एअर इंडिया के 55 पायलट कोरोना संक्रमित, वेतन में 60 प्रतिशत कटौती के प्रस्ताव पर बवाल
नई दिल्ली। एअर इंडिया की दो प्रमुख पायलट यूनियनों ने गुरुवार को कहा कि एयरलाइन ने उसके 55 पायलटों के कोरोना वायरस संक्रमित होने के बीच पायलटों के वेतन में 60 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव रखा गया है। यूनियनों ने सीएमडी पर पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है।
इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और इंडियन पायलट्स गिल्ड (IPG) द्वारा एअर इंडिया के सीएमडी राजीव बंसल को लिखे गए संयुक्त पत्र के अनुसार, 'पायलटों के लिए पूरे वेतन का करीब 60 प्रतिशत कटौती का प्रस्ताव है। कितनी हास्यास्पद बात है कि शीर्ष प्रबंधन ने अपने वेतन में केवल 3.5 प्रतिशत कटौती की पेशकश की है।'
संघों ने पत्र में लिखा, 'उदाहरण के लिए निदेशक कार्मिक वेतन पर केवल 4 प्रतिशत की कटौती कराते हैं, वहीं एक सह-पायलट की पगार 60 प्रतिशत काटी जाती है जिसे बाजार दर से भी कम वेतन मिलता है। यह कैसे न्यायोचित है? क्या यह बेलगाम लालच और स्वार्थ नहीं है?'
उन्होंने सीएमडी बंसल से कहा, 'अभी तक 55 पायलट कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। क्या इन पायलटों को ऐसा कहकर दंडित करना उचित है कि उन्हें वास्तविक उड़ान घंटों के आधार पर वेतन दिया जाएगा? वे ड्यूटी पर रहने के दौरान कोरोना वायरस संक्रमित हुए और इसलिए उड़ान भरने में असमर्थ हैं। क्या नागर विमानन मंत्रालय इस तरह से अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को सम्मानित करना चाहता है?
संघों ने कहा कि सीएमडी ने उन्हें सूचित किया है कि मंत्रालय ने पायलटों का वेतन 60 प्रतिशत कम करने का निर्देश दिया है।
एअर इंडिया ने मंगलवार को कहा था कि उसने क्षमता, स्वास्थ्य और अतिरिक्त कर्मचारी होने जैसे अनेक कारकों के आधार पर कर्मचारियों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिन्हें पांच साल के अवैतनिक अनिवार्य अवकाश पर भेजा जाएगा।
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एअर इंडिया के इस फैसले को जायज ठहराते हुए कहा कि हर साल एयरलाइन में 500-600 करोड़ रुपए की पूंजी लगाना लंबे समय तक नहीं किया जा सकता और खर्चे कम करना जरूरी है।
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन ने एअर इंडिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि उसकी अवैतनिक अवकाश की योजना श्रम कानूनों का उल्लंघन करने वाली है तथा शीर्ष प्रबंधन को बचाने और अन्य कर्मचारियों की बलि चढ़ाने की चाल है। (भाषा)