दुनिया के चार देश ‘संक्रमण’ में हुए ‘टॉप’, 130 देशों में ‘वैक्सीन’ ही नहीं, कैसे होगा मुकाबला?
अमेरिका, ब्राजील, भारत और रूस। ये दुनिया के वो चार देश हैं जिन्हें संक्रमण का सरताज कहा जा सकता है, क्योंकि कोरोना के मामले में ये चारों देश टॉप पर चल रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार थम सी गई थी, लग रहा था कि धीरे-धीरे वायरस खत्म होकर जा रहा है, लोगों ने मास्क लगाना भी लगभग बंद कर दिया था, लेकिन ब्राजील और अफ्रीका से आए वायरस के नए म्यूटेशन ने एक बार फिर से देश के दिल की धड़कनें बढ़ा दी है।
कुछ देशों में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है, वहीं जहां नहीं है वहां भी लॉकडाउन की आशंका बढ़ गई है। जहां तक वैक्सीन का सवाल है तो यह जानकार आप हैरान रह जाएंगे कि दुनिया के करीब 130 देशों में इस संक्रमण से बचने के लिए कोई वैक्सीन नहीं है, बल्कि इन देशों में वैक्सीन का एक डोज भी किसी को नहीं लगा है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस के मुताबिक दुनिया में 130 देश हैं, जिनके पास कोविड-19 वैक्सीन का एक सिंगल डोज तक नहीं पहुंचा।
सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग के दौरान गुटेरेस ने कहा- बहुत दुख और गुस्सा है कि हम दुनिया के 130 देशों को महामारी से निपटने के लिए वैक्सीन का एक डोज तक नहीं दे सके। वहीं, 10 देश ऐसे हैं जहां 75% वैक्सीनेशन प्रॉसेस पूरा हो चुका है।
भारत
केरल औश्र महाराष्ट्र में कोरोना वायरस की स्थिति ठीक नहीं है, उधर कर्नाटक के साथ मध्यप्रदेश के इंदौर में भी मामले बढ़ रहे हैं। यही स्थिति रही तो भारत एक बार फिर से स्थिति अनियंतत्रित हो सकती है।
इंग्लैंड
इंग्लैंड में संक्रमण पर दो तिहाई तक काबू पाया जा चुका है, लेकिन यहां एक नई परेशानी सामने आ रही है। द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंग्लैंड में अब संक्रमण की चपेट में युवा ज्यादा आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें बच्चे भी शामिल हैं। एक स्टडी में सामने आया है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चे भी संक्रमण के शिकार बन रहे हैं।
आसमान में भी थम गई दुनिया
दूसरी तरफ दुनियाभर में हवाई सफर को बडा झटका लगा है। द गार्डियन ने अमेरिकी एविएशन एक्सपर्ट्स की एक रिपोर्ट की माने तो देश के सिविल एविएशन सेक्टर में 1984 के बाद पिछले साल यानी 2020 में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। 2020 में सिर्फ 368 मिलियन पैसेंजर्स ने एयरलाइंस का इस्तेमाल किया। 2019 में यही संख्या 922.6 मिलियन थी। इसके पहले 1984 में यह आंकड़ा महज 351.6 मिलियन था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि 2023 या 2024 तक ही हालात सामान्य हो पाएंगे।