DCGI ने दी mRNA वैक्सीन को मंजूरी, क्या है इस कोरोना वैक्सीन की विशेषता?
नई दिल्ली। औषधि महानियंत्रक (DCGI) भारत में विकसित स्वदेशी कोरोना वैक्सीन mRNA को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे दी। इस वैक्सीन का निर्माण पुणे की जेनोवा बायोफार्मा ने किया है। इसे 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों को दिया जाएगा।
सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (एसईसी) ने शुक्रवार को कोरोना से निपटने के लिए एमआरएनए वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की सिफारिश की थी, जिसे मंगलवार को भारत के दवा रेग्युलेटर ने मंजूरी दी।
mRNA की ये कोरोना वैक्सीन 2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखने पर भी खराब नहीं होगी। इससे इसे लाने-ले जाने में काफी आसानी रहेगी। इस वैक्सीन की दो डोज लगाने की मंजूरी दी गई है। ये डोज 28 दिनों के अंतराल पर लगाई जाएंगी।
क्या है वैक्सीन की विशेषता : कोरोना की mRNA वैक्सीन को भी बाकी आम वैक्सीन की तरह ऊपरी बांह की मांसपेशी पर लगाया जाता है। ये अंदर पहुंचकर कोशिकाओं में स्पाइक प्रोटीन का निर्माण करता है। कोरोना वायरस की सतह पर भी स्पाइक प्रोटीन पाए जाते हैं। जब शरीर में प्रोटीन तैयार हो जाते हैं तो हमारी कोशिकाएं mRNA को तोड़ देती हैं और उसे हटा देती हैं। जब सेल्स के ऊपर स्पाइक प्रोटीन उभरते हैं तो शरीर का इम्यून सिस्टम उसे दुश्मन मानकर खत्म कर देता है और कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन भी खत्म हो जाते हैं।
7 से 11 साल के बच्चों को लगेगी कोवोवैक्स : ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोवोवैक्स को भी मंजूरी दी है। यह वैक्सीन 7 से 11 साल की उम्र को बच्चों को लगाई जाएगी।