मार्केट एक डायनमिक प्लेस है। यहां चीजें बहुत तेजी से बदलती रहती हैं। हर बिजनेस यूनिट जो कि मार्केट में बनी रहना चाहती है, उसे मार्केट एनवॉयरमेंट के अनुसार ढलना पड़ता है। अपने प्रोडक्ट और सर्विसेज को अगर कंपनियां मार्केट के हिसाब से अपटुडेट नहीं रख पाती तो वे बिजनेस से आउट हो जाती हैं। ऐसे में कंपनियों का प्रोडक्ट्स पर फोकस करना बेहद जरूरी होता है। किसी प्रोडक्ट को तैयार करने से लेकर उसे मार्केट में उतारने, कस्टमर तक पहुंचाने और उनकी संतुष्टि या बदलाव की डिमांड को समझते हुए लगातार अपने प्रोडक्ट्स में तब्दीलियां करते रहना प्रोडक्ट मैनेजमेंट की आर्ट्स से ही संभव हो पाता है।
दरअसल किसी भी बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन में प्रोडक्ट मैनेजमेंट एक अहम काम होता है। उस कंपनी की सारी साख उसके प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, ड्यूरेबिलिटी, प्राइस और यूनिकनेस पर टिकी होती है। हम जानते हैं कि मार्केट में बहुत ही कड़ा कम्पिटिशन होता है।
ऐसे में अगर हमारे प्रोडक्टस किसी भी तरह से उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते तो इसका बहुत नुकसान हो सकता है। इसीलिए आजकल कंपनियां सबसे ज्यादा ध्यान प्रोडक्ट मैनेजमेंट पर लगा रही हैं। कोई हेल्थकेयर कंपनी हो या गूगल जैसी टॉप आईटी फर्म, हर कंपनी अपने प्रोडक्ट्स की क्वालिटी, सर्विस, प्राइजेस और मार्केट में उसकी डिमांड्स को लेकर बहुत सर्तक होती हैं। हर छोटी- बड़ी बिजनेस फर्म में प्रोडक्ट मैनेजर दिन-रात अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाने में लगे रहते हैं। यही कारण है कि बीते कुछ सालों में प्रोडक्ट मैनेजमेंट एक बहुत ही शानदार करियर ऑप्शन के रूप में स्थापित हुआ है।
*क्या है प्रोडक्ट मैनेजमेंट?
*किसी बिजनेस फर्म में प्रोडक्ट मैनेजर्स का क्या जॉब क्या है?
प्रोडक्ट मैनेजमेंट से जुड़ा वर्कफोर्स किसी भी बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन में उसके प्रोडक्ट्स डेवलपमेंट से जुड़े कामकाज देखते हैं। एक बिजनेस फर्म में किसी प्रोडक्ट मैनेजर को कंपनी के प्रोडक्ट्स के लिए मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनानी होती हैं। प्रोडक्ट मैनेजर्स की जिम्मेदारी है कि वे मार्केट को समझते हुए बिजनेस की एक बेहतरीन रणनीति बनाएं। वे अपनी कंपनी के प्रोडक्ट की आवश्यकताओं को स्पैसिफाई करने वाले स्पेशलिस्ट हैं। मान लीजिए कि किसी एक बिल्कुल नई आईटी कंपनी ने एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया है। तो उस कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर्स उसे लांच करने का प्रबंधन करते हैं। उस कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजेर वहां के सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स, डिजाइनर्स आदि एक्सपर्टस के द्वारा उस सॉफ्टवेयर के लिए किए गए डेवलपमेंट का रिव्यू करते हैं। वे मार्केट में मौजूद दूसरे सॉफ्टवेयर्स को भी देखते हैं और जरूरी इनपुट एकत्र कर अपने प्रोडक्ट के फ्यूचर डेवलपमेंट के लिए उसे संबंधित एक्सर्पटस और टीम्स से बात करते हैं। इनके आपसी संवाद से ही किसी बिजनेस आर्गेनाइजेशन के प्रोडक्ट फाइनली बनते हैं।
*कैसे शुरूआत करें?
इंडिया टुडे के एक रिसर्च के अनुसार इस समय प्रोडक्ट मैनेजमेंट दुनियाभर में टॉप करियर एरियाज में से एक है। दरअसल इस समय जिस तरह से ग्लोबल मार्केट में चेंज आ रहे हैं, उससे प्रोडक्ट मैनेजमेंट सेक्टर में काफी स्कोप है। इस फील्ड में कोई भी स्टूडेंट सीधे 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद करियर बना सकते हैं। ग्रेजुएशन लेवल पर ही प्रोडक्ट मैनेजमेंट कोर्स होते हैं। इसके अलावा ग्रेजुएशन करने के बाद भी इससे जुड़े एमबीए या पीजी डिप्लोमा जैसे कोर्स करना बेहतर होगा। एक प्रोडक्ट स्पेशलिस्ट बनने के लिए इस तरह की डिग्री या डिप्लोमा करना बहुत जरूरी है। कुछ चुनिंदा कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में प्रोडक्शन इंजीनियरिंग जैसे कोर्सेस होते हैं, जिनको करने के बाद प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में करियर शुरू किया जा सकता है। वहीं कुछ इंस्टिट्यूट्स में इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग जैसे कोर्स भी होत हैं, जिनमें प्रोडक्ट मैनेजमेंट से जुड़े स्पेशलाइजेशन भी होते हैं। इस तरह के अलग-अलग कोर्स में से अपनी पसंद के किसी भी डिग्री या डिप्लोमा करने के बाद आपके लिए प्रोडक्ट मैनेजमेंट सेक्टर में काम करना आसान हो सकता है।
*प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, ब्रांडिंग, इमेज मैनेजमेंट, प्रोडक्शन मैनेजमेंट में डिप्लोमा जैसे कोर्स किए जा सकते हैं।
*प्रोडक्शन मैनेजमैंट में ग्रेजुएशन से लेकर पीजी या पीजी डिप्लोमा कोर्सेस उपलब्ध हैं।
*कोई भी कोर्स करते वक्त इंर्टनशिप करना बहुत जरूरी है।
*सक्सेफुल प्रोडक्ट मैनेजर कैसे बनें?
दरअसल किसी भी कंपनी का प्रोडक्ट मैनेजर उसका दिल और दिमाग होता है। एक प्रोडक्ट मैनेजर हर बिजनेस फर्म में बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद होता है। प्रोडक्ट के कन्सेप्ट या आइडिएशन से लेकर उसकी प्लानिंग और मार्केट लांचिंग के बाद फीडबैक रिसर्च और डेवलपमेंट करवाना, इन प्रोसेस की मानिटरिंग और इवैलुएशन करना प्रोडक्शन मैनेजमेंट टीम के प्रमुख काम होते हैं। इसीलिए इस करियर के लिए एक प्रोडक्ट मैनेजर के भीतर बहुत सी क्वालिटीज का होना जरूरी है। उसके कम्युनिकेशन स्किल्स शानदार होने चाहिए। एक प्रोडक्ट मैनेजर बहुत ही नई सोच और विचारों वाला होना चाहिए। कहने का मतलब है कि उसकी पर्सनैलिटी मेक्रिएटिविटी औरं इनोवेशन के गुण होने चाहिए। उसे टीम वर्क की अहमियत मालूम होनी चाहिए। मार्केट ट्रेंड की समझ और लीडरशिप तथा एनालिटिकल स्किल्स का होना भी बहुत जरूरी है। ब्रांडिंग और प्रमोशन के कामकाज की समझ भी इस फील्ड के लिए बहुत जरूरी है। प्रोडक्ट मैनेजमेंट किसी भी कंपनी में सीधे तौर पर टॉप मैनेजमेंट का काम है। इसलिए प्रोडक्ट मैनेजर्स अपने प्रोडक्ट्स को मार्केट में उतारने से लेकर उसके लिए नए मार्केट डेवलप करने का काम भी करते हैं। इसलिए एक प्रोडक्ट मैनेजर को इन सारे जरूरी स्किल्स का होना बहुत जरूरी हो जाता है।
*प्रोडक्शन मैनेजमैंट के लीडर्स के लिए इनोवेटिव और क्रिएटिव होना बहुत जरूरी।
*कम्युनिकेशन, लीडरशिप, कार्डिनेशन जैसी स्किल्स का होना जरूरी।
*प्रोडक्ट मैनेजमैंट टॉप लीडरशिप का फील्ड है।
दरअसल प्रोडक्ट मैनेजमेंट एक नई कॅरियर फील्ड है। लेकिन एक्सपर्टस का मानना है कि आने वाले वक्त में इस सेक्टर में बहुत ग्रोथ की संभावनाएं हैं। प्रोडक्ट मैनेजमेंट से जुड़े लोगों को उनके करियर में प्रमोशन भी बहुत ज्यादा मिलते हैं। बहुत कम वक्त में भी एक प्रोडक्ट मैनेजर अच्छे प्रमोशन पा सकते हैं। कंपनियां प्रोडक्ट मैनेजमेंट के लिए खूब अवसर देती हें। किसी भी कंपनी में मैनुफैक्चरिंग और मार्केटिंग के लिहाज से देखें तो प्रोडक्ट मैनेजर्स की खूब डिमांड होती है।
बतौर एक प्रोडक्ट मैनेजर किसी भी कंपनी में आप जूनियर मैनेजर या एक्जिक्यूटिव लेवल से आरंभ कर सीनियर प्रोडक्ट मैनेजर आदि पदों पर काम करते हुए शीर्ष पदों तक पहुंच सकते हैं। हेल्थकेयर, आईटी, एफएमसीजी, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, टेलिकम्युनिकेशन आदि सेक्टर्स में प्रोडक्ट मैनेजमेंट के एक्सपर्टस के लिए खूब करियर आप्शंस मौजूद हैं। निकट भविष्य में तमाम अन्य सेक्टर्स में भी प्रोडक्ट मैनेजमैंट से जुड़े हुए करियर आप्शन में एक बूम आने की संभावनाए हैं। इसलिए अगर आप एक नया और बेहतर संभावनाओं से भरे क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो प्रोडक्ट मैनेजमेंट आपके लिए सबसे सही विकल्प हो सकता है।
Edited: By Navin Rangiyal/ PR