क्या लो-स्कोर बचा पाएगी टीम इंडिया, क्या कहते हैं 10 साल के आँकड़े?
अहमदाबाद में पिछले 10 सालों में 9 वनडे खेले गए। यहां पहली पारी का औसत स्कोर 246 और दूसरी पारी का औसत स्कोर 226 रन है। तेज गेंदबाजों को 61% और स्पिनर्स को 39% विकेट मिले। टीमें 5.30 के रन रेट से ही स्कोर कर पाती हैं, यानी वर्ल्ड कप का फाइनल का लो स्कोर भी डिफ़ेंड हो सकता है।
इसके अलावा अगर पिछले वनडे विश्वकप पर नजर डालें तो वहां भी स्कोर 240 रनों का ही था। यह मैच सुपर ओवर में गया था। न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड को इस ही स्कोर पर रोक लिया था। फाइनल का दबाव अलग रहता है और भारतीय गेंदबाजों ने इस विश्वकप में भारत को वहां वहां से मैच जिताया है जहां से किसी ने सोचा भी नहीं था। भारतीय गेंदबाजों ने चेन्नई में ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 115 रनों पर 2 विकेट से स्कोरबोर्ड 140 पर 7 विकेट कर दिया था और ऑस्ट्रेलिया की टीम 191 रनों पर आउट हो गई थी।
ऐसा ही अफगानिस्तान के खिलाफ भारतीय गेंदबाजों ने हशमतुल्लाह शाहिदी को आउट कर स्कोर 300 से कम रखा। अन्यथा यह स्कोर 300 से ज्यादा होता। ऐसा ही कुछ पाकिस्तान वाले मैच में हुआ। बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान 155 रनों पर 2 विकेट खोकर आराम से खेल रहे थे। लेकिन 191 रनों पर पाक टीम इस ही अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टे़डियम में आउट हो गई।
इसके बाद बांग्लादेश के खिलाफ टीम पहले पॉवरप्ले में 63 रन खा चुकी थी लेकिन इसके बाद टीम ने बांग्लादेश को करीब 250 रनों पर लगातार विकेट लेकर रोका। श्रीलंका के खिलाफ तो भारतीय गेंदबाजों ने 55 रनों पर ही पूरी टीम समेट दी थी।
इंग्लैंड के खिलाफ भारतीय गेंदबाजी क्रम की अग्नि परीक्षा थी और 230 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड की टीम 5 ओवर में 30 रन बना चुकी थी। लेकिन यहां से भी भारतीय गेंदबाजी ने 100 रनों से मैच जीत लिया।
इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी भारतीय गेंदबाजों ने अफ्रीकी टीम को सांस नहीं लेने दिया और 83 रनों पर टीम को ऑल आउट कर दिया। नीदरलैंड्स के खिलाफ तो मुकाबला ही बेमेल रहा।
न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत ने एक नहीं दो बार वापसी की। पहले लीग मैच में कीवी टीम 150 पर 2 विकेट खोकर मजबूत स्थिती में थी लेकिन सिर्फ 273 रन बना पाई। इसके बाद सेमीफाइनल में भी जब टीम 200 रनों पर 2 विकेट खोकर 397 रनों के पार पहुंचने की कोशिश में दिख रही थी तो शमी ने लगातार झटके दिए जिससे मैच भारत 70 रनों से जीता।