• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. कोरोना वायरस
  4. corona vaccine trial to continue despite claims of side effects
Written By
Last Updated : मंगलवार, 1 दिसंबर 2020 (23:22 IST)

COVID-19 Vaccine : स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- साइड इफेक्ट के दावे के बावजूद जारी रहेगा ट्रॉयल

COVID-19 Vaccine : स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा- साइड इफेक्ट के दावे के बावजूद जारी रहेगा ट्रॉयल - corona vaccine trial to continue despite claims of side effects
नई दिल्ली। केंद्र ने मंगलवार को कहा कि चेन्नई में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोविड-19 टीके के परीक्षण में हिस्सा लेने वाले एक भागीदार के कथित तौर पर दिक्कतों का सामना करने के संबंध में शुरुआती निष्कर्षों के मद्देनजर परीक्षण रोकने की आवश्यकता नहीं थी, साथ ही स्पष्ट किया कि इस घटना का किसी भी तरीके से टीके को पेश करने की समयसीमा पर असर नहीं पड़ेगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा परीक्षण के दौरान सामने आए अप्रिय चिकित्सा घटना की जांच भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) कर रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि घटना और उन्हें दिए गए डोज के बीच कोई संबंध है?
 
पिछले हफ्ते चेन्नई में 'कोविशील्ड' टीके के परीक्षण के तीसरे चरण में 40 वर्षीय एक व्यक्ति ने गंभीर दुष्प्रभाव की शिकायतें कीं जिसमें तंत्रिका तंत्र में खराबी आना और बोध संबंधी दिक्कतें पैदा होना शामिल है। उसने परीक्षण को रोकने की मांग करने के अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) एवं अन्य से 5 करोड़ रुपए का मुआवजा भी मांगा है।
 
बहरहाल, एसआईआई ने रविवार को इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण और मिथ्या बताकर खारिज कर दिया और कहा कि वह 100 करोड़ रुपए का मुआवजा मांगेगा। पुणे के टीका निर्माता ने मंगलवार को कहा कि टीका सुरक्षित और प्रतिरक्षी है। इसने एक ब्लॉग में लिखा कि हम हर किसी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि टीका जब तक प्रतिरक्षी एवं सुरक्षित साबित नहीं हो जाता है, तब तक इसे व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल के लिए जारी नहीं किया जाएगा।
इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि अप्रिय चिकित्सा घटना के बारे में रिपोर्ट करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है। उन्होंने कहा कि मामला चूंकि अदालत में है इसलिए हम मामले पर विस्तार से टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि दवाओं या टीके या अन्य स्वास्थ्य प्रयोगों में अप्रिय चिकित्सा घटनाएं होती हैं।
 
उन्होंने कहा कि अगर किसी अप्रिय चिकित्सा घटना के कारण अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़े तो इसे गंभीर अप्रिय घटना कहते हैं। यह दवा नियामक की भूमिका है कि सभी आंकड़ों को जुटाकर यह तय करे या इंकार करे कि घटना और प्रयोग में कोई संबंध है अथवा नहीं?
 
उन्होंने कहा कि संबंधों का पता लगाने या इससे इंकार करने का काम डीजीसीआई का है और 5 मानकों से जुड़े सभी पत्रों को उन्हें समीक्षा के लिए सौंपा गया है। यह पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर किया जाता है और आकलन काफी वस्तुनिष्ठ आधार पर किया जाता है और शुरुआती अप्रिय घटना के आकलन निष्कर्षों के आधार पर इन परीक्षणों को नहीं रोका जाना चाहिए। राजेश भूषण ने कहा कि अप्रिय चिकित्सा घटना का किसी भी तरह से समयसीमा पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा।
भूषण ने कहा कि टीके को लेकर भ्रामक सूचनाओं से निपटना न केवल केंद्र और राज्य सरकार का दायित्व है बल्कि यह मीडिया और टीका निर्माताओं का भी काम है तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जल्द ही दिशा-निर्देश दस्तावेज जारी करेगा जिसमें टीके की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का समाधान होगा। जब क्लिनिकल परीक्षण शुरू होता है तो जिन लोगों पर परीक्षण होता है, उन्हें पहले ही पूरी जानकारी देकर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कराया जाता है। यह वैश्विक स्तर पर होता है।
 
भूषण ने कहा कि पूर्व सहमति पत्र में व्यक्ति को संभावित अप्रिय घटना के बारे में बताया जाता है। अगर व्यक्ति पूर्व सहमति पत्र पर दी गई जानकारी के परिणामों को समझता है तो वह उस पर हस्ताक्षर करता है तथा बिना हस्ताक्षर किए कोई व्यक्ति क्लिनिकल परीक्षण में हिस्सा नहीं ले सकता है। उन्होंने कहा कि परीक्षण के दौरान अगर अप्रिय चिकित्सा घटना होती है तो आचार समिति इसका संज्ञान लेती है और 30 दिनों के अंदर घटना के बारे में भारत के औषधि महानियंत्रक को जानकारी देती है।
 
डीजीसीआई जांच करती है कि क्या टीका और अप्रिय चिकित्सा घटना के बीच कोई कोई संबंध है? और फिर वे अगले चरण की इजाजत देते हैं।  वर्तमान में सभी जांच के बाद एसआईआई टीके का परीक्षण तीसरे चरण में है और सभी जांच के बाद भारत बायोटेक का क्लिनिकल परीक्षण भी तीसरे चरण में है। (भाषा)
ये भी पढ़ें
Corona effect : ऑनलाइन आयोजित होंगे नोबेल पुरस्कार समारोह