Chhattisgarh Assembly Elections: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा गठित पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने विधानसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को 16 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की। पार्टी ने जिन सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की है उन सीटों पर अगले महीने 7 नवंबर को पहले चरण में मतदान होगा।
जेसीसी (जे) द्वारा जारी सूची में खैरागढ़ विधानसभा सीट भी शामिल है। इस सीट पर पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में उपचुनाव में कांग्रेस से हार गई थी। जेसीसी (जे) के अध्यक्ष अमित जोगी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर अपने हैंडल पर उम्मीदवारों की सूची साझा की है। अमित जोगी दिवंगत अजीत जोगी के पुत्र हैं। इन 16 सीटों में से 8 अनुसूचित जनजाति और 1 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है।
छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 7 और 17 नवंबर को 2 चरणों में मतदान होना है। पहले चरण के लिए नामांकन दाखिल करने का आज शुक्रवार को आखिरी दिन है। पहले चरण में 20 सीटों पर मतदान होगा, शेष 70 सीटों पर 17 नवंबर को मतदान होगा। जेसीसी (जे) ने खैरागढ़ सीट से लक्की कुंवर नेताम को चुनाव मैदान में उतारा है। 2018 में इस सीट पर जेसीसी (जे) के देवव्रत सिंह ने जीत हासिल की थी।
3 बार कांग्रेस विधायक रहे सिंह, अजीत जोगी के करीबी थे। जब जोगी ने नई पार्टी का गठन किया तब देवव्रत सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी और खैरागढ़ से जेसीसी (जे) के टिकट पर 2018 का चुनाव लड़ा था। नवंबर 2021 में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
पिछले साल अप्रैल में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने इस सीट से वर्तमान विधायक यशोदा वर्मा को फिर से मैदान में उतारा है वहीं भाजपा ने एक युवा चेहरे, राजनांदगांव जिला पंचायत के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के रिश्तेदार विक्रांत सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।
सूची के अनुसार जेसीसी (जे) के अन्य उम्मीदवार रवि चंद्रवंशी (पंडरिया सीट), सुनील केशरवानी (कवर्धा), लोकनाथ भारती (डोंगरगढ़-एससी), शमशुल आलम (राजनांदगांव), मुकेश साहू (डोंगरगांव), विनोद पुराम (खुज्जी), नागेश पुराम (मोहला-मानपुर-एसटी), शंकर नेताम (कोंडागांव-एसटी), बलिराम कचलाम (नारायणपुर-एसटी), सोनसाय कश्यप (बस्तर-एसटी), नवनीत चांद (जगदलपुर), भरत कश्यप (चित्रकोट-एसटी), बेला तेलाम (दंतेवाड़ा-एसटी), रामधर जुर्री (बीजापुर-एसटी) और देवेन्द्र तेलाम (कोंटा-एसटी) हैं। इस सूची में किसी भी महिला उम्मीदवार को शामिल नहीं किया गया है। पार्टी ने बस्तर क्षेत्र की 4 सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जहां पहले चरण में मतदान होना है।
जेसीसी (जे) ने पिछला चुनाव बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर लड़ा था। इस गठबंधन ने 7 सीटें जीती थीं। हाशिए पर जा चुकी यह पार्टी इस बार राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है। अमित जोगी ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए सर्व आदिवासी समाज (एसएएस) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) से संपर्क कर रही है। हालांकि पार्टी ने अभी तक किसी भी संगठन के साथ गठबंधन नहीं किया है।
मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने जीजीपी के साथ गठबंधन किया है। 2020 में अजीत जोगी की मृत्यु के बाद से जेसीसी (जे) संकट में है। वर्ष 2000 से 2003 तक राज्य में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने वाले अजीत जोगी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद 2016 में जेसीसी (जे) का गठन किया था। इस पार्टी ने 2018 का विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन में लड़ा था। हालांकि जेसीसी (जे) चुनाव परिणाम को प्रभावित नहीं कर सकी, लेकिन पारंपरिक रूप से भाजपा और कांग्रेस के प्रभुत्व वाले राज्य की राजनीति में अपनी पैठ बनाने में सफल रही।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लंबे अंतराल के बाद सत्ता में लौटी। पार्टी ने कुल 90 में से 68 सीटें जीतीं जबकि भाजपा 15 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। जेसीसी (जे) को 5 और उसकी सहयोगी बसपा को 2 सीटें मिलीं थीं। पिछले चुनाव में जेसीसी (जे) का वोट शेयर 7.6 प्रतिशत था और 5 सीटें उसने जीती थीं। यह छत्तीसगढ़ में किसी क्षेत्रीय पार्टी का पहला बेहतर प्रदर्शन था।
अजीत जोगी और देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद हुए उपचुनावों में जेसीसी (जे) 2 विधानसभा क्षेत्रों मरवाही और खैरागढ़ में हार गई थी, वहीं पार्टी ने 2 अन्य विधायकों धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा को निष्कासित कर दिया है। अब कोटा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाली अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी पार्टी की एकमात्र विधायक हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta