दुनिया के कई देशों के साथ भारत में भी ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों पर फिर से विचार किया जा रहा है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका से महाराष्ट्र लौटा एक शख्स कोरोना संक्रमित पाया गया है। हालांकि, संक्रमित व्यक्ति में अभी तक ओमिक्रॉन वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उसे आइसोलेशन में भेज दिया गया है।
वहीं मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी बोत्सवाना से आई एक महिला लापता है। ओमिक्रॉन अभी तक बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, इस्राइल, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन समेत दुनिया के दस देशों में फैल चुका है। वैज्ञानिक इसे कोरोना के सभी वैरिएंट में सबसे ज्यादा खतरनाक और संक्रामक मान रहे हैं। ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति 35 लोगों को संक्रमित कर सकता है और यह डेल्टा से 500% ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है।
ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन के असर को लेकर भी सवाल उठ रह है। इसकी सबसे बड़ी वजह अब तक नए वैरिएंट से संक्रमित लोगों में अधिकांश ने वैक्सीन के दोनों डोज लगवा चुके थे। इस सवाल को लेकर 'वेबदुनिया' देश के दो प्रमुख एक्सपर्ट एम्स दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर सरमन सिंह और ICMR के संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख डॉक्टर रमन गंगाखेडकर सिंह से बात कर उनके नजरिए को समझने की कोशिश की।
ओमिक्रॉन वैरिएंट पर प्रोफेसर सरमन सिंह का नजरिया-नए वैरिएंट पर वैक्सीन को लेकर सवाल पर एम्स दिल्ली माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख प्रोफेसर सरमन सिंह से कहते हैं कि कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर सबसे बड़ा कर्सन ही यहीं है कि वैक्सीन भी शायद इस पर काम नहीं करें। अभी दुनिया के देशों में कोरोना की वैक्सीन लग रही है और उसके साथ जो एंटीबॉडी मिल रही है वह शायद नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से प्रोटेक्ट नहीं कर पाएंगे।
हलांकि वह आगे कहते हैं कि नए वायरस के संक्रमण से वैक्सीन कितना प्रोटेक्ट कर पाएगी यह आने वाले समय में और अधिक पता चलेगा। अब तक बोत्सावना और साउथ अफ्रीका में जो 100 से अधिक केस मिले है उसमें बहुत से लोगों ने वैक्सीन के दोनों डोज लगाए थे। इसमें कुछ लोगों को ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन (जिसे भारत में कोविशील्ड कहते है),कुछ लोगों को फाइजर की और कुछ लोगों को मॉर्डर्ना की वैक्सीन लगी थी। ऐसे में यह कह सकते हैं कि जो वैक्सीन दुनिया में सबसे ज्यादा लग रही है उसके कंपलीट डोज लगाने वाले लोगों भी ओमिक्रॉन वैरिएंट के इंफेक्शन मिले है। ऐसे लोग जो दोनों खुराक ले चुके थे उनमें भी संक्रमण मिलना एक कंसर्न तो है ही।
वेबदुनिया से बातचीत में सरमन सिंह कहते हैं कि मास्क ही कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय है और यह सभी वैरिएंट पर प्रभावी है। इसको हमको समझना होगा कि कोरोना वायरस में चाहें जितने म्यूटेशन हो जाए, चाहे जितने वैरिएंट आ जाए अगर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचना है तो हमको मास्क का प्रयोग करना ही होगा। मैं हमेशा कहता हूं कि मास्क एक सोशल वैक्सीन है। कोरोना वायरस का चाहे अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा या डेल्टा प्लस वैरिएंट या अब ओमिक्रन वैरिएंट हो सभी से मास्क प्रभावी तरीके से बचाएगा।
ओमिक्रॉन वैरिएंट पर पद्मश्री डॉ.रमन गंगाखेडकर का नजरिया- वहीं ICMR के संक्रामक रोग विभाग के पूर्व प्रमुख पद्मश्री डॉ. रमन गंगाखेडकर कहते हैं कि कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट पर वैक्सीन का असर कितना होगा कि इसको लेकर अभी तथ्य पूरी तरह सामने नहीं है, इसलिए इस पर अभी पूरी तरह सब कुछ साफ नहीं किया जा सकता।
हलांकि डॉक्टर रमन गंगाखेडकर आगे कहते हैं कि इतना तो तय है कि वैक्सीन से ओमिक्रॉन वैरिएंट से अंशिक सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही साथ मास्क किसी भी वैरिएंट से बचाव को सबसे प्रमुख हथियार है। वह कहते हैं कि हमको सभी को यह समझना होगा कि अगर आप वैक्सीन लेंगे तो आपकी जान बच सकती है और हॉस्पिटल में भर्ती होने का चांस भी कम हो जाएगा लेकिन अगर इंफेक्शन से बचना है तो कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करना ही होगा। यह धारणा बिल्कुल गलत है कि वैक्सीन लेने के बाद कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन नहीं करना है।
वैक्सीन और कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर दोनों अलग-अलग चीजों से हमको सुरक्षित करते है। कोरोना वैक्सीन हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से हमको बचाती है और कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर हमको नए सिरे से इंफेक्शन होने का खतरा कम करता है। अगर अब हम जब वैक्सीन की बात करते हैं तो एक डोज हमको सुरक्षित नहीं करता है और सभी दोनों डोज वैक्सीन के लेने होंगे। अगर किसी ने यह भी सोचा कि वह कोविड एप्रोप्रियेट बिहेवियर का पालन करता है तो उसको वैक्सीन नहीं लेने की जरुरत है तो यह भी गलत है। यह समझना होगा कि यह हमारी चॉइस नहीं है। अगर वैक्सीन नहीं ली तो मौत होने का डर भी उतना ही बढ़ जाता है।