10 साल में 65 हजार Cyber Fraud, इंदौर में ही Digital Arrest के 27 केस, तैयार होंगे 5 हजार सायबर कमांडो
10 साल में 65 हजार से ज्यादा सायबर क्राइम के मामले आए
अब तक देशभर में 4.69 लाख करोड़ रुपयों की ठगी
पूरे देश में पसरे सायबर ठगों के जाल से केंद्र सरकार परेशान
अगले 5 साल में तैयार होंगे 5 हजार सायबर कमांडो
आइएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट भी ठगी के शिकार
देश के कई राज्यों में पसरा Digital Arrest का नेटवर्क
Digital Arrest and cybercrime in the country: मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर (Indore) की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवती को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर 12 लाख रुपए ठगने का मामला सुलझा ही नहीं था कि इंदौर में ही कैट के एक साइंटिस्ट और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 71 लाख 33 हजार रुपए अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए। ठग इतने शातिर थे कि पति-पत्नी को उन्होंने 6 दिनों तक डिजिटल हाउस अरेस्ट में रखा।
बता दें कि देशभर में सायब्रर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्ट के मामलों में बेइंतहा इजाफा हुआ है। देश का कोई ऐसा राज्य नहीं, जहां सायबर फ्रॉड नहीं हुआ हो। रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में देश में 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की धोखाधड़ी हुई। पिछले 10 साल में 65 हजार से ज्यादा मामले आए जिनमें 4.69 लाख करोड़ रुपयों की ठगी हो चुकी है और ठगी का मीटर अभी चालू है।
IAS, IPS और Scientist भी झांसे में: दिलचस्प बात यह है कि तमाम तरह की जागरूकता अभियान के बावजूद डिजिटल या सायबर फ्रॉड में डॉक्टर, इंजीनियर, साइंटिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, बैंक अधिकारी और टीचर जैसे प्रोफेशन में काम करने वाले लोग शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि आइएएस और आईपीएस भी शिकार हो रहे हैं। क्या है Digital Arrest?
गिरफ्तारी का डर दिखाकर आपको घर में ही कैद करते हैं।
वीडियो कॉल में बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन की तरह दिखाते हैं।
ऑनलाइन नजर रखते हैं कौन कहां जा रहा है।
बैंक अकाउंट सीज करने और गिरफ्तारी की धमकी देते हैं।
ऐप डाउनलोड कराकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवाए जाते हैं।
डमी अकाउंट बताकर उसमें पैसों का जमा कराया जाता है।
कैसे लूटे 71 लाख रुपए : कैट के सीनियर साइंटिस्ट और उनकी पत्नी ने डिजिटल अरेस्ट की आशंका के बाद जो आवेदन पुलिस को दिया था, उसमें उन्होंने बताया कि उन्हें कॉल करने वालों ने कहा कि 18 अगस्त 2024 को दिल्ली से एक सिम कार्ड जारी हुआ है। जिससे गैर कानूनी विज्ञापन और महिला उत्पीड़न संबंधित SMS भेजे जा रहे हैं। ठगों ने TRAI के अफसर बनकर कहा कि जिस नंबर की शिकायत मिली है, वह आपका (Scientist) का है। साथ ही उसने साइंटिस्ट से कहा कि यदि आपको इस गिरफ्तारी से बचाना है, तो अलग अलग डिपार्टमेंट के अधिकारियों को वैरिफिकेशन के लिए पैसे ट्रांसफर करना होंगे। ठगों द्वारा अधिकारी बनकर धमकाए जाने के बाद साइंटिस्ट ने पहले तो रुपए देने से मना किया। जिसके बाद 6 दिनों तक उन्हें और उनकी पत्नी को लगातार ED, CBI, RBI, TRAI और दिल्ली क्राइम ब्रांच के नाम पर फोन आने शुरू हो गए। इसके बाद वे इतने घबरा गए कि ठगों को 71 लाख 33 हजार रुपए अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। पैसे ट्रांसफर करते ही धोखाधड़ी करने वालों ने अपने सभी मोबाइल बंद कर लिए। इसके बाद साइंटिस्ट को ठगी की आशंका हुई और उन्होंने गूगल पर इसके बारे में सर्च किया तो पता चला उनके साथ ठगी हो गई है। जिसके बाद वे पुलिस के पास पहुंचे।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर हुईं फ्रॉड का शिकार : इस घटना के महज दो दिन पहले इंदौर (Indore) की ही एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवती को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) कर ठगों ने 12 लाख रुपए लूट लिए। इस मामले में इंदौर पुलिस ने एक संगठित गिरोह के 34 बैंक खातों (Bank Account) और 1400 सिम कार्ड (Sim Card) की पहचान कर जांच शुरू की है। पुलिस जांच में सामने आया है कि ठगी के बाद पैसे को 23 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया है।
इन राज्यों से जुड़े तार : अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (क्राइम) राजेश दंडोतिया ने बताया कि इस फ्रॉड के पीछे गिरोह काम कर रहा है। अब तक की जांच में इस गिरोह के 34 बैंक खातों और 1400 सिम कार्ड के बारे में पता चला है। इन सिम कार्ड का इस्तेमाल चार मोबाइल फोन में किए जाने के सुराग मिले हैं। उन्होंने बताया कि 8 राज्यों में ठगों के मोबाइल की लोकेशन मिली है। उन्होंने बताया कि इंदौर से ठगे गई राशि को कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, गुजरात, मणिपुर, तेलंगाना, बंगाल, दिल्ली, नोएडा, मथुरा, जयपुर, जोधपुर, लखनऊ, मुंबई, ठाणे, सांगरोली, हाथरस और बिलासपुर शहरों के खातों में ट्रांसफर किया गया है।
बेटी को सेक्स रैकेट फंसी सुनकर मां की हार्ट अटैक से मौत : आगरा के सरकारी स्कूल में टीचर मालती वर्मा क्लास ले रही थीं, तभी उनको फोन आया- मैं पुलिस स्टेशन से बोल रहा हूं, आपकी बेटी सेक्स रैकेट में फंस गई है। अभी वो हिरासत में है, आप 1 लाख रुपए भेज दें तो उसके खिलाफ कोई केस दर्ज होने से रोका जा सकता है। बेटी के सेक्स रैकेट में फंसने की बात सुन मालती वर्मा दहशत में आ गई। उन्हें हार्ट अटैक आया और मौत हो गई। जबकि मालती की बेटी किसी सेक्स रैकेट में नहीं फंसी थी। उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' करने की कोशिश की गई थी।
ग्वालियर में मेडिकल ऑफिसर से 38 लाख ठगे : एक मामला ग्वालियर से आया, जहां डिजिटल ठगों ने एक महिला मेडिकल ऑफिसर सुजाता बापट को ठगा। उनके पति जीवाजी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। ठगों ने महिला डॉक्टर को 22 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) किया। म्यांमार में 60 लोगों की आंख निकालने और एमडीएमए (MDMA Drugs) नामक नशीला पदार्थ भेजने, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का सीबीआई (CBI) में केस दर्ज होने और उस मामले में गिरफ्तार करने का डर दिखाया और उनसे 10 एफडी (FD) तुड़वाकर 35 लाख और फिर 3 लाख अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए। ग्वलियर में एक महीने में डिजिटल अरेस्ट की यह दूसरी बड़ी घटना है। इसके पहले शिक्षिकाआशा भटनागर से ऐसे ही एफडी तुड़वाकर 51 लाख रुपए ठग लिए थे।
पूरे देश में पसरा सायबर फ्रॉड का नेटवर्क : यह तो सिर्फ ठगी के कुछ उदाहरण हैं। बता दें कि देश का कोई ऐसा राज्य नहीं है, जहां सायबर फ्रॉड या डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने नहीं आ रहे हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, नोएडा, गुडगांव, उत्तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल समेत देश के कई राज्यों में सायबर फ्रॉड पुलिस और राज्य सरकारों के लिए चुनौती बन गया है।
केंद्र सरकार तैयार कर रही सायबर कमांडो : सायबर फ्रॉड के बढते ग्राफ से परेशान केंद्र सरकार ने अब देश में पहली बार साइबर कमांडो तैयार करने की योजना बनाई है। फिलहाल 1000 कमांडो की ट्रेनिंग शुरू भी हो चुकी है। ये कमांडोज डिजिटल अरेस्ट जैसे मामलों में मौके पर पहुंच अपराधी को दबोचने का काम करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि अगले 5 सालों में सरकार 5 हजार साइबर कमांडो तैयार करेगी।
कैसे करते हैं Digital Arrest में : डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग अपने संभावित शिकार के मन में डर पैदा कर देते हैं, और उन्हें भरोसा दिला दिया जाता है कि जो भी उन्हें बताया जा रहा है, वही असलियत है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है, या होने वाला है, या वह पुलिस, CBI या ED की जांच के घेरे में फंस चुके हैं। बस, इसके बाद 'शिकार' डरकर मान लेता है कि अगर कॉलर का कहना नहीं माना, तो बहुत बुरा होगा, या वह सचमुच गिरफ़्तार हो जाएगा।
कैसे जानें आप Digital Arrest हो गए हैं?
डिजिटल अरेस्ट के मामलों में संभावित शिकार को फोन कॉल आता है, जिनमें उन्हें बताया जाता है कि वह मनी लॉण्डरिंग के केस में या ड्रग्स के गंभीर केस में शामिल रहे हैं। अगर उन्होंने कॉल कर रहे 'जांच अधिकारी' का कहना नहीं माना तो गिरफ़्तारी और जेल की सज़ा सिर्फ़ वक्त की बात है। डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामले तो इंटरनेट कनेक्शन काट देने की मामूली धमकी जैसी कॉल से भी शुरू हो सकते हैं। इसके बाद 'शिकार' के डरना शुरू करते ही कॉलर तेज़ी से पैंतरा बदलकर अपनी चाल चल देता है। 'शिकार' को पुलिस जैसी वर्दी, पुलिस स्टेशन या CBI ऑफ़िस जैसा माहौल (स्टूडियो में बनाकर) और यहां तक कि पहचानपत्र (आईडी कार्ड) दिखाकर ठग के जांच अधिकारी होने का यकीन दिला दिया जाता है। टारगेट को हर वक्त अपना मोबाइल कैमरा और माइक्रोफ़ोन चालू रखने के लिए कहा जाता है और बुरे नतीजे की धमकी दे-देकर उनके भीतर डर बिठा दिया जाता है। उन्हें यह भी कहा जाता है कि जो कुछ भी हो रहा है, उसके बारे में किसी से बात न करें, किसी को भी कुछ न बताएं। जब 'टारगेट' पूरी तरह से डर जाता है और उनके गिरफ्त में आ जाता है और ठग की हर बात मानने लगता है तो डिजिटल ठग बेहद तसल्ली से उनके पास मौजूद पाई-पाई लूट लेते हैं, जो लाखों भी हो सकते हैं, और करोड़ों भी!
Digital Arrest से कैसे बचें?
अनजान सोर्स से आए हुए किसी लिंक पर क्लिक न करें।
अनजान फोन कॉल पर अपनी पर्सनल या बैंक डिटेल्स न दें।
पर्सनल डेटा, किसी भी ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म पर मजबूत पासवर्ड लगाएं।
कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड ना करें।
किसी भी अन-ऑफिशियल प्लेटफॉर्म से कुछ इंस्टॉल ना करें।
अपने डिवाइस को अपडेटेड रखें, अपने ऐप्स को अपडेट रखें।
शक होने पर तुरंत फ़ोन काट दें और नंबर ब्लॉक कर दें।
साइबर क्राइम होने पर इसकी शिकायत पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें।
यहां करें शिकायत : नागरिकों को सतर्क रहने और धोखाधड़ी के बारे में जागरूक होना चाहिए। ऐसी कॉल आने पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 या www.cybercrime.gov.in पर घटना की रिपोर्ट करनी चाहिए।
भारत बना सायबर क्राइम का सेंटर : ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ताओं ने इसी साल दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स जारी किया, जिसमें भारत को सायबर क्राइम का सेंटर बताया गया है। मैपिंग ग्लोबल जियोग्राफी ऑफ साइबर क्राइम विद द वर्ल्ड साइबर क्राइम इंडेक्स' शीर्षक से जारी शोध में विशेषज्ञों ने बताया है कि कहां-कहां साइबर अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं। इस सूची में 15 देशों के नाम हैं। इनमें रूस, यूक्रेन, चीन, अमेरिका, नाइजीरिया, रोमानिया, नार्थ कोरिया, ब्रिटेन, ब्राजील, भारत शामिल हैं।
देश में 4.69 लाख करोड़ का ठगी
इंदौर में डिजिटल अरेस्ट की 27 शिकायतें मिलीं
इंदौर में सबसे बड़ी ठगी 49 लाख की बैंक अफसर के साथ हुई है
पिछले 10 साल में देश में हुए 65 हजार मामले
देश में अब तक कुल 4.69 लाख करोड़ रुपयों की ठगी
नारकोटिक्स, ED, CBI, RBI, TRAI, IT अफसर के नाम से आते हैं कॉल
कई केस में दुबई तक जुड़े डिजिटल अरेस्ट के तार
इन 10 देशों में सबसे ज्यादा सायबर क्राइम
भारत : 6.13
रूस : 58.39
यूक्रेन : 36. 44
चीन : 27. 86
अमेरिका : 25.01
नाइजीरिया : 21.28
रोमानिया : 14.83
नार्थ कोरिया : 10.61
ब्रिटेन : 9. 01
ब्राजील : 08. 93
डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर समस्या है जिससे सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। हम सभी को साइबर सुरक्षा के बारे में जागरूक होना चाहिए और खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। यह कोई कानूनी सलाह नहीं है।