नवीन जैन,
स्वतंत्र पत्रकारविराट कोहली के बल्ले से रनों का जो सैलाब फूट पड़ा है ,वो हरेक सीमा को तितर -बितर करने को व्याकुल है।किसी जमाने में वेस्ट इंडीज के महान बैट्समैन रहे विव रिचर्ड्स क्रीज पर जब आते थे ,तो विरोधी टीम खासकर भारत के क्रिकेट_जगत में एक तरह का ताज़गी भरा आतंक छा जाता था।इसी आतंक का लघुरूप हैं एक दिवसीय मुकाबलों में पचास सैकडे जड़ चुके विराट कोहली है। क्या गजब संयोग है , कि विव रिचर्ड्स ने विराट के खेल को देखते हुए हाल में टिप्पणी की है , कि विराट के आग उगलते बल्ले को देखकर उन्हें अपने दिनों की याद आती है।
क्रिकेट का तो क्या जीवन का नियम है , कि आप जब तक जिएं ,अपना बेस्ट देते रहें। क्रिकेट भी लगभग इसी दर्शन पर चलता है। किव्स उर्फ़ न्यूजीलैंड के खिलाफ विराट का पचासवा शतक उनकी अथक यात्रा का एक और पड़ाव भर था। फिलहाल ,तो 19 तारीख(आज) को अहमदाबाद में उनकी पहली प्राथमिकता होगी भारत के हक में 2011से पड़े वर्ल्ड कप सूखे को दूर करना। ज्ञातव्य है कि भारत ने सबसे पहले 1983में और फिर 2011में वर्ल्ड कप का सरताज होने का गौरव हासिल किया था।
पैंतीस साल के हो चुके विराट में रनों की भूख अभी तक ज़रा _सी भी शांत नहीं हुई है। खेल के लिए आवश्यक निरंतर हुनर ,ऊर्जा ,फिटनेस ,और संजीदगी में उन्होंने कोई कमी नहीं आने दी है।यही कारण है , कि वे आज भी चिकी सिंगल , तो ले ही लेते हैं ,दो या तीन रन भी भागकर पूरे करना सामान्यत:उनके लिए सामान्य बात होती है।कर्नल के नाम से मशहूर हुए धुआंधार भारतीय बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर आज भी विराट कोहली के मुरीद हैं। वे याद करते हैं कि जब वे सिलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे ,तब ऑस्ट्रेलिया में भारत ,आस्ट्रेलिया ,न्यूजीलैंड ,दक्षिण अफ्रीका,और वेस्ट इंडीज की ए ,और बी टीमों के मैच हुए थे। दिलीप वेंगसरकर याद करते हैं कि तब ए टीम से विराट कोहली को खिलाया गया था। ऐन वक्त पर टीम प्रबंधन ने उन्हें पारी शुरू करने को कहा।विराट ने न सिर्फ 123रनों की नाबाद पारी खेली ,बल्कि न्यूजीलैंड के खिलाफ उक्त मैच जितवाने में अहम रोल अदा किया। माना जाता है , कि खेल के प्रति जो समर्पण , परिपक्वता ,मानसिक संतुलन ,एकाग्रता आदि चाहिए वो सभी गुण विराट में हैं। वर्ना मौके तो कई खिलाड़ियों को मिलते हैं , लेकिन सभी सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली तो होते नहीं न।
जिस एक गुण की महिंद्रा एण्ड महिंद्रा के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा तक ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर तारीफ़ की ,वो है विराट का एग्रेशन या आक्रमक देह _भाषा। एक ज़माने में भारत की टीम में कीलिंग इंस्टिंग (आर_पार की लड़ाई की भावना) न होने को हार की बड़ी वजह बताया जाता था ,लेकिन कुछ सालों से भारत के क्रिकेट खिलाड़ियों ने उक्त धारणा को बदल कर रख दिया है। आनंद महिंद्र ने नई नस्लों के लिए विराट जैसी आक्रामकता को ही बेहद ज़रूरी बताया है।सही है , कि विराट का बीच में बुरा समय आया था ,जिसे आउट ऑफ फॉर्म कहा जाता है ,लेकिन यह दिक्कत तो तमाम खां साहब बैट्समैन के साथ आती रही है। क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को भी इस डार्क एज से गुजरना पड़ा था ,लेकिन विराट ने सचिन की ही तर्ज़ पर ही इंग्लिश की इस कहावत को सही सिद्ध करके बताया है , कि कम बैक ज्यादा प्रोडेक्टिव होता है।