह पहला विश्व कप था और अब कभी पहला विश्व कप नहीं होगा तथा वेस्टइंडीज के कई समर्थकों के सामने उसे जीतना रोमांचकारी था। वर्तमान समय के बल्लेबाज अमूमन वनडे में हर गेंद पर रन बनाने का स्ट्राइक रेट चाहते हैं लेकिन लॉयड ने 1975 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में केवल 85 गेंदों पर 12 चौकों और दो छक्कों की मदद से 102 रन ठोंक दिए थे।
 
उन्होंने यह पारी तब खेली थी, जबकि पहले बल्लेबाजी का न्‍योता पाने वाले वेस्टइंडीज का स्कोर 3 विकेट पर 50 रन था। लॉयड ने यह पारी ऑस्ट्रेलिया के उस आक्रमण के सामने बनाई थी, जिसमें डेनिस लिली और जैफ थामसन जैसे घातक गेंदबाज और स्विंग गेंदबाज गैरी गिलमर शामिल थे। लॉयड ने रोहन कन्हाई के साथ 149 रन की साझेदारी की जिससे वेस्टइंडीज ने 60 ओवरों में आठ विकेट पर 291 रन बनाए जो उस समय बहुत बड़ा स्कोर माना जाता था।
लॉयड ने कहा, मैंने शतक लगाया था, मुझे याद है मैंने 102 रन बनाए थे लेकिन जब मैंने क्रीज पर कदम रखा तब हमारे तीन विकेट गिर चुके थे और हमारी हालत नाजुक थी। रोहन कन्हाई और मैंने परिस्थिति के अनुरूप बल्लेबाजी की और फिर मजबूत स्कोर बनाया।
 
उन्होंने कहा, हमारा इतना स्कोर था कि उसका हम आसानी से बचाव कर सकते थे और हमने ऐसा किया भी। आखिर में भले ही मुकाबला करीबी हो गया था लेकिन हमने मैच में हर समय अपना पलड़ा भारी रखा था। इस बार वेस्टइंडीज ने क्वालीफाइंग प्रतियोगिता के जरिए विश्व कप में जगह बनाई है लेकिन हाल में उसने इंग्लैंड को टेस्ट श्रृंखला में 2-1 से हराया।
 
1975 विश्वकप की शुरुआत तक केवल 18 एक दिवसीय मैच ही हुए थे, इंग्लैंड ने सर्वाधिक 15 मैच खेले थे जबकि भारतीय टीम ने सिर्फ दो। खैर इंग्लैंड में विश्वकप का आगाज हो गया, जिसमें शामिल टीमों की संख्या थी आठ। छः टीमें वे थीं जिन्हें टेस्ट दर्जा प्राप्त था- ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान व भारत के अलावा दो टीमें वे थीं जिन्होंने आईसीसी ट्रॉफी के लिए खेले गए मुकाबलों में विजेता व उपविजेता रहने का श्रेय प्राप्त किया था। ये टीमें थीं श्रीलंका और पूर्व अफ्रीका।

ये टीमें ए और बी समूह में शामिल थीं। स्पर्धा का फॉर्मेट लीग कम नॉकआउट था। प्रत्येक समूह की चार टीमों को अपने-अपने समूह की अन्य टीमों के खिलाफ एक-एक मैच खेलना था और प्रत्येक समूह की दो शीर्ष टीमों को सेमीफाइनल में प्रवेश करना था। सेमीफाइनल की विजेता टीमों के बीच होना था फाइनल।

स्पर्धा के बारह लीग मैच 7 से 14 जून के बीच इंग्लैंड के छः मैदानों पर खेले गए। इंग्लैंड और न्यूजीलैंड समूह ए के विजेता व उपविजेता रहे जबकि समूह बी में वेस्टइंडीज को शीर्ष पर रखा तो ऑस्ट्रेलिया नं. 2 पर रही। सेमीफाइनल एक समूह की शीर्ष इंग्लैंड व दूसरे समूह की नंबर दो ऑस्ट्रेलिया तथा दूसरा सेमी वेस्टइंडीज (शीर्ष) व न्यूजीलैंड (नंबर दो) के बीच खेला गया।

सेमीफाइनल मैच : गैरी गिलमूर के करिश्मे (14/6) ने इंग्लिश पारी को मात्र 93 पर सिमटा दिया। क्रिस ओल्ड (29/3) तथा जॉन स्नो (30/2) ने कोशिशें तो बहुत कीं, पर ऑस्ट्रेलिया की 4 विकेट की जीत को नहीं रोक सके। गिलमूर ने ही ऑस्ट्रेलियन पारी में सर्वाधिक रन (28 नाबाद) भी बनाए।

दूसरे विश्वकप पर भी कैरेबियाई कब्जा

1979 के दूसरे विश्वकप में भी छः टीमें तो वही टेस्ट खेलने वाले देशों की थी और दो आईसीसी ट्रॉफी से 15 सहायक देशों के बीच से आईं। कड़े संघर्ष के बाद डेनमार्क, बरमूडा, श्रीलंका ने समूह की शीर्ष टीमों के तथा कनाडा ने श्रेष्ठ नंबर-2 टीम के रूप में सेमीफाइनल में प्रवेश किया। श्रीलंका ने डेनमार्क व कनाडा ने बरमूडा को पराजित कर दूसरे विश्व कप में खेलने की पात्रता प्राप्त कर ली।

ट्रॉफी का फाइनल विश्व कप सेमी से बाद 21 जून को लॉर्ड्स पर हुआ था जिसमें श्रीलंका ने कनाडा को 60 रनों से हराकर ट्रॉफी जीती थी। इस दूसरे विश्व कप में 9 से 16 जून के बीच खेले गए लीग मैचों की समाप्ति के बाद इंडीज व न्यूजीलैंड तथा इग्लैंड व पाकिस्तान ने सेमीफाइनल में प्रवेश लिया।

वेंकटराघवन का नेतृत्व इतना खराब रहा कि भारत एक भी लीग मैच नहीं जीत सका। यहाँ तक कि श्रीलंका ने भी भारत को पटखनी दी, जिसे तब टेस्ट दर्जा भी प्राप्त नहीं था। इंग्लैंड ने कप्तान ब्रिअरली (53) व ग्राहम गूच (71) की पारियों की बदौलत न्यूजीलैंड को बमुश्किल 9 रनों से शिकस्त दी।

दूसरे मुकाबले में पाकिस्तान ने 43 रनों से वेस्टइंडीज से पराजय झेली। ग्रीनिज (73), हैंस (65) तथा माजिद खान (81), जहीर अब्बास (93) की अर्धशतकें थीं।

फाइनल में विव रिचर्ड्स (138) और जोएल गार्नर (38/5) ने प्रूडेंशल विश्व कप एक बार फिर वेस्टइंडीज की झोली में डाल दिया। 281 रनों का पीछा करती इंग्लिश टीम का स्कोर एक समय 129/1 था फिर 183/2 हुआ पर गार्नर के 11 गेंदों के अंतिम स्पैल ने चैंपियन का ताज पुनः वेस्टइंडीज के सर पर रख दिया।

इस स्पैल में गार्नर ने 4 रन देकर 5 विकेट लिए थे। इंग्लैंड के अंतिम 9 विकेट महज 11 रन ही जोड़ सके और टीम 194 पर सिमट गई। 92 रनों के अंतर से लॉयड विजयी कप्तान बन गए।