Corona पर नई रिसर्च, बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक क्यों है वायरस
वॉशिंगटन। कोरोना वायरस को लेकर दुनियभर में लगातार रिसर्च जारी है। विषाणुओं पर हमला करने वाला अणुओं का एक समूह व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ और गंभीर बीमारियों के चलते घट जाता है तथा इसमें होने वाली इस कमी से यह पता चल सकता है कि कोविड-19 का खतरा उम्रदराज लोगों को अधिक क्यों है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
इस अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों ने कहा है कि सूक्ष्म रीबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) शरीर में जीन की गतिविधियों को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। जब विषाणु (वायरस) कोशिका में प्रवेश करता है तब यह आरएनए अग्रिम मोर्चे पर तैनात रहकर उसका डटकर मुकाबला करता है।
अध्ययन में अमेरिका के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। यह अध्ययन ‘एजिंग ऐंड डिज़ीज’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
इसमें कहा गया है कि सूक्ष्म आरएनए वायरस को अपनी गिरफ्त में ले लेता है और हमलावर वायरस के आरएनए को अलग कर देता है।
इस अध्ययन के सह लेखक एवं अमेरिका के अगस्ता विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कार्लोस एम इसालेस ने कहा कि व्यक्ति की उम्र और गंभीर मेडिकल स्थिति के साथ ही, सूक्ष्म आरएनए की संख्या कम होने लगती है, जिससे वायरस का मुकाबला करने की व्यक्ति के शरीर की क्षमता घट जाती है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि इसके बाद कोरोना वायरस व्यक्ति के शरीर के कोशिका तंत्र को अपने कब्जे में लेने के लिए कहीं अधिक सक्षम हो जाता है।
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने दो कोरोना वायरस के अनुक्रम पर गौर किया- सार्स, जो 2002 में आया था और सार्स-कोवी-2, जिससे कोविड-19 आया- और सूक्ष्म आरएनए के अनुक्रम की यह महत्वपूर्ण जानकारी मिली।
वैज्ञानिकों ने सार्स के 4 नमूने और सार्स-कोवी-2 के 29 नमूनों के साथ सूक्ष्म अणुओं के जुड़ाव का परीक्षण किया। ये नमूने जनवरी और अप्रैल 2020 के बीच लिए गए थे।
अध्ययन के मुताबिक, 848 सूक्ष्म आरएनए सार्स जीनोम को निशाना बना सके और 873 सूक्ष्म आरएनए ने सार्स-कोवी-2 जीनोम को निशाना बनाया। किसी भी जीव के डीएनए में मौजूद समूचे जीन के अनुक्रम को जीनोम कहा जाता है।
अध्ययन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कम संख्या में सूक्ष्म आरएनए की मौजूदगी कोविड-19 से संक्रमित होने का खतरा और मौत की दर अधिक होने का एक कारण है। (भाषा)