बैंक से ऋण लेने वाले ये लोग होंगे सरकार के रडार पर...
नई दिल्ली। सरकारी बैंकों को गैर निष्पादित परिसंपत्तियों की समस्या से निजात दिलाने के उद्देश्य से भविष्य में 250 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण लेने वाले सरकार के रडार पर होंगे और उनकी कड़ी निगरानी की जाएगी।
वित्तमंत्री अरुण जेटली और राजस्व सचिव हसमुख अधिया की मौजूदगी में वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार ने बुधवार को छह सूत्री बैंकिंग सुधार एजेंडा पेश किया, जिसका उद्देश्य बैंकों को भविष्य में एनपीए से निजात दिलाना और उनको प्रभावी एवं उत्तरदायी बनाना है।
उन्होंने कहा कि बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के बाद 250 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण की विशेष रूप से कड़ी निगरानी की जाएगी। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में बैंकों को पुनर्पूंजीकरण के तहत एक लाख करोड़ रुपए अधिक की अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है, जिसमें 8139 करोड़ रुपए बजटीय सहायता के रूप में और 80 हजार करोड़ रुपए बांड से जुटाए जा रहे हैं।
इसके अतिरिक्त बाजार से 10,312 करोड़ रुपए जुटाए जा रहे हैं। इसके बाद बैंक पांच लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने की स्थिति में हो जाएंगे और वे विकास में आ रही तेजी की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।
उन्होंने कहा कि अब कंसोर्टियम में शामिल होकर एक बैंक ऋण राशि का अधिकतम 10 फीसदी राशि ही दे पाएगा और इसके साथ ही कंसोर्टियम में शामिल होने वाले बैंकों की संख्या भी कम होकर छह-सात की जा सकती है। कुमार ने कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में घोषित सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण योजना को मूर्तरूप दे दिया गया है और बैंकों को सुधार के पथ पर चलना होगा।
इसके लिए सुधार एजेंडा इनहैंस, एस्सेस एंड सर्विस एक्सिलेंस (ईएएसई) की रूपरेखा तय की गई है जिसमें ग्राहक के प्रति उत्तरदायित्व के छह मूल विषय को शामिल किया गया है। इसमें उत्तरदायी बैंकिंग, ऋण बढ़ोतरी तथा उद्यमी मित्र के रूप में सरकारी बैंक वित्तीय समावेशन, डिजिटलाइजेशन और ब्रांड सरकारी बैंक के लिए कार्मिकों को तैयार करना शामिल है।
उन्होंने कहा कि बैंकों को नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए अपनी स्थिति बेहतर करनी होगी तथा उसे छोटे और मझौले उद्यम को सहयोग करना होगा ताकि अधिक से अधिक रोजगार सृजित हो सके। अब सरकार का जोर नागरिक सुविधाओं और छोटे कर्जों पर अधिक है।
इसके साथ ही बड़े कर्जदारों पर नकेल कसते हुए आम लोगों और छोटे ऋण लेने वालों की सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया गया है। सरकारी बैंकों को अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराए जाने के साथ ही उन्हें सुधार को अपनाने के लिए कहा गया है, ताकि आम लोगों को सुविधा मिल सके। (वार्ता)